
पंजाब पुलिस ने सभी जिलों के वरिष्ठ अधिकारियों (कमिश्नर और एसएसपी) को आदेश जारी किया है कि वे अपने-अपने इलाकों में जब्त किए गए वाहनों की पूरी सूची 10 दिनों के भीतर तैयार कर मुख्यालय को भेजें। यह निर्देश डीजीपी हाउस से जारी किया गया है और इसका मकसद इन जब्त वाहनों के संबंध में उचित कार्रवाई करना है।
क्यों उठाया गया यह कदम?
यह आदेश पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में दाखिल एक जनहित याचिका के बाद जारी किया गया है। यह याचिका हाईकोर्ट के वकील कंवर पाहुल सिंह ने दाखिल की थी। याचिका में बताया गया कि राज्य के कई थानों में सैकड़ों जब्त वाहन वर्षों से ऐसे ही पड़े हैं। इनमें से कुछ वाहन ऐसे हैं जिनके दस्तावेज पूरे नहीं हैं, जबकि कई वाहनों के मालिकों का अब तक कोई अता-पता नहीं है।
थानों में जगह की कमी, सड़कों पर फेंके जा रहे वाहन
सूत्रों के अनुसार, थानों में जब्त वाहनों की संख्या इतनी ज्यादा हो गई है कि अब उनके पास इन्हें रखने की जगह नहीं बची। इसी कारण कई थानों ने वाहन सड़कों, फुटपाथों और सार्वजनिक स्थानों पर खड़े या फेंके हुए हैं। इससे न सिर्फ ट्रैफिक में रुकावट आ रही है, बल्कि दुर्घटनाओं का खतरा भी बढ़ गया है। वहीं, ये वाहन पर्यावरण प्रदूषण का कारण भी बन रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का भी हुआ हवाला
कंवर पाहुल सिंह की याचिका में सुप्रीम कोर्ट के 2010 और 2002 के फैसलों का हवाला दिया गया। फैसलों में कहा गया था कि ऐसे जब्त वाहनों को लंबे समय तक थानों में नहीं रखना चाहिए, क्योंकि वे केस प्रॉपर्टी बन जाते हैं। अदालत ने कहा था कि इन वाहनों के निपटारे के लिए ठोस प्रक्रिया अपनाई जाए।
हाईकोर्ट का निर्देश और पुलिस की कार्रवाई
13 मई 2025 को हाईकोर्ट ने पंजाब पुलिस और अन्य संबंधित विभागों को 90 दिनों में उचित कार्रवाई करने का आदेश दिया। इसके बाद, डीजीपी हाउस से आदेश जारी करते हुए सभी जिलों के पुलिस अधिकारियों से कहा गया कि वे 10 दिनों के अंदर सभी जब्त वाहनों की विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर भेजें। इसके लिए पुलिस विभाग ने एक प्रोफार्मा (फॉर्मेट) भी तैयार किया है, जिसे सभी जिलों में भेजा गया है।
क्या होगा आगे?
इस सूची के आने के बाद सरकार और पुलिस यह तय करेगी कि किन वाहनों को नीलाम किया जाए, किन्हें वापस उनके मालिकों को सौंपा जाए और किन्हें स्क्रैप कर दिया जाए। इससे न केवल थानों में जगह खाली होगी, बल्कि यातायात व्यवस्था और पर्यावरण पर भी सकारात्मक असर पड़ेगा।
यह कदम पंजाब के लिए एक जरूरी और सराहनीय पहल है। लंबे समय से लावारिस पड़े इन वाहनों की वजह से जनता को परेशानी हो रही थी। हाईकोर्ट के निर्देश पर शुरू हुई यह प्रक्रिया उम्मीद है कि जल्द ही इन वाहनों का समाधान निकालकर जनता को राहत देगी और थानों की स्थिति भी बेहतर होगी।