दिल्ली भारतीय जनता पार्टी (BJP) के प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा की तबीयत उस वक्त बिगड़ गई जब उन्होंने यमुना नदी के प्रदूषित पानी में डुबकी लगाई। उन्हें सांस लेने में तकलीफ और त्वचा पर खुजली जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ा, जिसके बाद उन्हें दिल्ली के RML नर्सिंग होम में भर्ती कराया गया। सचदेवा ने कहा कि उन्हें पहले कभी सांस लेने में कठिनाई या त्वचा संबंधी समस्याएं नहीं हुईं, यानी ये लक्षण उनके लिए बिल्कुल नए हैं।
दरअसल, वीरेंद्र सचदेवा ने 24 अक्टूबर को यमुना में डुबकी लगाने का फैसला किया था ताकि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के 2025 तक यमुना को साफ करने के वादे पर ध्यान आकर्षित किया जा सके। सचदेवा का कहना था कि केजरीवाल सरकार अपने वादे को पूरा करने में नाकाम रही है, और यमुना का पानी अब भी गंभीर रूप से प्रदूषित है। उनके इस कदम का उद्देश्य दिल्ली की जनता को दिखाना था कि यमुना की सफाई के नाम पर अब तक क्या हासिल नहीं हो सका है।
दिल्ली बीजेपी ने अपने बयान में कहा कि सचदेवा ने जैसे ही डुबकी लगाई, उन्हें त्वचा पर चकत्ते और सांस में तकलीफ महसूस होने लगी। पार्टी का कहना है कि यह स्थिति यमुना के पानी में गंदगी और रासायनिक प्रदूषण का परिणाम है, जो वहां रहने वाले नागरिकों के लिए स्वास्थ्य संबंधी गंभीर समस्याएं पैदा कर सकता है। यमुना नदी में गिरने वाले औद्योगिक कचरे, सीवर का पानी, और रासायनिक प्रदूषकों के कारण इसके पानी की गुणवत्ता बेहद खराब हो चुकी है।
वीरेंद्र सचदेवा के इस विरोध को एक तरफ तो लोगों का ध्यान यमुना की वास्तविक स्थिति पर खींचने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है, वहीं दूसरी ओर इसने यमुना की सफाई के मुद्दे पर राजनीतिक विवाद को और भी तेज कर दिया है। सचदेवा की इस हालत ने यमुना की सफाई को लेकर न केवल दिल्ली सरकार बल्कि केंद्र सरकार की ओर से उठाए गए कदमों पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं।
यमुना की स्वच्छता और इसके पुनर्वास को लेकर जिस तरह से समस्याएं बढ़ रही हैं, यह मामला एक व्यापक सामाजिक और पर्यावरणीय चुनौती के रूप में उभर कर सामने आया है। इससे एक बार फिर यह सोचने का अवसर मिला है कि इस प्रकार की समस्याओं के समाधान के लिए एक ठोस और कारगर नीति की आवश्यकता है, ताकि दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों में स्वच्छ और सुरक्षित जल स्रोत उपलब्ध हो सके।