मथुरा में आयोजित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की बैठक में कांग्रेस नेता राहुल गांधी का जिक्र चर्चा का विषय बन गया। यह खासा आश्चर्यजनक है क्योंकि राहुल गांधी संघ के कट्टर आलोचक रहे हैं और अक्सर ही उनके खिलाफ बयान देते रहते हैं। हाल ही में राहुल संघ से जुड़े एक मानहानि मामले का सामना कर रहे हैं, जो कि भिवंडी कोर्ट में चल रहा है। आरोप है कि 2014 में राहुल गांधी ने संघ पर महात्मा गांधी की हत्या का आरोप लगाया था।
संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबले ने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि वे सभी से मिलना चाहते हैं, चाहे वह कांग्रेस के नेता हों या अन्य दलों के। यह बयान तब आया जब उनसे संघ और भाजपा के बीच मतभेदों के बारे में सवाल किया गया। होसबले ने कहा, “हम नफरत के बाजार में मोहब्बत की दुकान चलाना चाहते हैं। हम सब से मिलने को तैयार हैं, पर राहुल गांधी मिलने नहीं चाहते।”
इंदिरा गांधी और संघ के रिश्ते
राहुल गांधी की दादी, इंदिरा गांधी के समय संघ के नेताओं के साथ उनके मधुर संबंध थे। वरिष्ठ पत्रकार नीरजा चौधरी की किताब ‘हाउ प्राइम मिनिस्टर्स डिसाइड’ में इस बारे में विस्तार से उल्लेख है। इसमें बताया गया है कि इमरजेंसी के दौरान भी दोनों पक्षों के बीच पत्र-व्यवहार और अनौपचारिक संपर्क जारी रहा। इंदिरा गांधी अपने राजनीतिक उद्देश्यों के लिए हिंदुत्व को साधने की कोशिश में संघ की गुप्त मदद भी लेना चाहती थीं।
राहुल गांधी का रुख और वर्तमान राजनीतिक स्थिति
राहुल गांधी का दृष्टिकोण इंदिरा गांधी से बिल्कुल भिन्न है। वे खुले तौर पर संघ का विरोध करते हैं और इसे अपनी विचारधारा का संघर्ष मानते हैं। राहुल का मानना है कि कांग्रेस में ही एकमात्र विचारधारा है जो संघ और भाजपा का मुकाबला कर सकती है। दूसरी ओर, इंदिरा गांधी का संघ के प्रति दृष्टिकोण रणनीतिक था, जबकि राहुल का विरोध संघ के हिंदुत्व विचारधारा से है, जो उन्हें अल्पसंख्यक वर्ग को समर्थन देने में मददगार मानते हैं।
संघ और कांग्रेस का समीकरण: संभावनाएं और चुनौतियां
होसबले का राहुल गांधी को मिलने का संकेत देने का उद्देश्य स्पष्ट नहीं है, लेकिन संभवतः यह कांग्रेस को एक अवसर देने का प्रयास है। इंदिरा गांधी के समय जैसे संबंध फिर से बनाने की संभावना बहुत कम है, क्योंकि कांग्रेस और संघ की राजनीति में अब वैचारिक मतभेद गहराई से उभर चुके हैं। राहुल गांधी ने स्वयं यह स्पष्ट किया है कि वे आरएसएस के कार्यालय में कदम नहीं रखेंगे।