
ईरान और इज़राइल के बीच चल रहा तनाव अब गंभीर रूप लेता जा रहा है। हालात इतने बिगड़ चुके हैं कि अमेरिका को भी इस संघर्ष में दखल देना पड़ा है। अमेरिका की इस एंट्री ने न सिर्फ पश्चिम एशिया बल्कि पूरी दुनिया की चिंता बढ़ा दी है। ऐसे माहौल में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी सक्रिय भूमिका निभाते हुए ईरान के नए राष्ट्रपति मसूद पेज़ेशकीअन से बातचीत की है।
प्रधानमंत्री मोदी ने इस बातचीत की जानकारी अपने एक्स (पूर्व ट्विटर) अकाउंट के ज़रिए दी। उन्होंने लिखा कि उन्होंने ईरान के राष्ट्रपति से मौजूदा हालात पर विस्तार से चर्चा की और हाल ही में बढ़े तनाव पर गहरी चिंता ज़ाहिर की। उन्होंने बातचीत, कूटनीति और तनाव कम करने की अपील दोहराई, ताकि क्षेत्र में जल्द शांति और स्थिरता बहाल हो सके।
मोदी ने साफ किया कि भारत हमेशा से शांति और संवाद का पक्षधर रहा है। उन्होंने ज़ोर दिया कि खाड़ी क्षेत्र में स्थिरता केवल बातचीत और कूटनीतिक रास्तों से ही संभव है। इस क्षेत्र में लंबे समय से भारत के आर्थिक, सामरिक और सामाजिक हित जुड़े हुए हैं, ऐसे में भारत की चिंता स्वाभाविक है।
अमेरिका का बड़ा हमला
इस पूरी स्थिति में सबसे बड़ा मोड़ तब आया जब अमेरिका ने देर रात ईरान की तीन परमाणु साइटों पर हमला कर दिया। इन साइटों में फोर्दो, नतांज़ और इस्फ़हान शामिल हैं। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस हमले की पुष्टि करते हुए कहा कि अमेरिका की सेना ने ऑपरेशन को पूरी सावधानी और सुरक्षा के साथ अंजाम दिया, और हमारे सभी फाइटर जेट सुरक्षित ईरान के हवाई क्षेत्र से बाहर निकल आए।
ट्रंप ने कहा कि यह दुनिया की सबसे सशक्त सेना का नमूना है और अब समय है कि इस क्षेत्र में शांति कायम की जाए। हालांकि, इस हमले के बाद तनाव और बढ़ने की आशंका जताई जा रही है, क्योंकि ईरान इस पर जवाबी कार्रवाई कर सकता है।
इज़राइल का दावा
इज़राइल ने भी अपने स्तर पर हमले तेज़ किए हैं। इज़राइली सरकार का दावा है कि उन्होंने अब तक ईरान के 10 वैज्ञानिकों, 3 कमांडरों और 4 सैनिकों को निशाना बनाकर मार गिराया है। यह जानकारी सामने आने के बाद माहौल और ज़्यादा गर्म हो गया है।
दुनिया की नज़र
ईरान, इज़राइल और अब अमेरिका के बीच बढ़ते टकराव ने पूरी दुनिया को चिंता में डाल दिया है। भारत जैसे बड़े देश शांति की अपील कर रहे हैं, लेकिन ज़मीनी हालात किसी बड़े युद्ध की ओर संकेत कर रहे हैं।
अब सबकी नज़र आने वाले दिनों में इस बात पर टिकी है कि क्या यह देश बातचीत के ज़रिए समाधान निकालते हैं या फिर दुनिया को एक और बड़ी जंग का सामना करना पड़ेगा।