
सोना, जिसे सुरक्षित निवेश का प्रतीक माना जाता है, इस समय अपने इतिहास के सबसे ऊँचे स्तर पर है। लेकिन आने वाले दो महीनों में इसकी कीमतों में 12% से 15% तक की गिरावट आ सकती है। यह भविष्यवाणी किसी और ने नहीं, बल्कि क्वांट म्यूचुअल फंड ने की है। हालांकि फंड का यह भी कहना है कि मध्यम और लंबी अवधि के निवेशकों के लिए सोना आज भी पोर्टफोलियो का अहम हिस्सा बना रहना चाहिए।
क्यों गिर सकती हैं सोने की कीमतें?
अमेरिका की वित्तीय रिसर्च कंपनी मॉर्निंगस्टार ने एक चौंकाने वाली भविष्यवाणी की है कि आने वाले कुछ वर्षों में सोने की कीमतों में 38% तक की गिरावट हो सकती है। यह अनुमान निवेशकों के बीच चिंता और हलचल पैदा कर रहा है। इस गिरावट के पीछे कई कारण हो सकते हैं जैसे:
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वैश्विक अर्थव्यवस्था में सुधार
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ब्याज दरों में संभावित बढ़ोतरी
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डॉलर की मजबूती
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जियोपॉलिटिकल तनावों में कमी
इन सभी फैक्टर्स का सीधा असर सोने की मांग और कीमतों पर पड़ता है।
भारत में सोने की बिक्री में गिरावट
इंडिया बुलियन एंड ज्वेलर्स एसोसिएशन (IBJA) के अनुसार, पिछले 15 दिनों में भारत भर में सोने के गहनों की बिक्री में 30% तक की गिरावट देखी गई है। इसका मुख्य कारण हाल ही में सोने की कीमतों में 5% तक की बढ़ोतरी है। इस तेजी के कारण ग्राहक खरीदारी से पीछे हट रहे हैं और इंतजार कर रहे हैं कि कब कीमतें गिरें।
क्या हुआ अक्षय तृतीया पर?
IBJA के राष्ट्रीय सचिव सुरेंद्र मेहता ने बताया कि अक्षय तृतीया (जो मई के पहले सप्ताह में आती है) पर थोड़ी गिरावट के चलते मांग में बढ़ोतरी देखी गई थी। लेकिन उसके बाद जैसे ही कीमतें फिर चढ़ने लगीं, लोग फिर से सोना खरीदने से कतराने लगे।
निवेशकों को क्या करना चाहिए?
वित्तीय विशेषज्ञों का मानना है कि:
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अगर आप शॉर्ट टर्म निवेशक हैं, तो कुछ समय इंतजार करना बेहतर रहेगा।
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अगर आप लॉन्ग टर्म के लिए सोच रहे हैं, तो गिरावट को खरीद का अवसर माना जा सकता है।
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पोर्टफोलियो में 5% से 10% तक सोने का होना एक संतुलित रणनीति मानी जाती है।
हालांकि फिलहाल सोने की कीमतें रिकॉर्ड स्तर पर हैं, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि जल्द ही इसमें गिरावट आ सकती है। ऐसे में निवेशकों को जल्दबाज़ी में कोई निर्णय लेने की बजाय सोच-समझ कर रणनीति बनानी चाहिए। बिक्री में गिरावट और संभावित कीमतों की कमी आने वाले दिनों में सोने की मांग को फिर से प्रभावित कर सकती है।