
इस बार गर्मी से राहत की खबर जल्दी ही आ गई है। दक्षिण भारत के राज्य केरल में मानसून ने समय से 8 दिन पहले दस्तक दे दी है। आमतौर पर केरल में मानसून हर साल 1 जून को आता है, लेकिन इस बार यह 23 मई को ही पहुंच गया। मौसम विभाग ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि यह पिछले 16 वर्षों में सबसे जल्दी मानसून का आगमन है।
क्या है इस बार खास?
-
मानसून का निर्धारित समय हर साल 1 जून होता है।
-
इस बार 23 मई को ही मानसून केरल में आ गया, यानी 8 दिन पहले।
-
2009 और 2001 में भी ठीक इसी तारीख को मानसून केरल पहुंचा था।
-
1918 में सबसे जल्दी मानसून 11 मई को आया था, जो अब तक का रिकॉर्ड है।
-
वहीं सबसे देरी से मानसून 1972 में आया था, जब बारिश 18 जून को शुरू हुई थी।
-
पिछले 25 सालों में सबसे ज्यादा देरी 2016 में हुई, जब 9 जून को मानसून पहुंचा।
केरल में बारिश की शुरुआत
केरल में मानसून के पहुंचते ही तेज बारिश की शुरुआत हो चुकी है। कई इलाकों में झमाझम बारिश से मौसम सुहाना हो गया है। किसानों, खासतौर पर धान की खेती करने वालों के लिए यह खबर किसी राहत से कम नहीं है। जल्दी मानसून आने का मतलब है कि खेती का काम भी जल्दी शुरू हो सकेगा।
देश के बाकी हिस्सों में क्या असर पड़ेगा?
केरल भारत में मानसून का मुख्य प्रवेश द्वार होता है। यहां से यह धीरे-धीरे देश के बाकी हिस्सों की ओर बढ़ता है। आमतौर पर मानसून 1 जून को केरल पहुंचता है और 15 जुलाई तक पूरे देश को कवर कर लेता है। लेकिन जब मानसून जल्दी आता है, तो बाकी राज्यों में भी इसका असर जल्दी दिखने लगता है।
जल्दी मानसून आने से उम्मीद है कि देश के बाकी हिस्सों में भी बारिश समय पर शुरू होगी, जिससे गर्मी से राहत मिलने के साथ-साथ खेती-बाड़ी के काम में भी तेजी आएगी।
मानसून और देश की अर्थव्यवस्था
भारत की करीब 60% खेती बारिश पर निर्भर करती है। ऐसे में मानसून का समय पर और अच्छी बारिश के साथ आना बहुत जरूरी होता है। जल्दी मानसून का मतलब है कि खेती-बाड़ी को फायदा, फसलों की बुवाई जल्दी, और कृषि उत्पादन में इजाफा।
इस बार मानसून ने सभी को चौंकाते हुए समय से पहले केरल में दस्तक दे दी है। इससे जहां किसानों को राहत मिलेगी, वहीं आम जनता को भी तेज गर्मी से कुछ छुटकारा मिल सकता है। अब सबकी निगाहें इस बात पर हैं कि यह मानसून आगे किस रफ्तार से उत्तर और मध्य भारत की ओर बढ़ेगा।