भारत और चीन के बीच लंबे समय से जारी सीमा विवाद में एक महत्वपूर्ण मोड़ आया है। दोनों देशों ने 21 अक्टूबर को समझौता किया कि वे पूर्वी लद्दाख में लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) पर अपनी सेनाओं को पीछे हटाने की प्रक्रिया शुरू करेंगे। यह कदम न केवल दोनों देशों के बीच तनाव को कम करने के लिए आवश्यक था, बल्कि इसे स्थायी शांति और स्थिरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास भी माना जा रहा है।
सीमा पर सेना की वापसी
सूत्रों के अनुसार, डिस इंगेजमेंट प्रक्रिया 22 अक्टूबर से शुरू हो गई, और 28-29 अक्टूबर तक पूरी होने की उम्मीद है। इस प्रक्रिया के दौरान, दोनों देशों की सेनाएं अपने अस्थायी तंबुओं और सैन्य उपकरणों को हटाने में जुटी हुई हैं। इस दौरान यह भी रिपोर्ट की गई है कि करीब 40 से 50% डिस इंगेजमेंट पहले ही हो चुका है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि यह कदम 2020 के बाद उत्पन्न मुद्दों को हल करने के लिए उठाया गया है, जिसके तहत दोनों देश आपसी सहयोग के साथ आगे बढ़ेंगे।
पेट्रोलिंग की शुरुआत
समझौते के अनुसार, डिस इंगेजमेंट की प्रक्रिया के बाद, 31 अक्टूबर से LAC पर पेट्रोलिंग की प्रक्रिया भी शुरू की जाएगी। भारतीय अधिकारियों ने इस बात की पुष्टि की है कि यह पेट्रोलिंग उन क्षेत्रों में होगी जहां पहले तनाव और टकराव की स्थिति थी। यह कदम न केवल सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह सीमा पर स्थिरता बनाए रखने में भी मदद करेगा।
समझौता किए गए पॉइंट्स
पूर्वी लद्दाख के डेपसांग और डेमचॉक पॉइंट पर भारत और चीन के बीच विशेष ध्यान दिया गया है। यहां पर सेनाओं ने अपने अस्थायी टेंट और सैन्य सामग्री को हटाने की प्रक्रिया शुरू की है। इससे पहले, अप्रैल 2020 में चीनी सेना ने इन क्षेत्रों में अतिक्रमण किया था, जिसके कारण तनाव बढ़ गया था। अब, दोनों पक्षों के बीच हुई यह समझौता प्रक्रिया पूर्वी लद्दाख में स्थिति को सामान्य बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
शांति और स्थिरता की आवश्यकता
भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच हुई हालिया मुलाकात में भी इस मुद्दे पर चर्चा हुई। रूस के कजान में BRICS समिट के दौरान हुई इस मुलाकात में मोदी ने कहा कि सीमा पर शांति और स्थिरता बनाए रखना उनकी प्राथमिकता है। उन्होंने जोर देकर कहा कि इसके लिए आपसी भरोसा और सम्मान की आवश्यकता है। मोदी का कहना था कि पिछले चार सालों में सीमा पर उत्पन्न समस्याओं का समाधान करने के लिए जो सहमति बनी है, उसका स्वागत किया जाना चाहिए।
मतभेदों का समाधान
चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने भी इस बात पर जोर दिया कि दोनों देशों को अपने मतभेदों को सही तरीके से संभालना चाहिए। उनका कहना था कि दोनों देशों को एक-दूसरे के साथ मिलकर काम करना चाहिए ताकि वे अपने विकास के लक्ष्यों को पूरा कर सकें। यह महत्वपूर्ण है कि दोनों पक्ष संवाद और सहयोग के जरिए आगे बढ़ें, ताकि भविष्य में ऐसे तनाव पैदा न हों। इस समझौते के बाद, भारत और चीन के बीच डिस इंगेजमेंट की प्रक्रिया न केवल सीमा पर तनाव को कम करने में मदद करेगी, बल्कि यह दोनों देशों के बीच आपसी संबंधों में सुधार का भी एक अवसर प्रदान करेगी। इससे यह भी स्पष्ट होता है कि दोनों देश शांति और स्थिरता के प्रति प्रतिबद्ध हैं, और वे अपनी समस्याओं को बातचीत के जरिए सुलझाने के लिए तैयार हैं।
यह कदम न केवल क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह वैश्विक स्तर पर भी शांति और स्थिरता की दिशा में एक सकारात्मक संकेत है। भारतीय और चीनी सेनाओं के बीच इस समझौते से यह उम्मीद की जा सकती है कि भविष्य में सीमा पर तनाव को कम करने के लिए और भी कदम उठाए जाएंगे।