
पंजाब के लोगों के लिए एक बड़ी और चिंता वाली खबर सामने आई है। प्रदेश में भूजल स्तर लगातार गिरता जा रहा है, और अगर इसे समय रहते नहीं रोका गया, तो आने वाली पीढ़ियों के पास पीने के लिए भी पानी नहीं बचेगा। हाल ही में केंद्रीय भूजल बोर्ड की एक रिपोर्ट में जो खुलासा हुआ है, वह हर किसी के लिए चौंकाने वाला है।
हर साल 0.49 मीटर नीचे जा रहा पानी
इस रिपोर्ट के अनुसार, पंजाब में हर साल भूजल स्तर करीब 0.49 मीटर की रफ्तार से नीचे जा रहा है। साल 2023-24 में राज्य से करीब 28.95 बिलियन क्यूबिक मीटर पानी भूगर्भ से निकाला गया, जो एक बेहद बड़ी मात्रा है। इससे ये साफ हो जाता है कि अगर इस रफ्तार से पानी निकाला जाता रहा और रिचार्ज पर कोई ध्यान नहीं दिया गया, तो पंजाब आने वाले 25-30 सालों में रेगिस्तान में बदल सकता है।
डार्क ज़ोन में जा चुके हैं ज़्यादातर इलाके
राज्य के 153 विकास खंडों में से 117 अब ‘डार्क ज़ोन’ में शामिल हो चुके हैं, यानी वहां भूजल का स्तर खतरे की सीमा से नीचे जा चुका है। ऐसे इलाकों में पानी का दोहन तो हो रहा है, लेकिन जलस्तर रिचार्ज नहीं हो पा रहा। इन हालात में अब नहरों से मिलने वाला पानी ही एकमात्र उम्मीद बचा है।
नहरों का हाल भी चिंताजनक
लेकिन पंजाब को नहरों से भी पूरा पानी नहीं मिल रहा। कैबिनेट मंत्री तरुणप्रीत सौंद के अनुसार, पंजाब को केवल 24.58% नहरी पानी मिलता है, जबकि राजस्थान को 50.9%, हरियाणा को 20.38% और जम्मू-कश्मीर व दिल्ली को भी पंजाब पानी देता है। इस पर सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा, “अब हमारे पास खाली नहरें और कर्ज ही बचा है।”
मुख्यमंत्री ने जताई चिंता
मुख्यमंत्री भगवंत मान ने भी इस स्थिति को गंभीर बताया है और साफ कहा है कि, “अब पंजाब के पास किसी और राज्य को देने के लिए पानी नहीं है।” उन्होंने संकेत दिया कि पंजाब के लोगों की जरूरतें ही पूरी नहीं हो रहीं, ऐसे में बाहरी हिस्सों को पानी देना संभव नहीं है।
क्यों हो रही है पानी की इतनी कमी?
पंजाब एक कृषि प्रधान राज्य है। यहां धान जैसी फसलें बड़े पैमाने पर उगाई जाती हैं, जो भूजल का अत्यधिक उपयोग करती हैं। ट्यूबवेल की भरमार, रेनवॉटर हार्वेस्टिंग की कमी और नहरों की उपेक्षा ने मिलकर प्रदेश को जल संकट की कगार पर ला खड़ा किया है।
क्या हो सकता है समाधान?
इस संकट से निपटने के लिए कुछ जरूरी कदमों की बात की जा रही है:
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धान की जगह कम पानी वाली फसलों को बढ़ावा देना
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वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम को अनिवार्य करना
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नहरों का विस्तार और मरम्मत करना
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पानी की बर्बादी पर सख़्त रोक लगाना
पानी के बिना जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती। पंजाब जैसे हरित प्रदेश में अगर पानी खत्म हो गया, तो खेती, जीवन और भविष्य – सब संकट में आ जाएंगे। यह समय है कि सरकार के साथ-साथ आम लोग भी पानी बचाने की जिम्मेदारी लें। वरना आने वाली पीढ़ियों को सिर्फ सूखी धरती और खाली हैंडपंप ही मिलेंगे।