
होशियारपुर के डीएवी कॉलेज ऑफ एजुकेशन में आयोजित एक प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए पंजाब के राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया ने कहा कि राज्य में अब नशे के खिलाफ जागरूकता तेजी से बढ़ रही है और यह एक जन आंदोलन का रूप ले रही है।
उन्होंने पंजाब सरकार की ओर से नशा रोकने के लिए उठाए गए कदमों की सराहना करते हुए कहा कि समाज में सकारात्मक बदलाव दिखने लगे हैं। लोग अब इस समस्या के खिलाफ एकजुट होकर खड़े हो रहे हैं।
राज्यपाल ने स्पष्ट किया कि नशे की समस्या को केवल सरकारी प्रयासों से खत्म नहीं किया जा सकता। इसके लिए माता-पिता, शिक्षक, युवा, प्रशासन और समाज के हर वर्ग को मिलकर जिम्मेदारी निभानी होगी।
उन्होंने कहा कि बेरोजगारी और खालीपन युवाओं को नशे की ओर ले जाते हैं। अगर उन्हें रोज़गार और रचनात्मक गतिविधियों से जोड़ा जाए, तो वे इस बुराई से दूर रह सकते हैं।
राज्यपाल ने सुझाव दिया कि शैक्षणिक संस्थान छात्रों की टीमें बनाएं और उन्हें गांवों में भेजें, ताकि वे जमीनी सच्चाई को जान सकें और वहां जाकर जागरूकता फैला सकें। इस तरह नशे की आदत को 50% तक घटाया जा सकता है।
उन्होंने माओं की भूमिका को सबसे अहम बताया। राज्यपाल ने कहा कि एक मां ही अपने बच्चे को गलत संगत और नशे से बचा सकती है। उन्होंने माता-पिता से अपील की कि वे अपने बच्चों को खेती, कारोबार और खेल जैसी सकारात्मक गतिविधियों में लगाएं और मेहनत करने की आदत डालें।
इससे पहले, राज्यपाल ने गांव/वार्ड डिफेंस कमेटियों के सदस्यों को संबोधित करते हुए कहा कि इन कमेटियों की भूमिका भी नशा रोकने में बहुत महत्वपूर्ण है। उन्होंने प्रशासन से अपील की कि इन कमेटियों को और ज्यादा सशक्त बनाया जाए, ताकि वे नशा तस्करों की पहचान और रोकथाम में निर्णायक भूमिका निभा सकें।
राज्यपाल ने कहा कि पंजाब वीरों, संतों और शहीदों की धरती है, जिसने देश की आज़ादी, सुरक्षा और कृषि में अग्रणी भूमिका निभाई है। अब पंजाब को अपनी पुरानी शान और नेतृत्व की भूमिका को फिर से हासिल करने के लिए नशे के खिलाफ निर्णायक लड़ाई लड़नी होगी।
राज्यपाल ने दोहराया कि नशे के खिलाफ यह लड़ाई तभी सफल हो सकती है जब प्रशासन, समाज, माता-पिता, युवा और हर नागरिक इसमें भाग लें। उन्होंने कहा, “जो भी काम करें, उसे समर्पण से करें। किसी व्यक्ति का सम्मान उसके गुणों से होता है, न कि पैसों से।”
इस मौके पर डिप्टी कमिश्नर आशिका जैन ने जिले में नशा मुक्ति को लेकर किए जा रहे प्रयासों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि नशा मुक्ति केंद्रों में बिस्तरों की संख्या 100 से बढ़ाकर 460 की गई है, और निजी केंद्रों में भी क्षमता 70 से बढ़ाकर 222 की गई है।
टांडा, मुकेरियां और गढ़शंकर में तीन नए मनोवैज्ञानिक नियुक्त किए गए हैं, और जिले में तीन नए ओटी सेंटर बनाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि “हॉटस्पॉट” क्षेत्रों में टीमें बनाकर घर-घर जाकर लोगों को जागरूक किया जा रहा है।
डिप्टी कमिश्नर ने यह भी बताया कि जिला पुलिस नशा तस्करों की संपत्तियां जब्त कर रही है और उन्हें गिरफ्तार कर रही है।
इस अवसर पर राज्यपाल के सचिव विवेक प्रताप सिंह, एसएसपी संदीप कुमार मलिक, एडीसी जनरल अमरबीर कौर भुल्लर, एसडीएम गुरसिमरनजीत कौर, डीएवी कॉलेज के चेयरमैन डॉ. अनूप कुमार, प्रिंसिपल विधि भल्ला और अन्य गणमान्य लोग भी मौजूद रहे।