
आज यानी 23 जून को भारतीय शेयर बाज़ार में गिरावट देखने को मिली। बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) का प्रमुख सूचकांक Sensex 511 अंक गिरकर 81,896 के स्तर पर बंद हुआ, जबकि नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) का Nifty 50 भी 140 अंक टूटकर 24,971 पर बंद हुआ। यह गिरावट मुख्य रूप से अंतरराष्ट्रीय तनाव, खासकर अमेरिका और ईरान के बीच बढ़ते संघर्ष, तथा वैश्विक बाज़ारों से मिले कमजोर संकेतों के कारण आई।
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क्यों गिरा बाजार?
1. ईरान-अमेरिका तनाव
मध्य पूर्व में तनाव फिर से बढ़ गया है। अमेरिका ने ईरान के एक परमाणु ठिकाने पर हवाई हमला किया है। इससे तेल की कीमतें चढ़ गईं और निवेशकों के बीच डर का माहौल बन गया। इससे वैश्विक बाज़ारों में भी गिरावट आई और भारत भी इससे अछूता नहीं रहा।
2. IT सेक्टर में कमजोरी
Accenture जैसी बड़ी अंतरराष्ट्रीय कंपनी की कमजोर आउटसोर्सिंग रिपोर्ट के कारण IT सेक्टर में बिकवाली देखने को मिली। इससे Nifty IT इंडेक्स लगभग 1.5% गिरा, जिसने पूरे बाज़ार पर दबाव बनाया।
3. तेल महंगा, महंगाई की चिंता
कच्चे तेल की कीमतों में उछाल से भारत जैसे देश, जो बड़ी मात्रा में तेल आयात करते हैं, पर महंगाई का खतरा बढ़ जाता है। इससे केंद्रीय बैंक की ब्याज दरों में कटौती की उम्मीदें भी कमजोर हो जाती हैं, जो बाजार के लिए नकारात्मक संकेत हैं।
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किन सेक्टर्स पर पड़ा असर?
IT, बैंकिंग, ऑटो और FMCG सेक्टरों में गिरावट देखने को मिली।
वहीं Midcap और Smallcap शेयरों में थोड़ी मजबूती दिखी।
Nifty Midcap में 0.36% और Smallcap में 0.70% की बढ़त रही।
बाज़ार की अस्थिरता को मापने वाला India VIX भी 2.74% चढ़कर 14.05 तक पहुंच गया, जो दर्शाता है कि निवेशक फिलहाल सतर्क हैं।
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आज का कारोबार कैसा रहा?
दिन की शुरुआत से ही बाज़ार में कमजोरी रही। Sensex ने दिन के दौरान करीब 900 अंकों की गिरावट देखी और एक समय यह 81,476 के स्तर तक फिसल गया। हालांकि आखिरी घंटों में कुछ रिकवरी हुई, जिससे यह 81,896 पर बंद हुआ। इसी तरह Nifty ने भी 24,871 का निचला स्तर छुआ और अंत में 24,971 पर बंद हुआ।
— आगे क्या?
बाजार पर अगले कुछ दिन मध्य पूर्व में बढ़ते तनाव का असर बना रह सकता है।
अगर ईरान या इज़राइल की ओर से कोई जवाबी कार्रवाई होती है, तो बाजार और नीचे जा सकता है।
इस हफ्ते अमेरिका के फेडरल रिज़र्व अध्यक्ष जेरोम पॉवेल की संसद में गवाही और महंगाई से जुड़े आंकड़े भी बाज़ार की दिशा तय करेंगे।
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आज की गिरावट यह दिखाती है कि वैश्विक घटनाओं का असर भारतीय शेयर बाजार पर तेज़ी से होता है। निवेशकों को इस समय सतर्क रहने की जरूरत है। हालांकि मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों में थोड़ी मजबूती ने यह संकेत जरूर दिया है कि कुछ क्षेत्रों में उम्मीदें बरकरार हैं। यदि भू-राजनीतिक हालात जल्द स्थिर होते हैं, तो बाजार में फिर से सुधार देखने को मिल सकता है।