महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव के मद्देनजर महायुति गठबंधन, जिसमें बीजेपी, शिवसेना और एनसीपी (अजित पवार गुट) शामिल हैं, अपने सहयोगियों के साथ प्रचार अभियान में जुटा है। हालांकि, एनसीपी नेता और राज्य के उपमुख्यमंत्री अजित पवार और बीजेपी के बीच कुछ मुद्दों पर खटास उभरती दिख रही है। अजित पवार ने हाल ही में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के विवादास्पद ‘बटेंगे तो कटेंगे’ बयान पर नाराजगी जताई है। इसके अलावा, खबरें यह भी हैं कि पीएम मोदी अजित पवार के गढ़ बारामती में प्रचार करने नहीं जाएंगे।
योगी आदित्यनाथ के बयान पर अजित पवार का विरोध
अजित पवार ने बीजेपी के नेता योगी आदित्यनाथ के ‘बटेंगे तो कटेंगे’ बयान पर ऐतराज जताया है। बुधवार को वाशिम में एक चुनावी रैली में योगी ने इस नारे का इस्तेमाल किया था, जिससे राज्य में विवाद गहराता दिख रहा है। पवार का कहना है कि महाराष्ट्र के लोग ऐसी सांप्रदायिक टिप्पणियों को पसंद नहीं करते। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र हमेशा से छत्रपति शिवाजी महाराज, राजर्षि शाहू महाराज और महात्मा फुले के सिद्धांतों पर चलता आया है, जिसमें समाज के हर वर्ग को साथ लेकर चलने की शिक्षा दी गई है। पवार ने कहा कि महाराष्ट्र की संस्कृति साम्प्रदायिक सद्भाव की रही है, और यहां के लोग ऐसी टिप्पणियों का समर्थन नहीं करते।
बारामती में पीएम मोदी का प्रचार नहीं करने का निर्णय
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 20 नवंबर से महाराष्ट्र में चुनावी रैलियों का आगाज करेंगे, लेकिन बारामती में रैली नहीं करेंगे। बारामती अजित पवार का निर्वाचन क्षेत्र है और पवार ने संवाददाताओं से कहा कि उन्होंने खुद पीएम मोदी से यहां रैली न करने का आग्रह किया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि बारामती में मुकाबला परिवार के भीतर ही है, जहां उनके भतीजे युगेंद्र पवार उनके खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं। इस पर अजित पवार का कहना है कि यह परिवार का निजी मामला है, इसलिए उन्होंने प्रधानमंत्री से रैली न करने की विनती की।
नवाब मलिक के लिए प्रचार पर बीजेपी की आपत्ति
अजित पवार ने नवाब मलिक और उनकी बेटी सना मलिक के लिए प्रचार किया है, जो कि बीजेपी के लिए एक और चिंता का विषय है। बीजेपी ने गैंगस्टर दाऊद इब्राहिम के साथ कथित संबंधों के कारण नवाब मलिक के चुनाव लड़ने पर आपत्ति जताई है। बीजेपी नेताओं ने साफ कर दिया है कि वे नवाब मलिक का समर्थन नहीं करेंगे। नवाब मलिक, महाराष्ट्र के अल्पसंख्यक मामलों के पूर्व मंत्री और अणुशक्तिनगर के विधायक हैं, जिन्हें मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों में फरवरी 2022 में गिरफ्तार किया गया था और बाद में अगस्त 2023 में जमानत मिली।
सना मलिक, जो मानखुर्द-शिवाजीनगर सीट से राकांपा की उम्मीदवार हैं, को बीजेपी ने लेकर कोई विरोध नहीं जताया है, क्योंकि उनके खिलाफ कोई आपराधिक मामला नहीं है। बावजूद इसके, अजित पवार ने दोनों के समर्थन में खुली जीप में सवारी करते हुए रैली निकाली और मतदाताओं से पिता-पुत्री के लिए वोट देने की अपील की।
अजित पवार की सेक्युलर छवि को बनाए रखने की कोशिश
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, अजित पवार एक सेक्युलर छवि बनाए रखना चाहते हैं। उन्होंने चुनाव से पहले कहा था कि वे अपनी पार्टी के 10 प्रतिशत टिकट अल्पसंख्यकों को देंगे। पवार का यह कदम उनके वोटबैंक को आकर्षित करने और बीजेपी से दूरी बनाए रखने के रूप में देखा जा रहा है। पवार ने कहा कि महाराष्ट्र के लोग हमेशा साम्प्रदायिक सौहार्द्र को महत्व देते आए हैं और ऐसे बयान यहां स्वीकार नहीं किए जाते।
गठबंधन में अंतर्विरोध: क्या रहेगा भविष्य?
बीजेपी और अजित पवार के बीच बढ़ती दरार महायुति के लिए एक चुनौती बनती दिख रही है। विधानसभा चुनाव में गठबंधन का यह अंतर्विरोध मतदाताओं के सामने एक सवाल खड़ा कर रहा है कि क्या महायुति सरकार एकजुट रहकर प्रदेश की जरूरतों को पूरा कर सकेगी। बीजेपी और आरएसएस में भी अजित पवार के साथ गठबंधन को लेकर मतभेद रहे हैं, जो लोकसभा चुनाव के बाद से ही चर्चा का विषय बना हुआ है।