
पंजाब के खन्ना सिविल अस्पताल में तैनात ईएनटी (नाक-कान-गला) विशेषज्ञ डॉ. अंकित अग्रवाल के खिलाफ स्वास्थ्य विभाग ने सख्त रुख अपना लिया है। जानकारी के अनुसार, डॉ. अग्रवाल 9 सितंबर 2023 से लगातार बिना किसी सूचना के गैरहाजिर हैं और नियमों की अनदेखी करते हुए एक निजी अस्पताल भी चला रहे हैं।
अब स्वास्थ्य विभाग उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की तैयारी कर रहा है। यहां तक कि उनकी डॉक्टरी रजिस्ट्रेशन रद्द करने की सिफारिश भी की गई है।
स्वास्थ्य मंत्री ने दी चेतावनी
स्वास्थ्य मंत्री डॉ. बलबीर सिंह ने साफ कहा है कि डॉ. अंकित अग्रवाल को दो विकल्प दिए जा रहे हैं:
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या तो वे तुरंत सरकारी ड्यूटी पर वापस लौटें
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या फिर 50 लाख रुपये का बांड जमा करवाएं
दरअसल, डॉ. अग्रवाल ने सरकारी सेवा में रहते हुए पोस्ट ग्रेजुएशन (MD) पूरी की थी। नियमों के अनुसार, एम.डी. पूरा करने के बाद डॉक्टर को 10 साल तक सरकारी नौकरी करनी होती है या फिर ₹50 लाख की बांड राशि जमा करनी होती है। लेकिन डॉ. अग्रवाल ने न तो सरकारी नौकरी की और न ही बांड की राशि दी।
उल्टा, उन्होंने बिना तीन महीने का नोटिस और बिना किसी वैध प्रक्रिया के इस्तीफा दे दिया। सरकार ने उनका इस्तीफा अब तक स्वीकृत नहीं किया है।
मरीजों को हो रही है परेशानी
एडवोकेट हर्ष भल्ला ने इस मामले में सरकार से मांग की है कि डॉ. अग्रवाल के खिलाफ तुरंत सख्त कार्रवाई की जाए। उन्होंने कहा कि डॉक्टर की गैरहाजिरी की वजह से मरीजों को गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। साथ ही उन्होंने यह भी मांग की कि डॉ. अग्रवाल की वजह से सरकार और मरीजों को जो नुकसान हुआ है, उसकी भरपाई उनकी सैलरी से की जाए, ताकि भविष्य में अन्य डॉक्टरों को सबक मिल सके।
सिविल सर्जन ने भी की कार्रवाई की सिफारिश
12 जनवरी 2024 को सिविल सर्जन डॉ. जसबीर सिंह औलख ने स्वास्थ्य विभाग के निदेशक को पत्र लिखकर डॉ. अंकित अग्रवाल के खिलाफ कानूनी कार्रवाई और उनकी डॉक्टरी रजिस्ट्रेशन रद्द करने की मांग की थी। हालांकि अब तक इस पत्र का कोई जवाब नहीं आया है, लेकिन स्वास्थ्य मंत्री के नए आदेशों के बाद मामला अब तेज़ी से आगे बढ़ रहा है।
अस्पताल प्रशासन भी है सख्त
खन्ना के एस.एम.ओ. डॉ. मनिंदर सिंह भसीन ने बताया कि डॉ. अंकित अग्रवाल का इस्तीफा अभी तक मंजूर नहीं किया गया है। उन्हें कई बार नोटिस और पत्र भेजे जा चुके हैं, लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया। अब उच्च अधिकारियों के निर्देशों के अनुसार ही कार्रवाई की जाएगी।
डॉ. अंकित अग्रवाल का मामला इस बात का उदाहरण है कि अब सरकार सरकारी डॉक्टरों की लापरवाही और अनुशासनहीनता को बर्दाश्त नहीं करेगी। स्वास्थ्य मंत्री और प्रशासन की सख्ती से साफ है कि अगर कोई डॉक्टर सरकारी नियमों की अवहेलना करता है, तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई, यहां तक कि रजिस्ट्रेशन रद्द और कानूनी कार्रवाई भी की जा सकती है।
इससे अन्य डॉक्टरों को भी सीख मिलेगी कि सरकारी सेवा में रहते हुए निजी काम करना और बिना अनुमति के गैरहाजिर रहना अब आसान नहीं होगा।