
पंजाब की राजनीति में एक नई और सकारात्मक चर्चा की शुरुआत हुई है। भाजपा पंजाब प्रमुख सुनील जाखड़ ने हाल ही में एक साहसिक बयान देते हुए सुझाव दिया कि सभी राजनीतिक नेताओं को ड्रग टेस्ट करवाना चाहिए और अपनी जायदाद का खुलासा करना चाहिए। खास बात यह रही कि उन्होंने कहा कि इसकी शुरुआत सभी राजनीतिक दलों के प्रदेश अध्यक्षों से होनी चाहिए।
इस बयान का आम आदमी पार्टी (आप) पंजाब अध्यक्ष अमन अरोड़ा ने खुलकर स्वागत किया है। बठिंडा में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने कहा कि “हमारी पार्टी की नींव ही ईमानदारी, पारदर्शिता और जवाबदेही के सिद्धांतों पर रखी गई है। यह हमारे संस्थापक अरविंद केजरीवाल की सोच का हिस्सा रहा है। मुझे खुशी है कि अब अन्य पार्टियां भी इसी दिशा में सोच रही हैं।”
अमन अरोड़ा ने आगे कहा, “एक सत्तारूढ़ दल के प्रदेश अध्यक्ष होने के नाते यह मेरी जिम्मेदारी है कि मैं खुद उदाहरण पेश करूं। मैं अपनी जायदाद का ब्यौरा देने और ड्रग टेस्ट कराने के लिए तैयार हूं। यह टेस्ट मीडिया और डॉक्टरों की मौजूदगी में पारदर्शी ढंग से होना चाहिए।”
इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में मंत्री लालचंद कटारूचक्क और ‘आप’ के वरिष्ठ प्रवक्ता नील गर्ग भी मौजूद थे। अरोड़ा ने स्पष्ट किया कि उनके संपत्ति विवरण पहले से ही सार्वजनिक डोमेन में उपलब्ध हैं।
देशभर में लागू हो पहल, सिर्फ पंजाब में क्यों?
अमन अरोड़ा ने सुनील जाखड़ से अपील की कि वे इस मुहिम को सिर्फ पंजाब तक सीमित न रखें। उन्होंने कहा, “देश को ईमानदार नेतृत्व की ज़रूरत है। मैं सुनील जाखड़ से अनुरोध करता हूं कि वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी. नड्डा से भी इस विषय पर बात करें।”
अरोड़ा ने खुद भी कहा कि वे इस मुद्दे पर अपने राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल से सलाह-मशविरा करेंगे ताकि इस पहल को देशव्यापी स्तर पर लागू किया जा सके।
उन्होंने जाखड़ से अपील की कि वे अपनी कही बात से पीछे न हटें। “आपने एक अच्छी शुरुआत की है। आइए इसे सभी राजनीतिक पार्टियों के लिए एक उदाहरण बनाएं। देश के लोग ईमानदार नेताओं की प्रतीक्षा कर रहे हैं,” अरोड़ा ने कहा।
पंजाब की राजनीति में यह घटनाक्रम एक सकारात्मक बदलाव की शुरुआत माना जा रहा है। जहां अक्सर एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप देखने को मिलते हैं, वहीं यह कदम राजनीति को स्वस्थ और भरोसेमंद बनाने की ओर एक सराहनीय पहल है। अब देखना यह होगा कि अन्य पार्टियां इस विचार को किस हद तक अपनाती हैं।