Shambhu border: सुप्रीम कोर्ट 22 अगस्त को पंजाब-हरियाणा बॉर्डर पर स्थित शंभू बॉर्डर खोलने के मामले की महत्वपूर्ण सुनवाई करेगा। उच्चतम न्यायालय वार्ताकारों के पैनल के नामों पर निर्णय ले सकता है जो किसानों से बातचीत करेंगे। इससे पहले, 12 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई में अदालत ने कहा था कि अंबाला और पटियाला के एसएसपी बैठक कर देखें कि सड़कें जरूरतमंद लोगों के लिए खोली जा सकें।
कब से बंद है और कौन-कौन सी संगठन प्रदर्शन कर रही हैं?
किसान 13 फरवरी से शंभू बॉर्डर पर डेरा डाले हुए हैं। संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा (KMM) ने अपनी मांगों के समर्थन में दिल्ली मार्च की घोषणा की थी। किसानों के दिल्ली मार्च को देखते हुए, हरियाणा सरकार ने अंबाला-नई दिल्ली राष्ट्रीय राजमार्ग पर बैरिकेड्स लगा दिए ताकि उन्हें रोका जा सके। पुलिस ने किसानों को शंभू बॉर्डर पर ही रोक दिया। पिछले सात महीनों से किसान वहीं डटे हुए हैं।
किसानों की मांगें
किसानों ने विभिन्न मांगों के समर्थन में दिल्ली मार्च की घोषणा की थी, जिसमें फसलों के लिए कानूनी गारंटी वाली न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की मांग शामिल है। इसके बाद, हरियाणा सरकार ने फरवरी में अंबाला-नई दिल्ली राष्ट्रीय राजमार्ग पर बैरिकेड्स लगा दिए। किसानों की मुख्य मांग MSP से संबंधित है। MSP वह कीमत है जिस पर सरकार किसानों से कृषि उत्पाद खरीदती है। देश में कुल 22 फसलों के लिए MSP है, जिसमें मुख्यतः धान, दालें और तिलहन शामिल हैं। इसके अलावा, किसानों की अन्य मांगें निम्नलिखित हैं:
- सरकार को किसानों और श्रमिकों का कर्ज माफ करना चाहिए।
- सरकार को 2013 की भूमि अधिग्रहण अधिनियम को लागू करना चाहिए।
- लखीमपुर में हिंसा के आरोपी को सजा दी जानी चाहिए।
- विश्व व्यापार संगठन (WTO) से बाहर निकलना चाहिए।
- सभी फ्री ट्रेड एग्रीमेंट पर प्रतिबंध लगाना चाहिए।
- किसानों और कृषि श्रमिकों के लिए पेंशन की व्यवस्था की जानी चाहिए।
- दिल्ली में किसान आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले लोगों को पेंशन दी जानी चाहिए।