
पश्चिम एशिया में तनाव अपने चरम पर पहुंच चुका है। इजरायल और ईरान के बीच हाल ही में हुए हवाई हमलों ने पूरी दुनिया की चिंता बढ़ा दी है। इजरायल द्वारा किए गए भीषण हमलों को 72 घंटे बीत चुके हैं, लेकिन दोनों देशों के बीच युद्ध की स्थिति अब भी बनी हुई है।
इजरायल के हमले में भारी तबाही
इजरायल ने ईरान पर जबरदस्त हवाई हमले किए, जिसमें 400 से ज्यादा लोगों की मौत और 600 से अधिक के घायल होने की खबर है। हालांकि ईरान का दावा है कि मरने वालों की संख्या 224 है, जिनमें अधिकतर आम नागरिक हैं। इन हमलों में ईरान के कई न्यूक्लियर प्लांट, सैन्य अड्डे, और तेल रिफाइनरियां तबाह कर दी गईं।
एयर कॉरिडोर से सीधे हमला
इजरायल ने दावा किया है कि उसने तेहरान तक एयर कॉरिडोर बना लिया है, जिससे उसके लड़ाकू विमान बिना रोके सीधे ईरान के भीतर घुस सकते हैं। इसी रास्ते से इजरायल ने मशहद एयरपोर्ट पर हमला कर 2,300 किलोमीटर दूर एक ईंधन टैंकर विमान को नष्ट कर दिया।
न्यूक्लियर साइट्स और वैज्ञानिक बने निशाना
इजरायली वायु सेना ने नतांज, इस्फहान और फोर्डो स्थित परमाणु केंद्रों को निशाना बनाया। इससे यूरेनियम संवर्धन में इस्तेमाल होने वाली मशीनों को नुकसान पहुंचा है। इसके अलावा ईरान के शीर्ष वैज्ञानिक भी इन हमलों में मारे गए हैं, जिनमें मोहम्मद मेहदी तेहरांची और फेरेयदौन अब्बासी-दवानी जैसे बड़े नाम शामिल हैं।
टॉप सैन्य नेतृत्व की भी मौत
हमलों में ईरान के कई शीर्ष सैन्य अधिकारी मारे गए हैं। इनमें ईरानी सेना के प्रमुख मेजर जनरल मोहम्मद बघेरी, IRGC कमांडर हुसैन सलामी, और कई अन्य जनरल शामिल हैं। इस हमले से ईरान की सैन्य कमान को बड़ा झटका लगा है।
ईरान का जोरदार जवाब
ईरान ने भी पलटवार करते हुए 200 से ज्यादा मिसाइलें और ड्रोन इजरायल की ओर भेजे। इनमें से कुछ मिसाइलें इजरायली आयरन डोम को चकमा देने में कामयाब रहीं। तेल अवीव, रमात गान और रेहोवोट में कई इमारतें ध्वस्त हो गईं। ईरान ने हाइफा बंदरगाह और डिमोना जैसे महत्वपूर्ण ठिकानों को भी निशाना बनाया।
वैज्ञानिक संस्थान और सैन्य ठिकाने भी प्रभावित
ईरानी हमले में वीज़मैन साइंस इंस्टिट्यूट, किरयात गत, और नेगेव रेगिस्तान में बने सैन्य ठिकानों पर भी निशाना साधा गया। ईरान ने इस दौरान “शाहेद हाज कासिम” मिसाइलों का इस्तेमाल किया, जिनका वजन 600 से 1500 पाउंड तक था।
इजरायल में आपातकाल
ईरान के जवाबी हमले के बाद इजरायल ने पूरे देश में राष्ट्रीय आपातकाल घोषित कर दिया है। तेल अवीव, यरुशलम और हाइफा जैसे शहरों में हवाई हमले के सायरन बजाए गए और लाखों लोग बंकरों में छिप गए हैं।
स्थिति बेहद नाज़ुक
अब हालात बेहद तनावपूर्ण हैं और क्षेत्रीय युद्ध का खतरा मंडरा रहा है। दोनों देशों की सेनाएं हाई अलर्ट पर हैं। दुनियाभर की निगाहें अब इस संकट पर टिकी हैं कि कहीं यह टकराव किसी बड़े युद्ध में न बदल जाए।
यह संघर्ष अब सिर्फ दो देशों तक सीमित नहीं रहा, बल्कि इसकी लपटें पूरे पश्चिम एशिया को झुलसा सकती हैं।