भारत-चीन सीमा विवाद: पूर्वी लद्दाख में देपसांग और डेमचोक से सेनाओं का अंतिम चरण में डिसइंगेजमेंट, जल्द शुरू होगी गश्त
पूर्वी लद्दाख में भारत-चीन सीमा पर चल रहा डिसइंगेजमेंट (पीछे हटने की प्रक्रिया) अब अपने अंतिम चरण में है। दोनों देशों की सेनाओं ने डेमचोक और देपसांग क्षेत्रों से अपने अस्थायी निर्माण, जैसे टेंट और शेड हटा दिए हैं। रक्षा सूत्रों के अनुसार, इस प्रक्रिया के तहत सैन्य वाहनों और उपकरणों को भी पीछे हटा लिया गया है। इस घटनाक्रम को भारत-चीन सीमा पर जारी लंबे तनाव को कम करने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है।
देपसांग और डेमचोक में डिसइंगेजमेंट की वर्तमान स्थिति
रक्षा सूत्रों के अनुसार, पूर्वी लद्दाख में चल रहे डिसइंगेजमेंट को अंतिम रूप दिया जा रहा है। दोनों सेनाओं द्वारा अस्थायी ढांचों को हटाने का कार्य पूरा होने के बाद, एक क्रॉस-वेरिफिकेशन (पुष्टि) प्रक्रिया की जाएगी, जो अगले कुछ दिनों में पूरी होने की संभावना है। इसके तहत यह सुनिश्चित किया जाएगा कि दोनों पक्षों ने पूरी तरह से अपने अस्थायी ढांचे हटा लिए हैं।
गश्त की फिर से शुरुआत
सूत्रों का कहना है कि क्रॉस-वेरिफिकेशन पूरा होने के बाद इस डिसइंगेजमेंट प्रक्रिया को आधिकारिक स्वीकृति दी जाएगी। इस महीने के अंत तक गश्त का पुनः आरंभ होने की संभावना है। वर्तमान में, महीने के समाप्त होने में कुछ ही दिन बचे हैं, ऐसे में यह संभावना है कि गश्त अगले 72 घंटों में फिर से शुरू हो जाए। पहले भी सैटेलाइट तस्वीरों में यह देखा गया है कि कई स्थानों पर संरचनाओं में कमी आई है, जो इस बात का संकेत देती हैं कि डिसइंगेजमेंट सही दिशा में हो रहा है।
सैटेलाइट तस्वीरों में दिखा डिसइंगेजमेंट का असर
हाल ही में आई सैटेलाइट तस्वीरों से यह स्पष्ट हो चुका है कि चीन ने गतिरोध के दौरान कई अस्थायी निर्माण किए थे। हालांकि, अब इन संरचनाओं में काफी कमी देखी जा रही है। मैक्सार टेक्नोलॉजीज द्वारा प्रदान की गई सैटेलाइट तस्वीरों के अनुसार, हाल ही में कई निर्माण कार्यों को ध्वस्त किया गया है। यह दोनों पक्षों के बीच सीमा विवाद को समाप्त करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा सकता है।
प्रधानमंत्री मोदी और शी जिनपिंग की बैठक
भारत और चीन के बीच सीमा विवाद पर हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की चर्चा हुई थी। यह बैठक रूस में आयोजित ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान हुई, जो 2019 के बाद दोनों नेताओं की पहली द्विपक्षीय बैठक थी। इस बैठक में सीमा पर चल रहे गतिरोध के मुद्दों को प्राथमिकता से उठाया गया। मई 2020 में सीमा विवाद की शुरुआत के बाद, जून में गलवान घाटी में हिंसक झड़प हुई थी, जिसमें दोनों पक्षों के सैनिक हताहत हुए थे।
डिसइंगेजमेंट के बाद स्थिति सामान्य होने की उम्मीद
भारतीय विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने जानकारी दी थी कि देपसांग और डेमचोक क्षेत्रों में 2020 से पहले जैसी गश्त और चरवाहों से संबंधित गतिविधियों की बहाली होगी। 18 अक्टूबर को यह जानकारी दी गई थी कि देपसांग और डेमचोक से सेनाओं के पीछे हटने की प्रक्रिया चल रही है। इन क्षेत्रों में सामान्य स्थिति बहाल होने से भारत और चीन के बीच शांति बनाए रखने में सहायता मिलेगी।
भविष्य की दिशा: कमांडर-लेवल मीटिंग
रक्षा सूत्रों के अनुसार, दोनों देशों के बीच कमांडर-लेवल मीटिंग जारी रहेंगी ताकि सीमा पर शांति बनाए रखी जा सके। अप्रैल 2020 से पहले की स्थिति में वापस लौटने के बाद दोनों पक्ष उन्हीं क्षेत्रों में गश्त करेंगे, जहां वे पहले किया करते थे। गलवान झड़प के बाद से देपसांग और डेमचोक में भारी तनाव बना हुआ था, लेकिन यह डिसइंगेजमेंट प्रक्रिया इसे कम करने में सहायक साबित हो रही है।
भारत और चीन के बीच चल रहा सीमा विवाद काफी लंबे समय से चला आ रहा है। हालांकि, वर्तमान में पूर्वी लद्दाख में देपसांग और डेमचोक क्षेत्रों से सेनाओं का पीछे हटना दोनों देशों के बीच संबंधों में एक सकारात्मक कदम माना जा सकता है। इस डिसइंगेजमेंट के बाद दोनों देशों के बीच गश्त की बहाली और शांति बनाए रखने की संभावना बढ़ गई है। कमांडर-लेवल मीटिंग और डिप्लोमैटिक चैनलों के माध्यम से सीमा विवाद को हल करने की दिशा में किए गए यह प्रयास आशाजनक हैं और उम्मीद की जा रही है कि इससे भारत और चीन के बीच सीमा पर दीर्घकालिक शांति की स्थापना होगी।