पंजाब की राजनीति में लंबे समय से ग़ायब रहने वाले नवजोत सिंह सिद्धू ने हाल ही में एक इंटरव्यू में कई अहम बातें कही हैं। सिद्धू, जो जेल से बाहर आने के बाद लोकसभा चुनाव और ज़िम्मनी चुनावों से पूरी तरह दूर रहे हैं, ने अपनी राजनीतिक यात्रा के बारे में बड़ा बयान दिया है। उनकी पत्नी डॉ. नवजोत कौर सिद्धू की हालिया मुलाकात बीजेपी के नेता तरणजीत सिंह संधू से होने के बाद, सिद्धू के बीजेपी में वापसी के कयास लगाए जा रहे थे। लेकिन अब सिद्धू ने खुद सामने आकर अपनी स्थिति स्पष्ट की है।
इंटरव्यू के दौरान नवजोत सिंह सिद्धू ने कहा कि राजनीति में हमेशा पार्टी के हाई कमान के अनुसार चलना पड़ता है। उन्होंने राहुल गांधी और प्रियंका गांधी से अपनी प्रतिबद्धता जताते हुए कहा, “अगर मैंने राहुल गांधी और प्रियंका गांधी से जो वचन लिया है, तो मैं उस पर कायम हूं।” सिद्धू ने यह भी कहा कि उन्होंने कभी भी सच्चाई और ईमानदारी के रास्ते को नहीं छोड़ा। उनका मानना है कि “बेईमानी से कमाया गया पैसा बीमारियां लाता है और एक दिन वह नाम भी मिट जाता है।”
उन्होंने उदाहरण के तौर पर कहा कि कई लोग मुख्यमंत्री बनने के लिए दौड़ते रहे, लेकिन समय के साथ उनका नाम भी समाप्त हो गया। सिद्धू ने यह भी बताया कि वह आज भी कहीं भी जाकर खड़े हो जाएं, तो लोग उनकी इज्जत करते हैं।
बीजेपी छोड़ने के कारण पर सिद्धू ने कहा कि जब उन्होंने बीजेपी छोड़ी थी, तो उस वक्त पार्टी का रुख अकाली दल से अलग नहीं था। सिद्धू ने बताया कि उन्होंने बीजेपी से कहा था कि अगर वे अकाली दल को चुनना चाहते हैं तो उनका मार्गदर्शन करें, लेकिन उन्होंने पंजाब को चुनने का फैसला किया। सिद्धू ने यह भी बताया कि जब अरुण जेटली ने उन्हें कुरुक्षेत्र से चुनाव लड़ने का प्रस्ताव दिया, तो उन्होंने इसका विरोध किया और कहा कि “मैंने पंजाब के लोगों से जो वचन लिया है, मैं उसे निभाऊंगा।”
नवजोत सिंह सिद्धू ने यह भी कहा कि वह मोदी लहर में चुनाव नहीं लड़ने का गर्व महसूस करते हैं, जब उनका जीतना और मंत्री बनना लगभग तय था। बावजूद इसके, उन्होंने अमृतसर छोड़ने का निर्णय लिया और इस फैसले पर उन्हें आज भी गर्व है। सिद्धू ने यह स्पष्ट किया कि उन्होंने हमेशा अपने वचन और सिद्धांतों के लिए काम किया और वह किसी भी तरह के समझौते से दूर रहे हैं।
सिद्धू ने पंजाब की स्थिति पर भी चिंता जताई और कहा कि राज्य में पिछले कई वर्षों से राज करने वाले नेताओं ने कभी भी पंजाब के लोगों की भलाई के बारे में नहीं सोचा। उन्होंने कहा कि इन नेताओं ने केवल अपने स्वार्थ के लिए काम किया और राज्य की जनता के हितों को दरकिनार किया। सिद्धू के अनुसार, ये लोग “सरबत का भला” कहकर अपना भला करते रहे हैं, लेकिन असल में उनकी नीतियों ने राज्य की जनता का नुकसान किया है।
नवजोत सिंह सिद्धू के इस बयान ने पंजाब की राजनीति में एक नई हलचल पैदा कर दी है। सिद्धू के बयान से यह साफ हो गया है कि वह किसी भी कीमत पर अपनी सच्चाई और इमानदारी से समझौता नहीं करेंगे। उनके इस रुख से यह भी प्रतीत होता है कि वह अपनी राजनीतिक राह पर पूरी तरह से स्थिर और प्रतिबद्ध हैं।