रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने हाल ही में बैंक ऑफ इंग्लैंड की तिजोरियों से 102 टन सोने का बड़ा भंडार भारत में वापस ला लिया है। इस ट्रांसफर के साथ ही आरबीआई का गोल्ड रिजर्व 855 टन तक पहुंच गया है, जो भारत के आर्थिक सुरक्षा और गोल्ड रिजर्व को बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। सितंबर 2022 से अब तक, आरबीआई कुल 214 टन सोना विदेश से अपने देश में वापस ला चुका है, जिससे ये साफ झलकता है कि भारतीय रिजर्व बैंक की प्राथमिकता अब अपने कीमती संपत्तियों और महत्वपूर्ण ऐसेट्स को देश की सीमा के भीतर रखना है।
आरबीआई क्यों ला रहा है विदेश से सोना वापस?
रिजर्व बैंक का विदेश से सोना वापस लाने का मकसद देश की सुरक्षा और आर्थिक मजबूती को बढ़ाना है। मौजूदा जियो-पॉलिटिकल स्थितियों और बढ़ते वैश्विक जोखिमों को देखते हुए यह जरूरी हो गया है कि भारत अपने कीमती संपत्तियों को सुरक्षित रूप से घरेलू तिजोरियों में सुरक्षित रखे। इससे न केवल राष्ट्रीय संपत्तियों की सुरक्षा सुनिश्चित होती है, बल्कि यह अंतरराष्ट्रीय अस्थिरताओं के समय में देश की आर्थिक स्थिति को भी स्थिर बनाए रखने में मदद करता है।
भारत में सोने की तिजोरियों की सुरक्षा, अत्याधुनिक तकनीकों और सुरक्षा उपायों के साथ की जा रही है, ताकि इन कीमती संपत्तियों पर कोई बाहरी असर न पड़े। इन प्रयासों के तहत, आरबीआई नियमित रूप से विदेश में जमा गोल्ड रिजर्व को देश में वापस लाने के लिए कार्य कर रहा है।
भारत का कुल गोल्ड रिजर्व 855 टन तक पहुंचा
आरबीआई ने अब तक कुल 855 टन सोने का भंडार जमा किया है, जिसमें से 510.5 टन सोना भारत में ही सुरक्षित है। इस कदम के पीछे प्रमुख कारण यह है कि बदलती वैश्विक स्थितियों के बीच आरबीआई का लक्ष्य अपने संपत्तियों का प्रबंधन घरेलू स्तर पर करके अधिक से अधिक आर्थिक सुरक्षा प्रदान करना है। यह कदम आर्थिक मजबूती को बढ़ाने और संकट के समय में बाहरी देशों पर निर्भरता को कम करने के उद्देश्य से उठाया गया है।
विशेष सुरक्षा इंतजाम के साथ सोने की वापसी
इस बड़े सोने के ट्रांसफर के लिए आरबीआई ने सुरक्षा के बेहद कड़े इंतजाम किए। विशेष विमानों और सुरक्षा प्रोटोकॉल्स का पालन करते हुए यह सोना भारत में लाया गया। यह पहला मौका नहीं है जब इतनी बड़ी मात्रा में सोना विदेश से भारत लाया गया हो। इसी साल मई में भी आरबीआई ने इंग्लैंड से 100 टन सोना भारत में ट्रांसफर किया था। यह ट्रांसफर 1990 के दशक के बाद सबसे बड़े गोल्ड ट्रांसफर्स में से एक था और इसे लेकर देश-विदेश में खूब चर्चा हुई थी।
कड़े सुरक्षा इंतजाम और गोपनीयता बनाए रखने के साथ इस ट्रांसफर को अंजाम दिया गया। विशेष विमानों के अलावा, सुरक्षा दलों की मौजूदगी और विस्तृत प्रोटोकॉल के पालन से इस सोने की सुरक्षित वापसी सुनिश्चित की गई। इस तरह के कड़े सुरक्षा इंतजामों के चलते यह सुनिश्चित हो पाया कि भारत में ट्रांसफर किए जा रहे सोने की सुरक्षा में कोई चूक न हो।
गोल्ड ट्रांसफर का महत्व
भारत का गोल्ड रिजर्व देश की अर्थव्यवस्था की मजबूती का प्रतीक है और संकट के समय यह अंतरराष्ट्रीय वित्तीय दबावों से बचाव में सहायक होता है। 1991 के आर्थिक संकट के दौरान भी भारत ने अपना सोना गिरवी रखकर आर्थिक मदद प्राप्त की थी। उस समय के बाद से ही भारत ने अपनी आर्थिक स्थिरता और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के लिए सोने के भंडारण को प्राथमिकता दी है। वर्तमान जियो-पॉलिटिकल अस्थिरता के समय में, जब वैश्विक तनाव बढ़ रहा है और आर्थिक मंदी के संकेत दिख रहे हैं, यह गोल्ड ट्रांसफर भारत को बाहरी दबावों से निपटने में मदद करेगा।
आरबीआई का यह कदम न केवल भारत की आर्थिक सुरक्षा को बढ़ाने में मदद करेगा, बल्कि यह देश की आत्मनिर्भरता और भविष्य में वित्तीय स्थिरता बनाए रखने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। बदलती वैश्विक परिस्थितियों और बढ़ते जियो-पॉलिटिकल तनाव के समय में अपने कीमती संसाधनों का सुरक्षित भंडारण भारत के लिए फायदेमंद साबित होगा। आरबीआई द्वारा विदेशी भंडार को धीरे-धीरे देश के भीतर लाना, भारत की अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करने की दिशा में एक ठोस कदम है, जो भविष्य में देश की आर्थिक स्थिति को अधिक सुरक्षित और स्थिर बनाएगा।