इजरायल ने हाल ही में एक बड़ी सैन्य कार्रवाई करते हुए ईरान, इराक और सीरिया में कई महत्वपूर्ण ठिकानों पर एक साथ हमले किए। इन हमलों में ईरान के तीन प्रमुख प्रांतों – तेहरान, खुज़ेस्तान और इलम – में एयर डिफेंस सिस्टम को निशाना बनाया गया, जिससे ईरान की रक्षा प्रणाली में गंभीर क्षति पहुंची है। इन हमलों में तेल और पेट्रोकेमिकल रिफाइनरियों की सुरक्षा में तैनात कई एयर डिफेंस सिस्टम भी नष्ट हो गए। ईरान के तीन वरिष्ठ अधिकारियों और तीन इजरायली रक्षा अधिकारियों के अनुसार, हमलों के कारण कुछ महत्वपूर्ण आर्थिक और ऊर्जा सुविधाएं असुरक्षित हो गई हैं, जिससे ईरान में सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ गई है।
एयर डिफेंस सिस्टम का नुकसान
इजरायली हमलों में ईरान के महत्वपूर्ण ऊर्जा केंद्रों पर तैनात एयर डिफेंस सिस्टम को गंभीर क्षति हुई। इस हमले में खुज़ेस्तान प्रांत में स्थित इमाम खुमैनी पेट्रोकेमिकल कॉम्प्लेक्स और अबादान तेल रिफाइनरी की सुरक्षा के लिए तैनात एयर डिफेंस बैटरियों को निशाना बनाया गया, जिससे वे पूरी तरह निष्क्रिय हो गए। इलम प्रांत के तांगे बिजार गैस क्षेत्र की रिफाइनरी पर भी हमले किए गए। इन हमलों के बाद, ईरान में ऊर्जा स्थलों की सुरक्षा को लेकर चिंता और बढ़ गई है, क्योंकि इजरायल ने संकेत दिया है कि वह भविष्य में भी इन ठिकानों को निशाना बना सकता है।
ईरानी अधिकारियों की प्रतिक्रिया
ईरान के कई अधिकारियों ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि इजरायल द्वारा उनके एयर डिफेंस सिस्टम को निशाना बनाने से देश में सुरक्षा की स्थिति पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है। ईरान-इराक चैंबर ऑफ कॉमर्स के सदस्य और ईरान के तेल एवं गैस विशेषज्ञ हामिद हुसैनी ने कहा कि इजरायल के इन हमलों का उद्देश्य ईरान को चेतावनी देना है, ताकि वह इस तनावपूर्ण स्थिति को जारी न रखे। हुसैनी का मानना है कि अगर दोनों देशों के बीच प्रतिशोध की यह लड़ाई जारी रही, तो ईरान की आर्थिक स्थिति और गंभीर हो सकती है, जिससे बड़े पैमाने पर आर्थिक अस्थिरता फैलने का खतरा है।
मृतकों की संख्या में इजाफा संभव
हमलों के बाद ईरानी मीडिया ने बताया कि हमले में एयर डिफेंस सिस्टम में काम कर रहे चार सैनिक मारे गए हैं, जिनमें से दो की पहचान महशहर के निवासी के रूप में हुई है। ईरानी सेना का अनुमान है कि मृतकों की संख्या बढ़ सकती है। इस हमले के बाद ईरान में सुरक्षा व्यवस्था को लेकर संकट की स्थिति उत्पन्न हो गई है और इससे देश के भीतर तनाव और भय का माहौल है।
अमेरिका की मध्यस्थता और वैश्विक चिंताएं
इस हमले से पहले अमेरिका ने इजरायल से आग्रह किया था कि वह ईरान की ऊर्जा, तेल सुविधाओं या परमाणु स्थलों पर हमला न करे, ताकि वैश्विक अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक असर न पड़े और एक क्षेत्रीय युद्ध की स्थिति न बने। अमेरिकी अधिकारियों का मानना है कि अगर इन प्रमुख ऊर्जा स्थलों पर हमला होता है, तो इससे ईरान की प्रतिक्रिया और भी उग्र हो सकती है और क्षेत्रीय शांति खतरे में पड़ सकती है। इजरायल ने अमेरिका की इस सलाह का पालन करते हुए ऊर्जा सुविधाओं को सीधे निशाना नहीं बनाया, बल्कि उनके आसपास तैनात एयर डिफेंस सिस्टम को ही निष्क्रिय कर दिया।
संयुक्त राष्ट्र में ईरान की अपील
हमले के बाद, ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराघची ने संयुक्त राष्ट्र को एक पत्र भेजा, जिसमें इजरायल के इस हमले को “गैरकानूनी और आक्रामक” करार दिया गया। अराघची ने इसे ईरान की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के खिलाफ बताते हुए अंतरराष्ट्रीय समुदाय से इजरायल की निंदा करने की मांग की। ईरानी अधिकारियों का मानना है कि इजरायल द्वारा इस प्रकार के हमले उनकी “रेड लाइन” के उल्लंघन के समान हैं, और अगर यह सिलसिला जारी रहा तो ईरान इसका जोरदार जवाब देगा।
इजरायली रणनीति और क्षति का आकलन
तीन इजरायली अधिकारियों के अनुसार, इन हमलों में इजरायल ने कमांड-एंड-कंट्रोल ट्रेलर और रडार सिस्टम को प्राथमिकता से निशाना बनाया। हमले के बाद सैटेलाइट इमेजरी से भी पता चला कि इजरायल ने पेट्रोकेमिकल कॉम्प्लेक्स की वायु-रक्षा बैटरी पर हमला किया था, लेकिन औद्योगिक परिसर को छोड़ दिया। इससे यह स्पष्ट होता है कि इजरायल ने केवल ईरान की सुरक्षा प्रणाली को कमजोर करने के उद्देश्य से ही इन हमलों को अंजाम दिया, ताकि ईरान की भविष्य की रक्षा प्रणाली कमजोर हो जाए और वह इन हमलों का जवाब देने में असमर्थ रहे।
इस हमले ने ईरान और इजरायल के बीच तनाव को एक नई ऊंचाई पर पहुंचा दिया है। ईरान अपने ऊर्जा केंद्रों की सुरक्षा को लेकर चिंतित है और इजरायल की ओर से इस तरह के हमलों को “रेड लाइन” का उल्लंघन मान रहा है। ईरान की प्रतिक्रिया और इजरायल की रणनीति के बीच इस संघर्ष का स्वरूप व्यापक हो सकता है और इससे क्षेत्रीय स्थिरता को भी बड़ा खतरा हो सकता है।