आदित्य ठाकरे, शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के प्रमुख उद्धव ठाकरे के बेटे, ने बुधवार (24 अक्टूबर 2024) को वर्ली विधानसभा सीट से अपने नामांकन दाखिल कर दिया। आदित्य ठाकरे ने 2019 में पहली बार इसी सीट से चुनाव लड़ा और बड़ी जीत दर्ज की थी। इस बार के चुनाव में भी आदित्य ने विश्वास जताया है कि जनता का समर्थन और महाविकास अघाड़ी (MVA) का गठबंधन उन्हें फिर से विजयी बनाएगा। आदित्य ने नामांकन दाखिल करने से पहले वर्ली में एक भव्य रैली निकाली, जिसमें बड़ी संख्या में समर्थकों और पार्टी कार्यकर्ताओं ने हिस्सा लिया।
आदित्य का विश्वास: MVA की जीत
नामांकन के बाद आदित्य ठाकरे ने अपनी उम्मीदों और राजनीतिक संदेशों को स्पष्ट किया। उन्होंने कहा, “मुझे विश्वास है कि जनता मुझे अपने वोट और आशीर्वाद से समर्थन देगी। हम महाराष्ट्र में सरकार बनाने वाले हैं, और यह सुनिश्चित करेंगे कि महाविकास अघाड़ी (MVA) की जीत हो।” आदित्य ने यह भी कहा कि लोकतंत्र में विभिन्न पार्टियों के बीच प्रतिस्पर्धा होनी चाहिए, लेकिन अंततः MVA की जीत निश्चित है। उनका कहना था कि यह चुनाव सिर्फ राजनीतिक नहीं, बल्कि महाराष्ट्र की अस्मिता और पहचान की लड़ाई है, और MVA इस लड़ाई को नेतृत्व कर रहा है।
बेरोजगारी और महाराष्ट्र की लूट के खिलाफ लड़ाई
आदित्य ठाकरे ने अपनी चुनावी रणनीति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा महाराष्ट्र की बेरोजगारी और भ्रष्टाचार को बनाया है। उन्होंने कहा, “हमारा राज्य बेरोजगारी की समस्या से जूझ रहा है, और हम महाराष्ट्र की लूट के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे हैं।” उनका कहना है कि उनकी पार्टी राज्य में विकास और रोजगार सृजन पर केंद्रित रहेगी। इसके साथ ही आदित्य ने यह भी संकेत दिए कि वे युवाओं के मुद्दों को प्रमुखता से चुनावी अभियान में शामिल करेंगे।
महाविकास अघाड़ी की सीट साझेदारी
इस बार का महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव कई मायनों में खास है, खासकर शिवसेना में विभाजन के बाद। महाविकास अघाड़ी (MVA), जिसमें उद्धव ठाकरे की शिवसेना, शरद पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) और कांग्रेस शामिल हैं, के बीच सीट साझेदारी हो चुकी है। इसके तहत उद्धव ठाकरे की पार्टी को 85 सीटों पर चुनाव लड़ने का मौका मिला है। इसी के तहत आदित्य ठाकरे वर्ली सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। पार्टी ने मंगलवार को अपने प्रत्याशियों की पहली सूची जारी की थी, जिसमें 65 उम्मीदवारों के नाम शामिल हैं।
वर्ली सीट का इतिहास और आदित्य का प्रदर्शन
वर्ली विधानसभा सीट का राजनीतिक इतिहास काफी समृद्ध रहा है। इस सीट पर 1962 से लेकर अब तक चार बार कांग्रेस, एक बार राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP), एक बार कम्युनिस्ट पार्टी (CPI), और छह बार अविभाजित शिवसेना ने जीत दर्ज की है। आदित्य ठाकरे ने 2019 में इस सीट से पहली बार चुनाव लड़ा था, जिसमें उन्होंने एनसीपी के उम्मीदवार सुरेश माने को बड़े अंतर से हराया था। आदित्य को 2019 में वर्ली से 89,248 वोट मिले थे, जबकि उनके प्रतिद्वंद्वी माने को काफी कम वोट मिले थे।
इस बार का चुनाव वर्ली सीट पर काफी खास माना जा रहा है, क्योंकि शिवसेना में विभाजन हो चुका है। पार्टी के बंटवारे के बाद अब शिवसेना के दो गुट— उद्धव ठाकरे का गुट और एकनाथ शिंदे का गुट—आमने-सामने हैं। ऐसे में वर्ली का चुनावी संघर्ष केवल व्यक्तिगत राजनीतिक करियर से नहीं, बल्कि पार्टी की एकता और समर्थन पर भी एक महत्वपूर्ण कसौटी साबित होगा।
शिवसेना का विभाजन और वर्ली चुनाव की अनिश्चितता
शिवसेना का विभाजन, जो पिछले कुछ समय से महाराष्ट्र की राजनीति में एक बड़ा मुद्दा बना हुआ है, इस चुनाव को अलग दिशा दे सकता है। वर्ली में शिवसेना की मजबूत पकड़ रही है, लेकिन पार्टी में आई दरार इस सीट के चुनावी नतीजों पर असर डाल सकती है। आदित्य ठाकरे के सामने यह चुनौती है कि वे शिवसेना के पारंपरिक समर्थकों को एकजुट रख सकें और अपने पक्ष में वोट हासिल कर सकें। दूसरी तरफ, एकनाथ शिंदे गुट का असर भी देखा जा सकता है, जिससे चुनावी परिणाम पर अनिश्चितता बनी हुई है।
आदित्य ठाकरे की वर्ली सीट से नामांकन के साथ महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव की सरगर्मी तेज हो गई है। महाविकास अघाड़ी की मजबूत उपस्थिति और शिवसेना के विभाजन के बीच, वर्ली का चुनावी नतीजा राज्य की राजनीति के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकता है। आदित्य ठाकरे ने अपने अभियान की शुरुआत मजबूती से की है और जनता का समर्थन प्राप्त करने का भरोसा जताया है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि इस बार के चुनावी संघर्ष में वह किस तरह की जीत हासिल करते हैं और क्या महाविकास अघाड़ी की सरकार फिर से महाराष्ट्र में काबिज होती है।