
पंजाब में पानी की लगातार घटती मात्रा को देखते हुए मुख्यमंत्री भगवंत मान ने एक अहम बैठक की। इस बैठक में राज्य में पानी बचाने और बेहतर जल प्रबंधन के लिए कई बड़े फैसले लिए गए। मुख्यमंत्री ने “इंटीग्रेटेड स्टेट वॉटर प्लान” लागू करने का ऐलान किया, जिसका मकसद राज्य में जल संकट को दूर करना है।
मुख्यमंत्री ने राज्य के 115 ब्लॉकों में गिरते भूजल स्तर पर चिंता जताई और अधिकारियों को ठोस और तेज़ कदम उठाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि अगर अभी कदम नहीं उठाए गए, तो भविष्य में पानी की भारी कमी हो सकती है, जो खेती और लोगों के जीवन को बुरी तरह प्रभावित करेगी।
बैठक में ड्रिप सिंचाई और फसल विविधता (फसल डायवर्सिफिकेशन) जैसे उपायों पर ज़ोर दिया गया, ताकि कम पानी में भी खेती की जा सके। साथ ही, सतही जल (नहरों और तालाबों का पानी) के बेहतर उपयोग की योजना बनाई गई, जिससे भूजल पर निर्भरता कम हो सके।
मुख्यमंत्री ने घग्गर नदी के पानी को साफ कर दोबारा उपयोग में लाने की बात कही। इसके अलावा, ट्यूबवेल मीटरिंग को भी ज़रूरी बताया गया ताकि यह पता चल सके कि कहां और कितना पानी इस्तेमाल हो रहा है।
एक खास बात यह भी रही कि इस योजना में निजी कंपनियों और आम लोगों की भागीदारी बढ़ाने का फैसला लिया गया है। इसके लिए CSR फंड का बेहतर उपयोग किया जाएगा ताकि जल संरक्षण से जुड़े प्रोजेक्ट्स को और मज़बूती मिल सके।
“पानी बचाओ, पैसा कमाओ” योजना के तहत किसानों को पानी बचाने के लिए न सिर्फ जागरूक किया जाएगा, बल्कि उन्हें प्रोत्साहन भी दिया जाएगा। इससे न सिर्फ किसानों को फायदा होगा, बल्कि जल संरक्षण को भी बढ़ावा मिलेगा।
मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा कि सरकार पूरी तरह से जल संकट से निपटने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने लोगों से भी अपील की कि वे पानी की बर्बादी न करें और जल संरक्षण में अपना योगदान ज़रूर दें।
यह योजना आने वाले समय में पंजाब के जल संकट को काफी हद तक कम कर सकती है और राज्य को एक बेहतर जल भविष्य की ओर ले जा सकती है।