रविवार को दिल्ली और इसके आसपास के एनसीआर क्षेत्र में वायु गुणवत्ता बेहद खराब श्रेणी में दर्ज की गई, जिससे यह क्षेत्र देश के सबसे प्रदूषित स्थानों में शामिल हो गया। दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 356 पर पहुंच गया, जो हवा की खराब स्थिति को दर्शाता है। दिल्ली के बाद गाजियाबाद, ग्रेटर नोएडा और नोएडा जैसे अन्य शहरों की हवा की गुणवत्ता भी बेहद खराब रही। गाजियाबाद का एक्यूआई 324, ग्रेटर नोएडा का 312 और नोएडा का 304 था। पूरे देश में इन पांचों में से चार सबसे प्रदूषित शहर दिल्ली-एनसीआर के हैं। अन्य प्रदूषित शहरों में अमृतसर भी शामिल है, जहां एक्यूआई 310 दर्ज किया गया।
मौसमी बदलावों के चलते बिगड़े हालात
मौसम विभाग ने अगले सात दिनों में हवा की गुणवत्ता में सुधार की संभावना से इंकार किया है। विशेषज्ञों के अनुसार, हवा की दिशा और गति में बदलाव आने से दिल्ली-एनसीआर में स्मॉग की समस्या बढ़ गई है। रविवार को आईआईटीएम के मुताबिक, हवा की दिशा दक्षिण-पूर्व से थी और इसकी गति केवल 8 किमी/घंटा थी। धीमी गति के कारण प्रदूषक तत्व वातावरण में ही ठहर गए, जिससे क्षेत्र में स्मॉग की परत बन गई।
दिवाली के दौरान प्रदूषण बढ़ने का अनुमान
सीपीसीबी ने चेतावनी दी है कि दिवाली के साथ ही हवा की गुणवत्ता और बिगड़ सकती है। सोमवार और मंगलवार तक स्थिति “बहुत खराब” बनी रहने की आशंका है, जबकि बुधवार से यह “गंभीर” श्रेणी में पहुंच सकती है। प्रदूषण में पटाखों के धुएं की भूमिका भी बढ़ेगी, जिससे हवा में विषाक्त तत्वों की मात्रा और बढ़ने की संभावना है।
लोगों की पटाखे जलाने की तैयारी
दिल्ली-एनसीआर में एक सर्वेक्षण के अनुसार, 18% लोग इस दिवाली पर पटाखे जलाने की योजना बना रहे हैं। लोकल सर्किल नामक एजेंसी ने इस सर्वे को 10,526 लोगों से बात कर जारी किया। सर्वे में शामिल 55% लोगों ने पटाखे न जलाने का वादा किया है, जबकि 9% लोग ऐसे हैं जो एनसीआर में प्रतिबंध के बावजूद पटाखे खरीदने की योजना बना रहे हैं। हालांकि, बड़ी संख्या में लोगों का पटाखे न जलाने का निर्णय वायु प्रदूषण को कम करने में सहायक हो सकता है।
वायु प्रदूषण के स्रोत: पराली और वाहनों की धुएं की बढ़ी भूमिका
डिसिजन सपोर्ट सिस्टम (डीएसएस) के अनुसार, दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण का 13% हिस्सा वाहनों के धुएं से है। इसके अलावा, कूड़ा जलाने से 1.2% प्रदूषण हो रहा है। हाल के दिनों में पंजाब, हरियाणा, और उत्तर प्रदेश में पराली जलाने की घटनाएं भी बढ़ी हैं, जिससे प्रदूषण में पराली का योगदान 5.5% दर्ज किया गया। ठंड के मौसम के आगमन के साथ, हवा में ठहराव बढ़ जाता है, जिससे प्रदूषण का असर अधिक लंबे समय तक रहता है।
प्रदूषण से स्वास्थ्य पर बुरा असर
प्रदूषण बढ़ने से दिल्ली-एनसीआर में लोग शारीरिक समस्याओं का सामना कर रहे हैं। स्मॉग के कारण आंखों में जलन, गले में खिचखिच और सांस लेने में दिक्कत महसूस हो रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि खराब वायु गुणवत्ता का असर फेफड़ों, हृदय और बच्चों के विकास पर दीर्घकालिक हो सकता है। बच्चों और बुजुर्गों को विशेष सावधानी बरतने की सलाह दी जा रही है।
दिवाली के बाद हालात और खराब हो सकते हैं
वायु गुणवत्ता विशेषज्ञों का मानना है कि दिवाली के बाद प्रदूषण का स्तर और बढ़ सकता है, क्योंकि पटाखों का धुआं वातावरण में लंबे समय तक रहता है। ऐसे में केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा प्रदूषण नियंत्रण के लिए सख्त कदम उठाए जाने की आवश्यकता है। दिल्ली सरकार ने हालांकि वाहनों की सख्त निगरानी, सड़क पर पानी का छिड़काव, और प्रदूषण वाले वाहनों पर प्रतिबंध की योजना बनाई है। इसके साथ ही, एनसीआर में निर्माण कार्य पर नियंत्रण, और कचरा जलाने पर सख्त नियम बनाए जाने की आवश्यकता है।
समाधान के प्रयास
दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते वायु प्रदूषण के बीच, सरकार और लोगों को मिलकर प्रदूषण कम करने की दिशा में कार्य करना चाहिए। वाहनों का कम उपयोग, सार्वजनिक परिवहन का अधिक उपयोग, कूड़ा न जलाना और पटाखों से दूरी बनाना कुछ ऐसे कदम हैं जो प्रदूषण कम करने में मदद कर सकते हैं। इस दिवाली यदि लोग प्रदूषण नियंत्रण की दिशा में कदम उठाते हैं, तो वायु की गुणवत्ता में सुधार की संभावना बढ़ेगी।
दिवाली से पहले दिल्ली-एनसीआर में बिगड़ी हवा की गुणवत्ता और बढ़ते प्रदूषण के बीच, सतर्कता बरतना आवश्यक है। सरकार को प्रदूषण नियंत्रण के लिए सख्त कदम उठाने चाहिए, जबकि आम नागरिकों को भी जिम्मेदारी से प्रदूषण कम करने में योगदान देना चाहिए।