कांग्रेस सांसद और विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने एक बार फिर से आठ साल पहले लागू की गई नोटबंदी को लेकर केंद्र सरकार को घेरा है। उन्होंने इस पर सवाल उठाते हुए कहा कि नोटबंदी का उद्देश्य भले ही नकदी पर निर्भरता को कम करना और डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा देना था, लेकिन इसके बावजूद आज भी भारत में नकदी का उपयोग पहले से अधिक है। राहुल गांधी का कहना था कि नोटबंदी का असर न केवल सामान्य लोगों पर पड़ा, बल्कि इससे सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (MSME) और अनौपचारिक क्षेत्र को भी गहरा नुकसान हुआ है।
राहुल गांधी का बयान
राहुल गांधी ने अपनी सोशल मीडिया पोस्ट (X) पर लिखा, “विशेषज्ञों का मानना है कि नोटबंदी से सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (MSME) और अनौपचारिक क्षेत्र पर गहरा असर पड़ा है। इस कारण छोटे उद्योगों का नुकसान हुआ, जबकि बड़े व्यवसायों और एकाधिकार की स्थिति उत्पन्न हुई है, जिससे बाजार में असंतुलन आया।”
इसके अलावा राहुल गांधी ने यह भी आरोप लगाया कि नोटबंदी के कारण देश की आर्थिक क्षमता कमजोर हो रही है। उन्होंने कहा कि व्यापार जगत में डर का माहौल पैदा हो गया है और इसके कारण देश की अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। गांधी ने आगे कहा, “भारत की आर्थिक प्रगति के लिए एक नई नीति की जरूरत है, जो निष्पक्षता और स्वतंत्रता को बढ़ावा दे और छोटे व ईमानदार व्यवसायों को आगे बढ़ने का अवसर दे।”
नोटबंदी का प्रभाव
8 नवंबर 2016 की तारीख देश के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुई, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नोटबंदी की घोषणा की। आधी रात से 500 और 1000 रुपये के नोटों को चलन से बाहर कर दिया गया था। सरकार का दावा था कि यह कदम काले धन, भ्रष्टाचार और नकली मुद्रा पर काबू पाने के लिए उठाया गया था। हालांकि, इस फैसले से पूरे देश में उथल-पुथल मच गई थी। बैंकों में लंबी-लंबी कतारें लगीं और आम जनता को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा। इसके बाद नए 500 और 2000 रुपये के नोट बाजार में आए, लेकिन इसका असर जिस तरह से सरकार ने सोचा था, वैसा नहीं हुआ।
कैश सर्कुलेशन में वृद्धि
नोटबंदी के बाद के वर्षों में कैश सर्कुलेशन में अप्रत्याशित वृद्धि हुई है, जो सरकार के उद्देश्य के विपरीत था। 2022 की एक रिपोर्ट के मुताबिक, नोटबंदी के बाद से देश में नकदी का सर्कुलेशन 71.84 प्रतिशत बढ़ चुका था। 8 नवंबर 2016 को जब नोटबंदी की घोषणा की गई थी, उस समय देश में कुल 17.7 लाख करोड़ रुपये की मुद्रा प्रचलन में थी। वहीं, 29 अक्टूबर 2021 तक यह बढ़कर 29.17 लाख करोड़ रुपये हो गई थी, यानी 2021 में मुद्रा सर्कुलेशन में करीब 64 प्रतिशत की बढ़त हुई थी। 2022 में यह आंकड़ा करीब 72 प्रतिशत तक पहुंच गया था। इससे साफ पता चलता है कि नोटबंदी के बावजूद लोगों की नकदी पर निर्भरता और अधिक बढ़ गई है।
राहुल गांधी का आलोचना
राहुल गांधी ने यह भी कहा कि नोटबंदी का सबसे बुरा असर छोटे व्यापारियों, श्रमिकों और किसानों पर पड़ा, जो पहले से ही आर्थिक संकट का सामना कर रहे थे। उन्होंने इसे एक असफल कदम बताते हुए कहा कि सरकार ने इस फैसले से उन लोगों की समस्याओं को और बढ़ा दिया, जिन्हें पहले से ही रोज़मर्रा की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा था। गांधी ने यह भी आरोप लगाया कि नोटबंदी से बड़े कारोबारियों को फायदा हुआ, जबकि छोटे उद्योगों को नुकसान उठाना पड़ा।
नोटबंदी के उद्देश्य और परिणाम
नोटबंदी का मुख्य उद्देश्य देश से काले धन और भ्रष्टाचार को खत्म करना था, लेकिन यह उद्देश्य पूरी तरह से हासिल नहीं हो सका। इसके बजाय, नकदी की निर्भरता में वृद्धि हुई और डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा देने के लिए निर्धारित लक्ष्यों को भी पूरी तरह से प्राप्त नहीं किया जा सका। इसके बाद सरकार ने कई डिजिटल भुगतान प्रणालियों और ऑनलाइन लेनदेन को प्रोत्साहित किया, लेकिन नकदी का प्रचलन फिर भी नहीं कम हुआ।
कुल मिलाकर, आठ साल बाद नोटबंदी का असर उस तरह से देखने को नहीं मिला जैसा सरकार ने उम्मीद की थी, और राहुल गांधी समेत अन्य आलोचकों का कहना है कि इससे देश की आर्थिक स्थिति पर विपरीत असर पड़ा है।