
स्विट्ज़रलैंड के बैंकों में जमा भारतीयों का पैसा 2024 में अचानक तीन गुना बढ़कर करीब 3.5 अरब स्विस फ्रैंक यानी लगभग 37,600 करोड़ रुपये हो गया है। यह जानकारी स्विस नेशनल बैंक (SNB) द्वारा जारी किए गए ताज़ा आंकड़ों से सामने आई है।
क्यों हुआ इतना बड़ा इज़ाफ़ा?
यह बढ़ोतरी मुख्य रूप से स्थानीय शाखाओं और अन्य वित्तीय संस्थानों में रखी गई रक़म के कारण हुई है। हालांकि, भारतीयों के निजी खातों में जमा राशि में केवल 11% की बढ़ोतरी देखी गई है। अब यह रक़म 346 मिलियन स्विस फ्रैंक (लगभग 3,675 करोड़ रुपये) हो गई है।
पिछले साल क्या स्थिति थी?
वर्ष 2023 में स्विस बैंकों में जमा भारतीयों की रकम में 70% की गिरावट आई थी। उस समय यह रकम 1.04 अरब स्विस फ्रैंक रह गई थी, जो कि चार सालों में सबसे कम थी। तुलना करें तो 2021 में यह आंकड़ा 3.83 अरब स्विस फ्रैंक था, जो कि 14 सालों में सबसे ज्यादा था।
2024 में किस श्रेणी में कितना पैसा जमा है?
2024 में स्विस बैंकों में भारतीयों की कुल जमा राशि इस प्रकार है:
-
ग्राहकों द्वारा सीधे जमा – 346 मिलियन स्विस फ्रैंक
-
अन्य बैंकों के माध्यम से जमा – 3.02 अरब स्विस फ्रैंक
-
ट्रस्ट्स और संस्थानों के माध्यम से – 41 मिलियन फ्रैंक
-
बांड्स और अन्य वित्तीय उत्पादों में निवेश – 135 मिलियन फ्रैंक
काले धन से कोई सीधा संबंध नहीं
स्विस नेशनल बैंक द्वारा जारी यह डेटा केवल आधिकारिक रूप से जमा धन को दर्शाता है। इसका कथित काले धन से कोई सीधा संबंध नहीं है। इसमें वे रकमें शामिल नहीं हैं, जो गुमनाम तौर पर तीसरे देशों के रास्ते निवेश की गई हैं। इस वजह से यह आंकड़ा भारत से अवैध रूप से बाहर गए काले धन का सटीक प्रतिबिंब नहीं माना जा सकता।
भारत की रैंकिंग में सुधार
विदेशी खाता धारकों की सूची में भारत की स्थिति बेहतर हुई है। भारत अब 48वें स्थान पर पहुंच गया है, जबकि पिछले साल यह 67वें स्थान पर था। हालांकि 2022 में भारत की रैंकिंग 46वीं थी, इसलिए यह मामूली गिरावट भी मानी जा सकती है।
ब्रिटेन, अमेरिका और वेस्ट इंडीज़ जैसे देश इस सूची में सबसे ऊपर हैं। भारत अब शीर्ष 50 देशों की सूची में शामिल हो गया है।
अन्य देशों की स्थिति
-
बांग्लादेश के नागरिकों के स्विस बैंकों में जमा पैसे में भारी इज़ाफा हुआ है। 2023 में जहां यह राशि सिर्फ 18 मिलियन थी, अब बढ़कर 589 मिलियन फ्रैंक हो गई है।
-
इसके उलट, पाकिस्तानियों की जमा रकम 286 मिलियन फ्रैंक से घटकर 272 मिलियन फ्रैंक रह गई है।
भारत और स्विट्ज़रलैंड के बीच सहयोग
2018 से भारत और स्विट्ज़रलैंड के बीच AEOI (Automatic Exchange of Information) प्रणाली लागू है। इसके तहत दोनों देश हर साल भारतीय खाता धारकों की वित्तीय जानकारी का आदान-प्रदान करते हैं। अब तक सैकड़ों मामलों की जांच और डेटा का आदान-प्रदान हो चुका है।
स्विस बैंकों में भारतीयों की जमा राशि में आई यह बड़ी बढ़ोतरी कई सवाल भी खड़े करती है, लेकिन यह भी साफ है कि यह पैसा वैध माध्यमों से आया है। सरकार और एजेंसियां अब इस डेटा का विश्लेषण कर यह सुनिश्चित करने की कोशिश करेंगी कि कहीं कोई कर चोरी या गलत गतिविधि तो नहीं हो रही है। आने वाले समय में यह एक अहम आर्थिक मुद्दा बन सकता है।