हाल ही में सोशल मीडिया पर ‘बालसंत’ के नाम से मशहूर हुए अभिनव अरोड़ा का वीडियो काफी चर्चा में रहा, जिसमें संत रामभद्राचार्य उन्हें मंच से उतारते नजर आए। इस घटना के बाद संत रामभद्राचार्य और बागेश्वर धाम के पंडित धीरेंद्र शास्त्री की ओर से बयान सामने आए हैं। इस प्रकरण पर एबीपी न्यूज के एक इंटरव्यू में बागेश्वर धाम के पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने अपनी बात रखी और अभिनव अरोड़ा के बार-बार मंच पर आने और जयकारे लगाने के कारणों का उल्लेख किया।
धीरेंद्र शास्त्री का बयान
एबीपी न्यूज को दिए इंटरव्यू में पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने स्पष्ट किया कि विवाद के समय वे वहां उपस्थित नहीं थे और इस विषय पर उन्होंने गुरु रामभद्राचार्य से भी चर्चा नहीं की थी। धीरेंद्र शास्त्री ने कहा, “हमें अन्य गुरु भाइयों से जो जानकारी मिली, उसके अनुसार अभिनव अरोड़ा कथा स्थल पर आशीर्वाद लेने के बाद मंच के पास बार-बार आ रहे थे और भगवान के जयकारे लगा रहे थे। वहां पर वह रील बनाने की कोशिश कर रहे थे, जिस कारण उन्हें मंच से उतारा गया।”
धीरेंद्र शास्त्री ने इस विषय को विवाद से दूर रखने का प्रयास करते हुए कहा कि अभिनव ने कथा के दौरान धार्मिक स्थल पर अनुचित व्यवहार किया। उनके अनुसार, किसी धार्मिक आयोजन में बार-बार मंच पर जाना और अपने हितों के लिए वीडियो बनाना आयोजन के पवित्रता में खलल डाल सकता है।
विवाद की शुरुआत और संत रामभद्राचार्य की प्रतिक्रिया
कुछ दिन पहले संत रामभद्राचार्य द्वारा अभिनव को मंच से उतारने का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था। वीडियो में देखा गया कि अभिनव अरोड़ा भगवान के जयकारे लगा रहे थे, लेकिन संत रामभद्राचार्य ने उन्हें मंच छोड़ने का निर्देश दिया। इसके बाद यह घटना एक बड़े विवाद का रूप ले ली और सोशल मीडिया पर संत रामभद्राचार्य की प्रतिक्रिया भी सामने आई। संत रामभद्राचार्य ने अभिनव अरोड़ा को ‘मूर्ख बच्चा’ कहा और उनके द्वारा स्वयं को कृष्ण का साथी बताने के दावे को अनुचित ठहराया। उन्होंने कहा कि उन्होंने अभिनव को वृंदावन में भी इस तरह की बातों के लिए डांटा था, क्योंकि इस प्रकार के दावे धार्मिक परंपराओं और आदर्शों के विपरीत हैं।
अभिनव अरोड़ा की आलोचना और सोशल मीडिया प्रतिक्रिया
इस घटना के बाद से अभिनव अरोड़ा को सोशल मीडिया पर काफी आलोचना का सामना करना पड़ा है। बालसंत के रूप में चर्चित अभिनव पर आरोप लगाए गए कि वे धार्मिक आयोजनों में अनुचित रूप से अपना प्रचार कर रहे हैं। इस तरह की घटना ने धार्मिक मंचों के सम्मान और पवित्रता के बारे में सवाल खड़े कर दिए हैं। धार्मिक गुरुओं और भक्तों का मानना है कि धार्मिक स्थलों का उपयोग व्यक्तिगत प्रचार या वीडियो बनाने के लिए नहीं होना चाहिए, बल्कि इनका उद्देश्य केवल भक्ति और साधना होना चाहिए।
धार्मिक आयोजनों के दौरान अनुचित आचरण पर पंडित धीरेंद्र शास्त्री और संत रामभद्राचार्य का मानना है कि सभी भक्तों को धार्मिक आयोजनों का सम्मान करते हुए मर्यादित रहना चाहिए। जहां एक ओर धर्म और भक्ति में उत्साह और आनंद है, वहीं इसका पालन अनुशासन और मर्यादा के साथ करना भी जरूरी है।