Bihar :Bihar में मुख्यमंत्री Nitish Kumar द्वारा आरक्षण की सीमा को 65 Percent तक बढ़ाने के मामले को Patna High Court में चुनौती दी गई है। Gaurav Kumar और Naman Sresth ने एक P.I.L (Public Interest Litigation) दाखिल की है।
सार
Bihar: इस याचिका में पेश करने वाले की ओर से बिहार (अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों, पिछड़ा वर्ग और सबसे पिछड़ा वर्ग के लिए) (संशोधन) अधिनियम, 2023 और बिहार (शिक्षा संस्थानों में प्रवेश में आरक्षण) (संशोधन) अधिनियम, 2023 की संवैधानिक वैधता पर सवाल उठाया गया है। इसकी तत्काल प्रतिबंध लगाने की मांग भी की गई है। यह याचिका दाखिल करने वाले ने उल्लेख किया है कि संविधान के प्रावधानों के अनुसार, सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों को उचित प्रतिष्ठान देने के लिए आरक्षण किया गया था, जनसंख्या के अनुपात में नहीं। Bihar Nitish Kumar सरकार द्वारा 2023 में पारित किए गए इस संशोधित अधिनियम में भारतीय संविधान के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन हो रहा है। इसमें सरकारी नौकरियों में नियुक्ति के समान अधिकार का उल्लंघन हो रहा है, जबकि यह भेदभाव से संबंधित मौलिक अधिकार का उल्लंघन भी है।
Bihar सरकार ने किस Catergory के लिए Reservation बढ़ाया जाना है?
- अनुसूचित जातियों को दी गई 16 प्रतिशत Reservation को 20 प्रतिशत बढ़ा दिया गया है।
- अनुसूचित जनजातियों को दी गई 1 प्रतिशत Reservation को अब 2 प्रतिशत कर दिया गया है।
- पिछड़ा वर्गों को दी गई 12 प्रतिशत Reservation को 18 प्रतिशत और सबसे पिछड़ा वर्ग को दी गई 18 प्रतिशत आरक्षण को 25 प्रतिशत बढ़ा दिया गया है।
Bihar Government ने 21 Novernment को गजेट प्रकाशित किया बिहार सरकार ने आरक्षण संशोधन विधेयक के माध्यम से आरक्षण की बढ़ोतरी को 65 प्रतिशत तक बढ़ाया। इसमें आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण जोड़ा गया है और आरक्षण का कुल लाभ 75 प्रतिशत होगा। 21 नवंबर को, बिहार सरकार ने इसके संबंध में एक गजेट प्रकाशित किया। अब से, अनुसूचित जातियों/जनजातियों, पिछड़ा वर्ग और सबसे पिछड़ा वर्ग शिक्षण संस्थानों और नौकरियों में 65 प्रतिशत आरक्षण का लाभ उठा सकेंगे।
मुख्यमंत्री नीतीश ने घोषणा की थी
बिहार सरकार ने राज्य में जाति जनगणना आयोजित की थी। इसके अलावा, सरकार ने आर्थिक सर्वेक्षण भी किया था। सरकार ने इसकी रिपोर्ट को सदन में प्रस्तुत किया था। सदन में हुई चर्चा के दौरान, मुख्यमंत्री नीतीश ने आरक्षण के मौजूदा दायरे को बढ़ाने की घोषणा की थी। इसके लिए, मुख्यमंत्री ने आरक्षित वर्ग की जनसंख्या और उसकी आर्थिक स्थिति पर आधारित था।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, इस जनहित याचिका को गौरव कुमार और नमन श्रेष्ठ ने दाखिल किया है। इस याचिका की प्रतिलिपि को बिहार के मुख्य वकील पी.के. शाही के कार्यालय में भी भेजा गया है। प्रार्थी ने इस पर तत्काल प्रतिबंध लगाने की मांग की है। प्रार्थी ने यह विचार किया है कि यह मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है। प्रार्थी के पक्ष से दाखिल की गई याचिका में कहा गया है कि संविधानीय प्रावधानों के अनुसार, आरक्षण को सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों को उचित प्रतिष्ठान देने के लिए किया गया था, जनसंख्या के अनुपात में नहीं।
बिहार सरकार द्वारा 2023 में पारित किए गए इस संशोधित अधिनियम से भारतीय संविधान के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन हो रहा है।