
पंजाब के पूर्व मंत्री और शिरोमणि अकाली दल के वरिष्ठ नेता बिक्रम सिंह मजीठिया की गिरफ्तारी के बाद पंजाब सरकार में कैबिनेट मंत्री लाल चंद कटारूचक्क ने तीखा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि यह वह दिन है जिसे पंजाब के लोग हमेशा याद रखेंगे, क्योंकि पहली बार किसी सरकार ने नशे के बड़े मगरमच्छों पर कार्रवाई की है।
मंत्री कटारूचक्क का आरोप
मंत्री ने साफ कहा कि अगर बिक्रम मजीठिया बिल्कुल निर्दोष हैं, तो उन्हें किसी भी जांच या कानूनी कार्रवाई से डरने की ज़रूरत नहीं है। उन्होंने अकाली नेताओं को सलाह दी कि वे इस मामले को राजनीतिक रंग देने की बजाय, सच का साथ दें।
कटारूचक्क ने दावा किया कि नशा तस्करों की वजह से पंजाब में एक पूरी पीढ़ी बर्बाद हुई। उन्होंने याद दिलाया कि अकाली-भाजपा सरकार के 10 सालों के कार्यकाल में “चिट्टा” नामक ड्रग पंजाब में बहुत प्रचलित हुआ और सरकारी गाड़ियों में तक ड्रग्स पहुंचाए गए।
पूर्व डीएसपी जगदीश भोला के हवाले से उन्होंने बताया कि राज्य में नशा व्यापार राजनीतिक संरक्षण में ही चलता था। भोला ने खुद कबूल किया था कि कई नेताओं की शह पर यह सब हो रहा था।
जनता के मन की आवाज़
मंत्री ने बताया कि उस दौर में पंजाब के युवाओं के बीच नशा इस कदर फैल गया था कि आम जनता की ज़ुबान पर गीत बन गए थे – “सरकारें ही बेचती हैं नशा, तभी तो खुलेआम बिकता है।” उन्होंने कहा कि बिक्रम मजीठिया उन नेताओं में से हैं जिनका नाम सबसे ज्यादा बदनाम चेहरों में आता है, जिन्होंने पंजाब में नशा फैला कर राज्य को नुकसान पहुंचाया।
विपक्ष पर हमला
कटारूचक्क ने बीजेपी, अकाली दल और कांग्रेस नेताओं को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि जो लोग कल तक सरकार को चुनौती देते थे कि बड़े मगरमच्छों को पकड़ो, अब वही लोग मजीठिया की गिरफ्तारी पर सवाल उठा रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि आज यह साफ हो गया है कि ये दल नशा तस्करों के साथ खड़े हैं।
समर्थन की अपील
मंत्री ने कहा कि विपक्ष का अधिकार है कि वह सवाल उठाए, लेकिन नशा जैसे गंभीर मुद्दे पर राजनीति से ऊपर उठकर सरकार का साथ देना चाहिए। उन्होंने जोर देकर कहा कि पंजाब सरकार का मकसद है “रंगला पंजाब” बनाना, और इसके लिए नशे की जड़ों को पूरी तरह काटना जरूरी है।
कैबिनेट मंत्री के बयान ने स्पष्ट कर दिया है कि पंजाब सरकार इस बार पीछे हटने के मूड में नहीं है। अब तक जो लोग सत्ता में रहकर कानून से बचते रहे, वे भी अब कार्रवाई के घेरे में आ रहे हैं। सरकार की यह मुहिम सिर्फ कानून नहीं, बल्कि पंजाब की नई पीढ़ी को बचाने की दिशा में एक ठोस कदम है।