जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने हाल ही में श्रीनगर में हुए आतंकी हमले को लेकर एक बड़ा बयान दिया है। उन्होंने इस घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए अपने सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर एक पोस्ट किया। इस हमले में आतंकियों ने रविवार को श्रीनगर के एक बाजार में ग्रेनेड फेंका, जिसके परिणामस्वरूप कई लोग गंभीर रूप से घायल हुए हैं, जिनका इलाज अस्पताल में चल रहा है।
घटना का विवरण
रविवार को हुए इस ग्रेनेड हमले की घटना ने घाटी में सुरक्षा स्थिति को लेकर चिंता बढ़ा दी है। मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने अपनी पोस्ट में लिखा कि पिछले कुछ दिनों में जम्मू-कश्मीर में कई आतंकी घटनाएं हुई हैं। उन्होंने कहा, “आज श्रीनगर में आतंकियों ने बेगुनाह लोगों पर ग्रेनेड हमला किया है। यह बेहद विचलित करने वाला है। निर्दोष लोगों को निशाना बनाने के लिए किसी तरह का कोई स्पष्टिकरण नहीं दिया जा सकता है।”
सुरक्षा एजेंसियों की भूमिका
उमर अब्दुल्ला ने सुरक्षा एजेंसियों से अपील की कि वे हर संभव प्रयास करें ताकि भविष्य में इस तरह के हमले न हों। उन्होंने कहा कि घाटी में लोगों को बगैर किसी डर के रहना चाहिए, और इसके लिए सुरक्षा का मजबूत ढांचा होना आवश्यक है। यह बयान इस बात को दर्शाता है कि मुख्यमंत्री आतंकवाद की स्थिति को गंभीरता से ले रहे हैं और इसे नियंत्रित करने के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है।
फारूक अब्दुल्ला का बयान
इस बीच, घाटी में लगातार हो रहे आतंकी हमलों के संदर्भ में पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने भी अपनी चिंताओं को साझा किया। उन्होंने कहा कि यह हमले स्थानीय सरकार को अस्थिर करने के उद्देश्य से किए जा रहे हैं। उन्होंने केंद्र सरकार से स्वतंत्र जांच की मांग की और कहा कि आतंकियों को मारने की बजाय उन्हें पकड़कर पूछताछ करनी चाहिए ताकि यह पता चल सके कि इन हमलों के पीछे कौन है।
बीजेपी की प्रतिक्रिया
फारूक अब्दुल्ला के इस बयान पर बीजेपी ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि उनके बयान से स्पष्ट होता है कि सत्ता में आने के बाद उन्हें यह एहसास हुआ है कि जम्मू-कश्मीर में विदेशी शक्तियां सक्रिय हैं। बीजेपी ने कहा, “हम केवल यह कहना चाहते हैं कि उन्हें और जम्मू-कश्मीर की सरकार को केंद्र सरकार के साथ मिलकर इन ताकतों को खत्म करने की दिशा में काम करना चाहिए।” जम्मू-कश्मीर में हाल के आतंकी हमले ने सुरक्षा स्थिति को लेकर गंभीर चिंताएं उत्पन्न की हैं। मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला के बयानों से यह साफ है कि घाटी में बढ़ते आतंकवाद को लेकर सभी राजनीतिक दल चिंतित हैं। सुरक्षा एजेंसियों की भूमिका इस संदर्भ में महत्वपूर्ण हो गई है, और उन पर दबाव है कि वे इस समस्या का समाधान करने के लिए ठोस कदम उठाएं। इस स्थिति में राजनीतिक स्थिरता और सुरक्षा के साथ-साथ स्थानीय प्रशासन की सक्रियता भी आवश्यक है ताकि आतंकवाद को नियंत्रित किया जा सके और लोगों को एक सुरक्षित वातावरण मुहैया कराया जा सके।