
आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा ने अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से विदेशी छात्रों से जुड़े संभावित फैसलों पर गंभीर चिंता जाहिर की है। ट्रंप के ताजा संकेतों से यह आभास मिल रहा है कि अगर वह दोबारा सत्ता में आते हैं, तो अमेरिका में विदेशी छात्रों की पढ़ाई और वीजा नीतियों को सख्त बनाया जा सकता है। इसी के मद्देनज़र राघव चड्ढा ने इस मुद्दे पर ट्वीट कर अपनी प्रतिक्रिया दी है।
हावर्ड यूनिवर्सिटी और अंतरराष्ट्रीय छात्रों के लिए समर्थन
राघव चड्ढा ने ट्वीट करते हुए कहा कि, “मैं हावर्ड यूनिवर्सिटी परिवार का हिस्सा रहा हूं और अपनी शिक्षा और मूल्यों के चलते हमेशा समावेशिता और शैक्षणिक आज़ादी के पक्ष में खड़ा रहूंगा।” उन्होंने यह भी कहा कि ट्रंप के इस फैसले से न केवल हावर्ड जैसे प्रतिष्ठित संस्थान बल्कि पूरी दुनिया में पढ़ाई कर रहे लाखों अंतरराष्ट्रीय छात्रों का भविष्य खतरे में पड़ सकता है।
चड्ढा का कहना था कि शैक्षणिक स्वतंत्रता को बचाना और अंतरराष्ट्रीय सहयोग को मजबूत करना आज के समय की आवश्यकता है। उन्होंने अपील की कि शिक्षा को राजनीतिक फैसलों का शिकार नहीं बनाना चाहिए, क्योंकि इससे केवल छात्रों का ही नहीं, बल्कि समाज और भविष्य की पीढ़ियों का भी नुकसान होगा।
छात्रों की उम्मीदों पर असर
ट्रंप के इस फैसले के संभावित संकेतों से अमेरिका में पढ़ाई करने का सपना देख रहे लाखों भारतीय और अन्य देशों के छात्रों की चिंता बढ़ गई है। राघव चड्ढा की यह प्रतिक्रिया ऐसे समय में आई है, जब छात्र और उनके माता-पिता पहले से ही विदेशों में पढ़ाई को लेकर कई तरह की चुनौतियों का सामना कर रहे हैं – जैसे महंगी फीस, वीजा की कठिन प्रक्रिया, और अब संभावित कड़े नियम।
ट्विटर पर जबरदस्त समर्थन
राघव चड्ढा की यह पोस्ट सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही है। कई लोगों ने उनकी इस भावना की तारीफ करते हुए कहा कि ऐसी आवाज़ों की बहुत ज़रूरत है, जो छात्रों के हक़ में बात करें। कुछ यूज़र्स ने लिखा कि यह बयान उन छात्रों को हौसला देता है जो विदेशों में पढ़ाई कर रहे हैं या भविष्य में पढ़ाई का सपना देख रहे हैं।
राजनीतिक दायरे से आगे का संदेश
राघव चड्ढा का यह बयान सिर्फ एक ट्वीट तक सीमित नहीं रहा, बल्कि इसके ज़रिए उन्होंने शिक्षा, विचारों की स्वतंत्रता, और युवा पीढ़ी के भविष्य को लेकर एक बड़ी बहस की शुरुआत कर दी है। उन्होंने यह साफ कर दिया कि शिक्षा को सीमाओं और नीतियों में नहीं बांधा जाना चाहिए, बल्कि यह एक ऐसा क्षेत्र है जो वैश्विक सहयोग, समावेश और स्वतंत्रता की नींव पर खड़ा होता है।
इस पूरे घटनाक्रम ने दिखा दिया है कि शिक्षा अब केवल किसी देश का आंतरिक मामला नहीं रहा, बल्कि यह एक वैश्विक मुद्दा बन चुका है। राघव चड्ढा जैसे नेताओं का सामने आना यह दर्शाता है कि भारत से भी अब वैश्विक शिक्षा नीतियों पर आवाजें उठने लगी हैं। ट्रंप की नीतियों पर चाहे जो भी फैसला हो, लेकिन इस मुद्दे ने शिक्षा और छात्रों के भविष्य को एक बार फिर से चर्चा का केंद्र बना दिया है।