
पंजाब सरकार ने इस बार गर्मियों की छुट्टियों को बच्चों के लिए अनुभव आधारित और नैतिक शिक्षा से भरपूर बनाने की योजना बनाई है। 6वीं से 10वीं कक्षा तक के छात्रों को न सिर्फ़ होमवर्क दिया गया है, बल्कि उन्हें कई रोचक और रचनात्मक प्रोजेक्ट्स पर भी काम करने को कहा गया है।
घर में सिखाई जाएगी ज़िम्मेदारी और जीवन कौशल
छात्रों को इस बार घर के छोटे-छोटे कामों में भागीदारी करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। बच्चों को कहा गया है कि वे रसोईघर से निकलने वाले कचरे का हिसाब रखें, बिजली की खपत को नोट करें और यह देखें कि एक दिन में उनके घर में कितना पानी इस्तेमाल हो रहा है। इसका पूरा रिकॉर्ड उन्हें बनाना होगा।
सिर्फ़ यही नहीं, बच्चों को घर के पौधों की देखभाल करनी है और हर रोज़ पानी देने के साथ-साथ पौधों की ग्रोथ की तस्वीरें लेकर उसका डिटेल रिपोर्ट बनानी है। यह उन्हें प्रकृति से जोड़ने और पर्यावरण के प्रति ज़िम्मेदार बनाने की एक पहल है।
पारिवारिक मूल्यों की भी पढ़ाई
गर्मियों की छुट्टियों के इस होमवर्क में भावनात्मक और पारिवारिक मूल्यों की झलक भी है। बच्चों को कहा गया है कि वे रोज़ाना दादा-दादी या नाना-नानी से बात करें, उनके पैर छूएं, उनका हालचाल लें। इसके साथ ही उन्हें माँ के कामों में मदद करनी है और छोटे भाई-बहनों को कहानियाँ सुनानी हैं। ये गतिविधियाँ बच्चों में प्रेम, सम्मान और अपनापन बढ़ाने में मदद करेंगी।
मोबाइल और स्क्रीन टाइम पर भी नज़र
10वीं कक्षा के छात्रों को मोबाइल, टीवी और वीडियो गेम्स के इस्तेमाल का रिकार्ड रखने का एक खास प्रोजेक्ट दिया गया है। उन्हें एक हफ्ते तक हर दिन अपना स्क्रीन टाइम नोट करना है और खुद ही उसका मूल्यांकन करना है कि क्या वे हेल्दी स्क्रीन टाइम का पालन कर रहे हैं या नहीं।
अगर स्क्रीन टाइम 2 घंटे से ज़्यादा है, तो बच्चों को 3 ऐसे उपाय भी लिखने होंगे, जिनसे वे अपनी स्क्रीन की लत को कम कर सकें।
पोस्टर, रेसिपी और नेक काम
बच्चों को लू से बचने के लिए सनस्क्रीन, छतरी, चश्मे और पानी की अहमियत पर एक पोस्टर बनाना है। वहीं, रसोईघर में माँ की मदद करते हुए फ्रूट चाट और खीरे का सैंडविच बनाना भी इस छुट्टियों का हिस्सा है।
इसके अलावा, बच्चों को हर दिन एक अच्छा काम करने के लिए कहा गया है – जैसे दादी या माँ के पैरों की मालिश करना या दादा-नाना को टहला कर लाना। इन नेक कामों को वे अपनी डायरी में नोट करेंगे।
ये पहल न सिर्फ़ बच्चों को सृजनात्मक बनाएगी, बल्कि उन्हें ज़िम्मेदार, समझदार और सहानुभूतिपूर्ण भी बनाएगी – घर, समाज और पर्यावरण के प्रति।