राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से सटे नोएडा और ग्रेटर नोएडा में प्रॉपर्टी और घर खरीदना जल्द ही और महंगा हो सकता है। उत्तर प्रदेश सरकार ने नोएडा क्षेत्र में सर्किल रेट बढ़ाने का प्रस्ताव रखा है, जिसके अनुसार आवासीय क्षेत्रों में सर्किल रेट में 25 से 30 प्रतिशत तक और अन्य क्षेत्रों में 10 से 15 प्रतिशत तक वृद्धि की जाएगी। इस प्रस्ताव का उद्देश्य सरकारी राजस्व में वृद्धि करना है, लेकिन इसका प्रभाव प्रॉपर्टी बाजार, संभावित खरीदारों, और विक्रेताओं पर भी पड़ेगा। आइए समझते हैं कि सर्किल रेट, प्रॉपर्टी, और आयकर में इन बदलावों का क्या प्रभाव पड़ेगा।
सर्किल रेट क्या है और क्यों बढ़ रहे हैं?
सर्किल रेट वह न्यूनतम मूल्य है, जिस पर प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री होती है, और इसके आधार पर स्टाम्प ड्यूटी और अन्य पंजीकरण शुल्क वसूले जाते हैं। यह दर सरकार द्वारा निर्धारित की जाती है और क्षेत्र के बाजार मूल्य के करीब होती है। इस नई वृद्धि के बाद, नोएडा में प्रॉपर्टी खरीदने वालों को रजिस्ट्रेशन के लिए अधिक स्टाम्प ड्यूटी और शुल्क अदा करना होगा।
नोएडा और ग्रेटर नोएडा जैसे क्षेत्रों में रियल एस्टेट की बढ़ती मांग के कारण यहां की संपत्तियों का बाजार मूल्य भी बढ़ रहा है। इस बढ़े हुए बाजार मूल्य को देखते हुए सरकार ने सर्किल रेट बढ़ाने का निर्णय लिया है ताकि वास्तविक संपत्ति मूल्यों के अनुरूप सरकारी राजस्व में भी वृद्धि हो सके।
इनकम टैक्स और सर्किल रेट का आपसी संबंध
सर्किल रेट में वृद्धि का असर आयकर और पूंजीगत लाभ कर (Capital Gains Tax) पर भी पड़ता है। भारतीय आयकर अधिनियम, 1961 के अनुसार, प्रॉपर्टी लेनदेन के लिए सर्किल रेट का उपयोग किया जाता है। यदि किसी प्रॉपर्टी का लेनदेन सर्किल रेट से कम मूल्य पर होता है, तो आयकर विभाग धारा 56(2)(x) के तहत खरीदार की कर योग्य आय में उस अंतर को “अन्य स्रोतों से आय” के रूप में जोड़ता है, जिससे उसकी कर देयता बढ़ जाती है। इस तरह, खरीदार को अतिरिक्त कर चुकाना पड़ता है यदि वह सर्किल रेट से कम कीमत पर संपत्ति खरीदता है।
विक्रेताओं के लिए, आयकर अधिनियम की धारा 50C के अनुसार सर्किल रेट को बिक्री मूल्य माना जाता है। अगर प्रॉपर्टी का वास्तविक लेनदेन मूल्य सर्किल रेट से कम होता है, तो पूंजीगत लाभ की गणना के लिए सर्किल रेट को मानक मूल्य के रूप में लिया जाता है। इसका मतलब है कि विक्रेता को वास्तविक बिक्री मूल्य से ज्यादा कर का भुगतान करना पड़ सकता है।
सर्किल रेट वृद्धि का संभावित असर
नोएडा और ग्रेटर नोएडा जैसे क्षेत्रों में सर्किल रेट में बढ़ोतरी के चलते निम्नलिखित असर हो सकते हैं:
1. अफोर्डेबिलिटी पर असर: बढ़ी हुई स्टाम्प ड्यूटी और पंजीकरण शुल्क के कारण प्रॉपर्टी की लागत बढ़ेगी, जिससे कई संभावित खरीदारों के लिए संपत्तियाँ कम वहनीय हो सकती हैं। खासकर मध्यवर्गीय परिवारों के लिए यह मुश्किल साबित हो सकता है, जो अपनी बचत के सहारे घर खरीदने की योजना बनाते हैं।
2. बाजार में गतिविधि में कमी: प्रॉपर्टी के बढ़े हुए दामों के कारण संभावित खरीदारों की संख्या में कमी आ सकती है। इस वजह से रियल एस्टेट बाजार में मंदी भी आ सकती है, जो पहले से ही नोटबंदी, जीएसटी और कोविड-19 जैसे कारकों से प्रभावित है।
3. सरकारी राजस्व में वृद्धि: सरकार को सर्किल रेट में वृद्धि से अतिरिक्त राजस्व प्राप्त होगा। इसे अगर सही दिशा में खर्च किया जाए, तो इससे सार्वजनिक बुनियादी ढांचे और सेवाओं में सुधार किया जा सकता है, जिससे लोगों को बेहतर सुविधाएँ प्राप्त हो सकती हैं।
4. रजिस्ट्री कार्यों में तेजी: सर्किल रेट के लागू होने से पहले ही रजिस्ट्री के कामों में तेजी देखी जा रही है। कई खरीदार और विक्रेता, जो प्रॉपर्टी खरीदने या बेचने का विचार कर रहे थे, अब बढ़े हुए सर्किल रेट के प्रभाव से बचने के लिए जल्द से जल्द लेनदेन पूरा करने का प्रयास कर रहे हैं।
5. विक्रेताओं और खरीदारों के बीच संतुलन: सर्किल रेट में वृद्धि के बाद विक्रेता और खरीदारों को अपने-अपने कर दायित्वों को समझते हुए सौदे को समझदारी से पूरा करना होगा। खरीदारों को प्रॉपर्टी की वैल्यूएशन और उनके टैक्स इम्प्लीकेशन्स का ध्यान रखना होगा, जबकि विक्रेता को भी अपने पूंजीगत लाभ कर को मैनेज करना होगा।
जनता की प्रतिक्रिया का महत्त्व
सरकार इस सर्किल रेट वृद्धि प्रस्ताव पर जनता की प्रतिक्रिया भी लेगी, ताकि सामाजिक और आर्थिक प्रभावों का आकलन किया जा सके। इस तरह के प्रस्तावों में जनता की राय और उनकी चिंताओं का ध्यान रखा जाना चाहिए, क्योंकि इससे लोगों की संपत्ति खरीदने की क्षमता पर प्रभाव पड़ेगा।
निष्कर्ष: नोएडा और ग्रेटर नोएडा में सर्किल रेट में प्रस्तावित बढ़ोतरी से जहां सरकारी राजस्व में वृद्धि होगी, वहीं यह रियल एस्टेट की अफोर्डेबिलिटी पर नकारात्मक असर भी डाल सकता है। इससे संभावित खरीदारों को अतिरिक्त कर चुकाने का बोझ झेलना पड़ेगा। सरकार को इस प्रस्ताव के सभी पहलुओं का अध्ययन करते हुए संतुलित निर्णय लेना होगा ताकि प्रॉपर्टी बाजार में स्थिरता बनी रहे और जनता पर अनावश्यक आर्थिक बोझ न पड़े।