
देश के नागरिक उड्डयन क्षेत्र में सुरक्षा को लेकर एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है। शहरी हवाई संचालन के लिए जिम्मेदार संस्था डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन (DGCA) ने एयरलाइंस, हेलीकॉप्टर और चार्टर्ड प्लेन ऑपरेटरों को नए निर्देश जारी किए हैं। इन निर्देशों के मुताबिक, रक्षा हवाई अड्डों (डिफेंस एयरपोर्ट्स) पर आने-जाने वाली उड़ानों में यात्रियों की सीटों के पास लगी खिड़कियों के पर्दे (इमरजेंसी निकास वाली खिड़कियों को छोड़कर) तब तक बंद रहेंगे जब तक विमान 10,000 फीट की ऊंचाई तक नहीं पहुंच जाता या उस ऊंचाई से नीचे नहीं उतरता।
टेकऑफ़ और लैंडिंग के दौरान पर्दे बंद रखे जाएंगे
DGCA ने बताया कि टेकऑफ़ के दौरान विमान जब तक 10,000 फीट की ऊंचाई तक नहीं पहुंचता, तब तक यात्रियों की खिड़कियों पर लगे पर्दे बंद रहेंगे। इसी तरह, लैंडिंग के समय भी जब तक विमान सिविल टर्मिनल के पार्किंग बे पर न पहुंच जाए, तब तक खिड़कियों के पर्दे और शेड बंद रहेंगे। यह नियम देश की सुरक्षा मंत्रालय की सिफारिश पर लागू किया गया है।
उल्लंघन पर कड़ी कार्रवाई का आश्वासन
DGCA ने साफ किया है कि यदि कोई एयरलाइन या ऑपरेटर इन निर्देशों का उल्लंघन करता पाया जाता है तो उसके खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी। इसका मकसद न केवल सुरक्षा को बढ़ावा देना है बल्कि हवाई क्षेत्र के आस-पास संभावित खतरों को भी कम करना है।
फौजी ठिकानों पर फोटो-वीडियो पर पाबंदी
साथ ही DGCA ने यह भी आदेश जारी किया है कि सभी फौजी ठिकानों पर फ़ोटोग्राफ़ी और वीडियोग्राफी पूरी तरह से प्रतिबंधित रहेगी। यह कदम विशेष रूप से सुरक्षा कारणों से उठाया गया है। देश के कई रक्षा हवाई क्षेत्र ऐसे हैं जो वाणिज्यिक हवाई अड्डों के रूप में भी काम करते हैं और इन्हें सिविल एन्क्लेव के नाम से जाना जाता है।
रक्षा हवाई अड्डों के उदाहरण
ऐसे हवाई अड्डों में लेह, श्रीनगर, चंडीगढ़, पुणे, जामनगर, बागडोगरा जैसे महत्वपूर्ण शहर शामिल हैं। इन स्थानों पर उड़ानों की सुरक्षा को और सख्त किया जा रहा है ताकि किसी भी अप्रत्याशित खतरे से बचा जा सके।
एयरलाइंस के लिए भी निर्देश
एयरलाइंस को आदेश दिया गया है कि वे अपने पायलट और चालक दल के लिए सुरक्षा जोखिमों को कम करने के लिए मापदंड तैयार करें और उनको सख्ती से लागू करें। DGCA का कहना है कि यह कदम यात्रियों और क्रू मेंबर्स की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए उठाया गया है।
पायलटों की चिंता और DGCA की प्रतिक्रिया
हालांकि, कुछ पायलटों ने न चाहते हुए भी इस नियम पर सवाल उठाए हैं। उनका तर्क है कि टेकऑफ़ और लैंडिंग के समय खिड़की के पर्दे खुले रहना सुरक्षा के लिहाज से जरूरी होता है। इससे वे बाहर के माहौल पर नजर बनाए रख सकते हैं और संभावित खतरों को जल्दी पहचान सकते हैं, जैसे कि तकनीकी खराबी या पक्षी के टकराने से इंजन में आग लगना।
इस पर DGCA के एक वरिष्ठ अधिकारी ने स्पष्ट किया है कि आपातकालीन निकास वाली खिड़कियों के पर्दे हमेशा खुले रहेंगे, ताकि आपात स्थिति में यात्रियों को जल्दी बाहर निकाला जा सके। साथ ही यह निर्देश सुरक्षा मंत्रालय की गहन सलाह के बाद जारी किए गए हैं।
एक सप्ताह में समीक्षा
DGCA ने यह भी कहा है कि इस नए नियम की एक सप्ताह के अंदर समीक्षा की जाएगी। सुरक्षा और संचालन दोनों पहलुओं को ध्यान में रखकर आवश्यकतानुसार बदलाव किए जाएंगे।
इस प्रकार DGCA ने नागरिक उड्डयन के क्षेत्र में सुरक्षा को और मजबूत करने के लिए जरूरी कदम उठाए हैं। यात्रियों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए यह नियम लागू किए गए हैं ताकि हर उड़ान सुरक्षित और परेशानी मुक्त रहे। यात्रियों और एयरलाइंस दोनों को इन नियमों का पालन करना अनिवार्य होगा।