इस वर्ष का दीपोत्सव अयोध्या के लिए कई मायनों में खास और ऐतिहासिक होगा। श्रीराम जन्मभूमि मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद यह पहला दीपोत्सव है, जो न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण और स्वच्छता के संदेश को भी प्रमुखता से प्रस्तुत करेगा। इस आयोजन की तैयारियां जोर-शोर से की जा रही हैं, जिससे श्रद्धालु और पर्यटक इस भव्य दीपोत्सव के अद्भुत नजारे का अनुभव कर सकें।
श्रीराम मंदिर में विशेष दीपों का इंतजाम
श्रीराम जन्मभूमि पर बने भव्य मंदिर को दाग-धब्बों और कालिख से सुरक्षित रखने के लिए विशेष प्रकार के मोम के दीपक जलाए जाएंगे, जो लंबे समय तक प्रकाशमान रहेंगे और न्यूनतम कार्बन उत्सर्जन करेंगे। इस विशेष व्यवस्था का उद्देश्य न केवल मंदिर को स्वच्छ बनाए रखना है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण का भी संदेश देना है। यह प्रयास इस दीपोत्सव को अन्य धार्मिक आयोजनों से अलग बनाएगा, जिससे अयोध्या एक स्वच्छ, सुंदर और पर्यावरण अनुकूल दीपावली का उदाहरण पेश करेगी।
सरयू तट पर लाखों दीपों से बनेगा विश्व रिकॉर्ड
इस वर्ष दीपोत्सव के दौरान सरयू नदी के तट पर 25 से 28 लाख दीपक जलाने की योजना बनाई गई है, जिससे विश्व रिकॉर्ड बनाया जा सके। लाखों दीपों से सरयू का तट जगमगाएगा, जो भव्य और दिव्य वातावरण को दर्शाएगा। अयोध्या नगरी का यह नजारा न केवल भारत के कोने-कोने से बल्कि विदेशों से भी श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित करेगा। इस अद्भुत आयोजन को देखने के लिए लाखों की संख्या में भक्त अयोध्या पहुंचेंगे।
मंदिर परिसर की फूलों से आकर्षक सजावट
श्रीराम जन्मभूमि मंदिर को विभिन्न प्रकार के आकर्षक फूलों से सजाया जाएगा, जिससे पूरा परिसर एक दिव्य और रंगीन स्वरूप में परिवर्तित हो जाएगा। सजावट के लिए मंदिर परिसर को खंडों और उपखंडों में विभाजित किया गया है, ताकि हर कोना सुव्यवस्थित रूप से सज सके। मंदिर के प्रत्येक प्रवेश द्वार को तोरण से सजाया जाएगा, जिससे श्रद्धालु मंदिर के भीतर प्रवेश करते ही एक अलग ही वातावरण का अनुभव कर सकें। इस भव्य सजावट के पीछे बिहार कैडर से स्वैच्छिक सेवानिवृत्त आईजी आशु शुक्ला के नेतृत्व में एक विशेष टीम कार्यरत है, जो हर कोने को मनोहारी फूलों और दीपों से सजाने का कार्य करेगी।
स्वच्छता और पर्यावरण संरक्षण पर जोर
इस दीपोत्सव में पर्यावरण संरक्षण और स्वच्छता का विशेष ध्यान रखा गया है। मंदिर ट्रस्ट का प्रयास है कि अयोध्या न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र बने, बल्कि स्वच्छता और पर्यावरण के प्रति जागरूकता का भी प्रतीक बने। इस हेतु विशेष प्रकार के मोम के दीपकों का उपयोग किया जाएगा, जिनसे धुएं की कालिख कम होगी और मंदिर का ढांचा सुरक्षित रहेगा। यह आयोजन एक धार्मिक त्योहार को सामाजिक और पर्यावरणीय चेतना के साथ जोड़ने का अनूठा प्रयास है।
रात 12 बजे तक खुला रहेगा मंदिर भवन
दीपोत्सव की भव्यता को श्रद्धालुओं के लिए अविस्मरणीय बनाने के लिए श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ने मंदिर को 29 अक्टूबर से 1 नवंबर तक रात 12 बजे तक बाहर से दर्शन के लिए खुला रखने का निर्णय लिया है। गेट संख्या चार बी (लगेज स्कैनर प्वाइंट) से श्रद्धालु रात 12 बजे तक मंदिर की भव्य सजावट और दीपों की छटा का आनंद ले सकेंगे। इस व्यवस्था से श्रद्धालु शांत वातावरण में, दीपों की रोशनी में सजे मंदिर के दर्शन कर सकेंगे।
अयोध्या की दीपावली: एक सांस्कृतिक धरोहर
इस विशेष दीपोत्सव के आयोजन से अयोध्या की दीपावली विश्वभर में एक अलग पहचान बनाएगी। लाखों दीपों के प्रकाश से जगमगाता सरयू तट, मंदिर की आकर्षक सजावट और पर्यावरण संरक्षण का संदेश एक आदर्श दीपावली की परिकल्पना को साकार करेगा। यह आयोजन न केवल धार्मिक भावनाओं को प्रदर्शित करेगा, बल्कि समृद्ध भारतीय संस्कृति और पर्यावरण के प्रति हमारी जिम्मेदारी को भी दर्शाएगा। इस दीपोत्सव के माध्यम से अयोध्या एक ऐसे सामाजिक, सांस्कृतिक और पर्यावरणीय संदेश को प्रसारित करेगी, जो आने वाले समय में दीपावली मनाने के तरीके को नई दिशा देगा।
अयोध्या में इस दीपोत्सव का महत्व केवल धार्मिक नहीं, बल्कि पर्यावरणीय, सांस्कृतिक और सामाजिक दृष्टिकोण से भी है। यह आयोजन हमारे समाज को पर्यावरण के प्रति जागरूक बनाने का एक प्रयास है, जो अयोध्या को स्वच्छता, सौंदर्य और आस्था के साथ जोड़ता है।