
पंजाब सरकार में आम आदमी पार्टी (AAP) के विधायक रमन अरोड़ा के खिलाफ विजिलेंस ब्यूरो की कार्रवाई ने राजनीतिक गलियारों में हड़कंप मचा दिया है। जालंधर सेंट्रल विधानसभा क्षेत्र से विधायक रमन अरोड़ा पर हुई यह कार्रवाई यह दिखा रही है कि मुख्यमंत्री भगवंत मान अब भ्रष्टाचार के खिलाफ कठोर रवैया अपनाने के मूड में हैं — चाहे मामला विपक्षी नेताओं का हो या फिर अपनी ही पार्टी के विधायकों का।
विजिलेंस की कार्रवाई और मुख्यमंत्री का सख्त संदेश
विजिलेंस विभाग पंजाब सरकार के गृह मंत्रालय के अधीन आता है, जो सीधे मुख्यमंत्री भगवंत मान के पास है। अब तक विपक्षी पार्टियां यह आरोप लगाती रही थीं कि सरकार भ्रष्टाचार के नाम पर केवल राजनीतिक बदले की भावना से कार्रवाई कर रही है। लेकिन अब अपनी ही पार्टी के विधायक के खिलाफ विजिलेंस जांच शुरू होने के बाद यह आरोप कमजोर पड़ते नजर आ रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने बार-बार कहा है कि उनके पास पिछली सरकारों की फाइलें मौजूद हैं, जिनसे पता चलता है कि भ्रष्टाचार कितने बड़े स्तर पर फैला हुआ था। रमन अरोड़ा के खिलाफ कार्रवाई करवा कर उन्होंने साफ कर दिया है कि भ्रष्टाचार किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा, चाहे वह अपना हो या पराया।
विजिलेंस की जांच: अगला कौन?
सूत्रों के मुताबिक, विजिलेंस विभाग चुपचाप कई नेताओं की फाइलें खंगाल रहा है और रिपोर्ट तैयार की जा रही हैं। कहा जा रहा है कि सत्तारूढ़ पार्टी के करीब आधा दर्जन विधायक भी विजिलेंस के निशाने पर हैं। आने वाले दिनों में और भी कई नाम सामने आ सकते हैं। इससे ruling party के अंदर भी बेचैनी का माहौल बन गया है।
सियासी असर और विपक्ष की प्रतिक्रिया
रमन अरोड़ा के खिलाफ हुई इस कार्रवाई से विपक्ष के नेताओं की नींद उड़ गई है। अब तक जो नेता निशाने पर नहीं थे, वे भी सतर्क हो गए हैं। सरकार के इस कदम से एक ओर आम जनता में यह संदेश जा रहा है कि भ्रष्टाचार को लेकर सरकार गंभीर है, वहीं दूसरी ओर राजनीतिक दलों के बीच हलचल तेज हो गई है।
विपक्ष पहले सरकार पर आरोप लगाता था कि वह अपने नेताओं को बचा रही है और केवल दूसरों पर कार्रवाई कर रही है, लेकिन अब रमन अरोड़ा के केस से यह संदेश गया है कि सरकार ईमानदारी से काम कर रही है और भ्रष्टाचारियों को किसी कीमत पर नहीं छोड़ेगी।
क्या है सरकार की रणनीति?
राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि आम आदमी पार्टी 2027 के विधानसभा चुनावों से पहले जनता को यह संदेश देना चाहती है कि वह भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति पर काम कर रही है। अगर यह रवैया इसी तरह जारी रहता है, तो इसका असर आने वाले चुनावों में पार्टी के पक्ष में जा सकता है।
पंजाब सरकार का यह कदम न केवल भ्रष्टाचारियों के लिए चेतावनी है, बल्कि इससे यह भी साफ होता है कि अब सरकार राजनीतिक लिहाज़ से नहीं, बल्कि नीति और ईमानदारी के आधार पर फैसले ले रही है। मुख्यमंत्री भगवंत मान ने यह संकेत दे दिया है कि चाहे कोई भी हो, अगर वह गलत करेगा तो बख्शा नहीं जाएगा।
यह कार्रवाई पंजाब की राजनीति में ईमानदारी और जवाबदेही की नई मिसाल बन सकती है।