
भारत के मोस्ट वांटेड आतंकियों में शामिल लश्कर-ए-तैयबा का बड़ा नाम सैफुल्लाह खालिद अब इस दुनिया में नहीं रहा। पाकिस्तान के सिंध प्रांत में कुछ अज्ञात हमलावरों ने उसे मार गिराया। लंबे समय से वह पाकिस्तान में छिपा हुआ था और लश्कर के लिए भर्ती और फंडिंग जैसे काम देख रहा था। सैफुल्लाह ने अपनी पहचान छिपाने के लिए ‘रजाउल्लाह’ नाम से रहना शुरू कर दिया था।
नेपाल से भारत में रचता था साजिशें
सैफुल्लाह भारत में आतंक फैलाने के लिए नेपाल को अपना ठिकाना बना चुका था। नेपाल से वह लगातार भारत में आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने की कोशिश करता रहा। उसने वहां विनोद कुमार जैसे हिंदू नामों से पहचान बनाकर काम किया और एजेंसियों से बचता रहा। लेकिन जब भारतीय खुफिया एजेंसियों को उसकी जानकारी लगी, तो वह नेपाल से भागकर पाकिस्तान चला गया।
भारत में कई हमलों का मास्टरमाइंड
सैफुल्लाह खालिद भारत में कई बड़े आतंकी हमलों की साजिशों में शामिल रहा है। साल 2006 में महाराष्ट्र के नागपुर स्थित RSS मुख्यालय पर हमले की योजना उसी ने बनाई थी। इस हमले में आतंकी पुलिस की वर्दी में एंबेसडर कार में आए थे, लेकिन समय रहते पुलिस ने तीनों आतंकियों को ढेर कर दिया। उनके पास से AK-56 राइफल, हैंड ग्रेनेड और RDX मिला था।
इसके अलावा, 2008 में उत्तर प्रदेश के रामपुर में CRPF कैंप पर हमला करवाया गया था। इस हमले में 7 जवान शहीद हुए थे। बाद में NIA की जांच में तीन आरोपियों को उम्रकैद की सजा सुनाई गई।
सैफुल्लाह की भूमिका साल 2005 में बेंगलुरु के IISc (भारतीय विज्ञान संस्थान) में हुए हमले में भी सामने आई थी। इस हमले में एक प्रोफेसर की मौत हो गई थी और कई लोग घायल हुए थे। यह हमला उस समय चल रहे एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के दौरान किया गया था।
पाकिस्तान में मार गिराया गया
अब खबर आई है कि सिंध के बदीन और हैदराबाद में सक्रिय सैफुल्लाह को अज्ञात हमलावरों ने मौत के घाट उतार दिया है। माना जा रहा है कि वह अभी भी लश्कर के लिए काम कर रहा था और नए लड़ाकों की भर्ती और पैसे जुटाने का काम देख रहा था।
भारत के लिए बड़ी राहत
इस आतंकवादी की मौत भारत के लिए एक बड़ी राहत मानी जा रही है। सैफुल्लाह कई सालों से भारत के खिलाफ जहर उगलने वाली साजिशों में शामिल रहा। उसकी हत्या से एक बड़ी आतंकी साजिश का सिरा खत्म हो गया है।
भारत की खुफिया एजेंसियों ने लंबे समय से इस आतंकी की तलाश की थी। अब जब वह खत्म हो गया है, तो यह आतंक के खिलाफ लड़ाई में एक अहम जीत मानी जा रही है।