केरल के वायनाड लोकसभा सीट पर उपचुनाव ने सभी की नज़रें फिर से इस क्षेत्र पर केंद्रित कर दी हैं, क्योंकि इस बार कांग्रेस की वरिष्ठ नेता प्रियंका गांधी वाड्रा चुनावी मैदान में उतर रही हैं। प्रियंका ने बुधवार को नामांकन दाखिल किया, जिसमें कांग्रेस के प्रमुख नेता, जैसे सोनिया गांधी, राहुल गांधी और पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, मौजूद थे। इस उपचुनाव को प्रियंका के चुनावी सफर की औपचारिक शुरुआत के रूप में देखा जा रहा है, जो कांग्रेस की रणनीतिक चाल है।
वायनाड लोकसभा सीट राहुल गांधी के सांसद रहने के दौरान कांग्रेस का गढ़ बनी रही थी। हालांकि, राहुल गांधी ने अमेठी और वायनाड से चुनाव लड़ा था और वायनाड से सांसद चुने गए थे, लेकिन अब यह सीट खाली हो गई है। अब इस सीट पर प्रियंका गांधी का चुनाव लड़ना, कांग्रेस के लिए एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
प्रियंका गांधी का मुकाबला भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI) के नेता सत्यन मोकेरी और भारतीय जनता पार्टी (BJP) की नव्या हरिदास से है। ये दोनों नेता अपनी योग्यता और अनुभव के कारण चुनाव को दिलचस्प बना रहे हैं।
- सत्यन मोकेरी (CPI): सत्यन मोकेरी CPI के एक प्रमुख और अनुभवी नेता हैं। वह केरल के दिग्गज राजनेताओं में गिने जाते हैं और इस बार वायनाड से चुनाव लड़कर कांग्रेस के खिलाफ मज़बूत प्रतिद्वंदी साबित हो सकते हैं। CPI का केरल में हमेशा से अच्छा जनाधार रहा है, और मोकेरी जैसे अनुभवी नेता का चुनावी मैदान में उतरना वायनाड में कांग्रेस के लिए चुनौती बन सकता है।
- नव्या हरिदास (BJP): नव्या हरिदास भारतीय जनता पार्टी की उम्मीदवार हैं और पेशे से सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं। वह एक युवा और तेज़ तर्रार नेता हैं, जिन्होंने तकनीकी क्षेत्र से राजनीति में कदम रखा है। नव्या हरिदास के चुनाव लड़ने से BJP का ध्यान युवाओं और शहरी मतदाताओं पर केंद्रित है। बीजेपी उन्हें एक उभरते हुए नेता के रूप में प्रस्तुत कर रही है, जो कांग्रेस के वर्चस्व को चुनौती दे सकती हैं।
वायनाड सीट पर कांग्रेस की पकड़ मानी जाती है, लेकिन इन दो प्रभावशाली उम्मीदवारों के मैदान में होने से चुनावी माहौल में कड़ा मुकाबला देखने को मिलेगा। प्रियंका गांधी का चुनाव में उतरना न केवल कांग्रेस के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह उनके व्यक्तिगत राजनीतिक भविष्य के लिए भी अहम है।
कांग्रेस की ओर से प्रियंका गांधी को एक बड़े चेहरे के रूप में पेश किया जा रहा है, और पार्टी को उम्मीद है कि उनका नाम और लोकप्रियता पार्टी के लिए वायनाड में जीत सुनिश्चित करेगा। वहीं, CPI और BJP भी अपने-अपने उम्मीदवारों के लिए पूरी ताकत झोंक रहे हैं, ताकि वे इस चुनाव को प्रियंका गांधी के खिलाफ मोड़ सकें।
प्रियंका गांधी के चुनावी मैदान में उतरने के साथ ही वायनाड उपचुनाव न केवल केरल बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी ध्यान आकर्षित कर रहा है। इस चुनावी मुकाबले के परिणाम से यह भी स्पष्ट हो सकेगा कि कांग्रेस की लोकप्रियता अभी भी बरकरार है या अन्य दलों ने उसे चुनौती देने की ताकत हासिल कर ली है।
नव्या ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया था कि जब वह 2015 में अपने बच्चों के साथ छुट्टियां मनाने कोझिकोड गईं तो कैसे आकस्मिक राजनीतिज्ञ बन गईं. उन्होंने कहा, “चुनाव का समय था, और भाजपा ने मेरे परिवार की संघ परिवार की पृष्ठभूमि को देखते हुए मुझे टिकट देने के लिए संपर्क किया. मुझे निगम में सामान्य सीट से मैदान में उतारा गया. रातों-रात मैं उम्मीदवार बन गई. मेरी योजना थी कि अगर मैं हार जाती तो सिंगापुर लौट जाती. लेकिन मैं कभी वापस नहीं लौटी और एक के बाद एक दो चुनाव जीत गई.”
नव्या हरिदास को पहले भी चुनावी अनुभव है. उन्होंने 2021 के विधानसभा चुनाव में कोझिकोड दक्षिण विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा था, जहां वह तीसरे स्थान पर रहीं, लेकिन भाजपा के वोट शेयर में उल्लेखनीय वृद्धि की. लोगों के प्रतिनिधित्व और स्थानीय शासन में पृष्ठभूमि रखने वाली नव्या ने अपनी प्रतिद्वंद्वी प्रियंका गांधी और गांधी परिवार की आलोचना करते हुए कहा कि कांग्रेस ने वायनाड भूस्खलन के दौरान पर्याप्त काम नहीं किया, जिसमें पहाड़ी जिले में 400 से अधिक लोग मारे गए थे. नव्या ने कहा, “वायनाड गांधी परिवार के लिए दूसरी सीट मात्र है.”
वाम मोर्चे की मजबूत आवाज रहे हैं सत्यन मोकेरी
वायनाड में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) के उम्मीदवार सत्यन मोकेरी तीसरे बड़े नाम हैं. मोकेरी केरल की राजनीति में लंबे करियर वाले एक अनुभवी राजनेता हैं. अक्सर केरल विधानसभा के दहाड़ते शेर के रूप में जाने जाने वाले मोकेरी वाम मोर्चे की एक मजबूत आवाज रहे हैं. वे एक अनुभवी कम्युनिस्ट नेता हैं. स्वतंत्रता सेनानी पी केलप्पन नायर और कल्याणी मोकेरी के घर जन्मे, उन्होंने अखिल भारतीय छात्र संघ (एआईएसएफ) इकाई के सचिव के रूप में सार्वजनिक जीवन में प्रवेश किया.