
मध्य प्रदेश के कैबिनेट मंत्री विजय शाह इन दिनों एक विवादित बयान को लेकर सुर्खियों में हैं। उन्होंने भारतीय सेना की महिला अधिकारी कर्नल सोफिया कुरैशी को लेकर एक ऐसा बयान दे दिया, जो उन्हें भारी पड़ गया। अब यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया है, जहां उन्हें कड़ी फटकार का सामना करना पड़ा है।
सुप्रीम कोर्ट ने जताई नाराज़गी
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अनुपस्थिति में सीजेआई बीआर गवई ने मामले की सुनवाई की। उन्होंने विजय शाह पर नाराज़गी जाहिर करते हुए पूछा, “आप मंत्री होकर इस तरह की भाषा का इस्तेमाल कैसे कर सकते हैं?” अदालत ने साफ तौर पर कहा कि किसी संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति से ऐसी भाषा की उम्मीद नहीं की जाती।
कोर्ट ने कहा कि जब देश एक संवेदनशील दौर से गुजर रहा हो, तब ऐसे ज़िम्मेदार पदों पर बैठे लोगों को सोच-समझकर बोलना चाहिए। मंत्री के बयान को लेकर कोर्ट ने कहा कि यह अस्वीकार्य है और इसकी अनदेखी नहीं की जा सकती।
माफी और मीडिया पर आरोप
विजय शाह की ओर से उनके वकील ने कोर्ट को बताया कि उन्होंने माफी मांग ली है, और मीडिया ने उनके बयान को तोड़-मरोड़ कर पेश किया है। वकील ने कहा कि हाईकोर्ट ने आदेश पास करते वक्त उनकी बात नहीं सुनी और सीधे एफआईआर के आदेश दे दिए।
हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इस दलील को तुरंत नहीं माना और पूछा कि “आप पहले हाईकोर्ट क्यों नहीं गए?” कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई के लिए समय मांगा लेकिन साथ ही एफआईआर पर रोक लगाने से इनकार कर दिया।
हाईकोर्ट के आदेश के बाद FIR
बता दें कि विजय शाह के कर्नल सोफिया कुरैशी पर दिए गए बयान के बाद मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के आदेश पर उनके खिलाफ महू के मानपुर थाने में FIR दर्ज की गई है। यह FIR भारतीय न्याय संहिता की धारा 152, 196(1)(b) और 197(1)(c) के तहत दर्ज की गई है, जो गंभीर धाराएं मानी जाती हैं।
क्या कहा था विजय शाह ने?
विजय शाह ने एक जनसभा में कर्नल सोफिया कुरैशी का नाम लेते हुए विवादित टिप्पणी की थी। इसके बाद विपक्ष और सोशल मीडिया पर काफी विरोध हुआ। विवाद बढ़ता देख विजय शाह ने आजतक चैनल से बातचीत में सफाई दी और माफी मांगी।
उन्होंने कहा, “मैं कभी सपने में भी सेना या कर्नल सोफिया बहन का अपमान नहीं सोच सकता। सोफिया बहन ने देश की सेवा की है, आतंकियों को जवाब दिया है। मेरी बात को गलत तरीके से पेश किया गया। अगर जोश में मुझसे कोई गलती हो गई, तो मैं माफी मांगता हूं।”
विजय शाह ने यह भी बताया कि उनका पारिवारिक बैकग्राउंड सेना से जुड़ा हुआ है, और उन्होंने सेना की महिलाओं के दर्द को ध्यान में रखते हुए यह बयान दिया था।
यह मामला अब केवल एक विवाद तक सीमित नहीं रहा, बल्कि देश की सर्वोच्च अदालत तक पहुंच चुका है। सुप्रीम कोर्ट की फटकार से यह साफ हो गया है कि अब जनप्रतिनिधियों को अपनी भाषा और बयानों को लेकर सतर्क रहना होगा। अगली सुनवाई में कोर्ट क्या रुख अपनाता है, इस पर सबकी नजरें टिकी होंगी।