
भारत में लंबे समय से जनगणना का इंतजार था, और अब यह ऐतिहासिक प्रक्रिया शुरू होने जा रही है। गृह मंत्रालय ने जनगणना अधिनियम 1948 के तहत जनगणना और जातिगत जनगणना को लेकर आधिकारिक सूचना जारी कर दी है। यह पहली बार है जब जनगणना और जातिगत आंकड़े एक साथ इकट्ठा किए जाएंगे। इस कदम से देश के सामाजिक और आर्थिक ढांचे को बेहतर समझने में मदद मिलेगी।
क्यों हो रही थी देरी?
हर 10 साल में जनगणना की जाती है, लेकिन कोरोना महामारी की वजह से 2021 की जनगणना टाल दी गई थी। अब यह प्रक्रिया 2025 से शुरू होकर 2027 तक चलेगी। पहली बार देश में इतनी देर से जनगणना हो रही है। जनगणना के बाद अगली प्रक्रिया 2035 में होगी।
दो चरणों में होगी जनगणना
जनगणना दो हिस्सों में होगी:
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पहला चरण (हाउसिंग सेंसस): इसमें घरों की गिनती, उनकी स्थिति, सुविधाएं और संपत्ति का विवरण लिया जाएगा।
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दूसरा चरण (पॉपुलेशन सेंसस): इसमें हर व्यक्ति से जुड़ी जानकारी ली जाएगी जैसे उम्र, लिंग, धर्म, जाति, शिक्षा, रोजगार आदि।
पहला चरण फरवरी 2027 तक और दूसरा चरण फरवरी 2027 के अंत तक पूरा होगा। 1 मार्च 2027 की मध्यरात्रि को जनगणना की संदर्भ तारीख माना जाएगा।
विशेष राज्यों में पहले होगी प्रक्रिया
जम्मू-कश्मीर, लद्दाख और उत्तराखंड जैसे क्षेत्रों में अक्टूबर 2026 तक प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी, क्योंकि वहां मौसम और भौगोलिक स्थिति चुनौतीपूर्ण होती है।
डिजिटल होगी इस बार की जनगणना
इस बार की जनगणना पूरी तरह डिजिटल होगी। इसमें:
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मोबाइल ऐप्स
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Self Enumeration (स्व-गणना)
का उपयोग किया जाएगा।
करीब 34 लाख कर्मचारी जनगणना में हिस्सा लेंगे। इन सभी को डिजिटल ट्रेनिंग दी जाएगी ताकि वे मोबाइल डिवाइस और ऐप का इस्तेमाल कर सकें।
जातिगत जनगणना: 1931 के बाद पहली बार
यह पहली बार होगा जब OBC, SC, ST और सामान्य वर्ग की सभी जातियों की जानकारी भी ली जाएगी। इससे पहले केवल SC और ST की जानकारी ली जाती थी। इस बार हर व्यक्ति को अपनी जाति बताने का विकल्प दिया जाएगा। 1931 के बाद यह पहला मौका होगा जब जातिगत जनगणना आधिकारिक तौर पर की जा रही है।
डेटा से बनेगी नीतियां
जनगणना के आंकड़ों का इस्तेमाल सरकार की नीतियों, योजनाओं, आरक्षण और सामाजिक न्याय के लिए किया जाएगा। केंद्रीय वित्त आयोग भी इन आंकड़ों के आधार पर राज्यों को अनुदान देता है।
परिसीमन की तैयारी
जनगणना के बाद 2028 तक परिसीमन की प्रक्रिया शुरू हो सकती है। इससे लोकसभा और विधानसभा सीटों का नया बंटवारा होगा। महिलाओं के लिए 33% आरक्षण भी इसी दौरान लागू किया जा सकता है। दक्षिण भारत के कुछ राज्यों ने चिंता जताई है कि उनकी आबादी कम है, जिससे सीटें घट सकती हैं। सरकार ने भरोसा दिया है कि सभी क्षेत्रों की चिंताओं पर विचार किया जाएगा।
जनगणना 2025 से 2027 तक चलने वाली एक बड़ी और ऐतिहासिक प्रक्रिया होगी, जो देश के भविष्य की योजनाओं का आधार बनेगी। पहली बार डिजिटल और जातिगत डेटा को एक साथ इकट्ठा किया जाएगा, जिससे भारत की सामाजिक और आर्थिक तस्वीर और भी साफ़ होगी।