
दुनिया में जब भी तनाव या युद्ध जैसे हालात बनते हैं, तो आमतौर पर निवेशक अपने पैसे को सुरक्षित रखने के लिए सोने की ओर रुख करते हैं। इससे सोने की कीमतों में तेजी देखने को मिलती है। लेकिन इस बार मामला थोड़ा अलग है। ईरान और इज़राइल के बीच चल रहे तनाव और अमेरिका की ओर से ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमले के बावजूद, सोने की कीमतों में कोई बड़ा उछाल देखने को नहीं मिला।
सोने की कीमतों में गिरावट क्यों?
सोमवार को अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने की कीमत 0.27% तक गिर गई। भारत में मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (MCX) पर दोपहर 2 बजे तक सोना लगभग स्थिर था और मामूली 0.06% की गिरावट के साथ कारोबार कर रहा था।
रुपया कमजोर, लेकिन सोना फिर भी स्थिर
एक तरफ डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपया कमजोर होकर 86.72 पर पहुंच गया है, दूसरी तरफ कच्चे तेल की कीमतें बढ़ रही हैं। ऐसे में आमतौर पर सोने की कीमतों को समर्थन मिलना चाहिए, लेकिन इस बार ऐसा नहीं हो रहा। विशेषज्ञ मानते हैं कि वैश्विक बाजारों में दबाव और व्यापारिक मात्रा कम होने के कारण सोने में तेजी नहीं आ रही।
पहले तेज़ी आई थी, लेकिन टिक नहीं सकी
इंडिया बुलियन एंड ज्वैलर्स एसोसिएशन के उपाध्यक्ष अक्ष कंबोज का कहना है कि अमेरिकी हमले के तुरंत बाद सोने की कीमतों में थोड़ी तेजी जरूर आई थी, लेकिन यह स्थायी नहीं रही। उन्होंने कहा कि अब बाजार को किसी नए ट्रिगर की तलाश है।
भू-राजनीतिक जोखिम पहले से था शामिल
महिता इक्विटीज़ के उपाध्यक्ष राहुल कलंतरी बताते हैं कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोमवार को सोना करीब $3,360 प्रति औंस और चांदी $36 प्रति औंस पर रही। लेकिन व्यापार की मात्रा कम रही और बाजार में अस्थिरता भी ज्यादा नहीं थी। इससे यह संकेत मिलता है कि शायद बाजार ने पहले ही इस भू-राजनीतिक तनाव को अपने आकलन में शामिल कर लिया था।
क्या अब सोने की कीमतें फिर से बढ़ेंगी?
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने संकेत दिए हैं कि अगर ईरान शांति के लिए तैयार नहीं होता, तो अमेरिका आगे और कड़ी सैन्य कार्रवाई कर सकता है। ऐसे में अगर हालात और बिगड़ते हैं, तो निवेशकों में डर का माहौल बन सकता है और वे फिर से सोने में निवेश बढ़ा सकते हैं।
हालांकि अक्ष कंबोज का मानना है कि जब तक ईरान की ओर से कोई जवाबी कार्रवाई नहीं होती, तब तक सोने में बड़ी तेजी की उम्मीद नहीं की जा सकती। फिलहाल सोने की अंतरराष्ट्रीय कीमत $3,500 प्रति औंस का स्तर पार नहीं कर पा रही है, जो एक मजबूत तेजी का संकेत हो सकता था।
बाजार किन बातों पर नजर रख रहा है?
विशेषज्ञों के अनुसार, ईरान-इज़राइल के अलावा बाजार अमेरिकी आर्थिक आंकड़ों और फेडरल रिज़र्व की नीतियों पर भी नजर रख रहा है। इस हफ्ते फेड चेयरमैन जेरोम पॉवेल की अमेरिकी संसद में पेशी और महंगाई से जुड़े आंकड़े बाजार की दिशा तय कर सकते हैं।
हालात गंभीर होने के बावजूद, बाजार अब पहले से ज्यादा सतर्क और समझदार हो गया है। जब तक कोई बड़ा नया घटनाक्रम नहीं होता, तब तक सोने की कीमतें स्थिर रह सकती हैं। निवेशकों को फिलहाल धैर्य रखने की जरूरत है।