उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) द्वारा आयोजित पीसीएस और आरओ/एआरओ परीक्षाओं में एक दिन एक पाली में परीक्षा और नार्मलाइजेशन की प्रक्रिया को समाप्त करने की मांग को लेकर छात्रों का प्रदर्शन दूसरे दिन भी जारी रहा। सैकड़ों छात्र प्रयागराज स्थित आयोग के मुख्यालय के बाहर एकत्र हुए, जहां बड़ी संख्या में पुलिस बल और पीएसी तैनात है। प्रदर्शनकारी छात्रों का आरोप है कि दो दिन में परीक्षा कराने और नार्मलाइजेशन की प्रक्रिया को लागू करके आयोग परीक्षाओं में अक्षमता को छुपाने का प्रयास कर रहा है, जिससे प्रतियोगी छात्रों का भविष्य खतरे में पड़ रहा है।
प्रदर्शन की शुरुआत राष्ट्रगान से, छात्रों ने रखी अपनी मांगें
प्रदर्शन के दूसरे दिन की शुरुआत राष्ट्रगान के साथ की गई, जिससे छात्रों ने अपनी एकजुटता और दृढ़ता का संदेश दिया। इस मौके पर जिलाधिकारी और कमिश्नर फिर से छात्रों से वार्ता के लिए पहुंचे। जिलाधिकारी ने लाउडस्पीकर के माध्यम से छात्रों से संवाद करते हुए कहा कि आयोग के अधिकारियों के समक्ष उनकी बात रखने के लिए उन्हें मंच दिया जा रहा है। छात्रों से बार-बार अपील की गई कि वे अपना प्रदर्शन खत्म करें और अपनी बातों को शांतिपूर्ण तरीके से रखें। हालांकि, प्रदर्शनकारी छात्रों ने अपनी मांगों को दोहराते हुए कहा कि जब तक आयोग उनकी मांगें नहीं मानता, वे प्रदर्शन जारी रखेंगे।
छात्रों के आरोप: “अक्षमता छुपाने के लिए दो दिवसीय परीक्षा और नार्मलाइजेशन लागू”
प्रदर्शनकारी छात्रों का आरोप है कि आयोग परीक्षा में हो रही कमियों और अक्षमताओं को छुपाने के लिए दो दिन में परीक्षा आयोजित कर रहा है और नार्मलाइजेशन लागू कर रहा है। उनका कहना है कि आयोग ने डेढ़ साल तक परीक्षा की तिथि नहीं दी, जिससे कई छात्र ओवरएज होने के करीब पहुंच गए हैं। इसके अलावा, बार-बार परीक्षा टलने से छात्रों की तैयारी भी प्रभावित हो रही है।
नौकरी की तैयारी कर रहे दुर्गा यादव ने कहा कि जब परीक्षा की तिथि एक बार निर्धारित होती है तो छात्र उसी के अनुसार तैयारी में लग जाते हैं, लेकिन बार-बार तिथियों का बदलना छात्रों के रिदम को तोड़ देता है, जिससे उनकी तैयारी प्रभावित होती है और कई बार असफलता का कारण बनता है। उन्होंने आयोग पर छात्रों की उम्मीदों और करियर के साथ खिलवाड़ का भी आरोप लगाया।
करियर के साथ खिलवाड़ का आरोप
प्रदर्शन में शामिल छात्र हिमालय सिंह का कहना है कि यूपीपीएससी बार-बार परीक्षाओं के आयोजन में असफल रहा है। कई बार परीक्षा पेपर लीक हो जाते हैं, तो कई बार कापियां बदल जाती हैं। परिणाम और कटऑफ जारी करने में भी आयोग समय पर निर्णय नहीं लेता। उन्होंने कहा कि जब तक एक ही दिन में एक पाली में परीक्षा और नार्मलाइजेशन की प्रक्रिया को खत्म नहीं किया जाता, तब तक आयोग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठते रहेंगे। हिमालय ने आयोग पर आरोप लगाया कि वह सही तरीके से परीक्षा का आयोजन करने में असमर्थ है और इस असमर्थता का खामियाजा प्रतियोगी छात्रों को भुगतना पड़ रहा है।
छात्रों की मांग: एक दिन, एक पाली में परीक्षा और नार्मलाइजेशन रद
प्रदर्शनकारी छात्र इस बात पर जोर दे रहे हैं कि पीसीएस और आरओ/एआरओ परीक्षाएं एक दिन और एक पाली में आयोजित की जाएं ताकि सभी छात्रों को समान अवसर मिले और नार्मलाइजेशन की प्रक्रिया की जरूरत न पड़े। उनका कहना है कि परीक्षा का दो दिवसीय आयोजन असमानता को जन्म देता है और नार्मलाइजेशन से कई छात्रों के अंकों में भिन्नता आ जाती है, जिससे उनके रिजल्ट पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
वर्तमान में पीसीएस प्रारंभिक परीक्षा की तिथि 7 और 8 दिसंबर, जबकि आरओ/एआरओ प्रारंभिक परीक्षा की तिथि 22 और 23 दिसंबर तय की गई है। इस निर्णय का विरोध करते हुए छात्र मांग कर रहे हैं कि परीक्षा केवल एक दिन में पूरी की जाए और किसी प्रकार का नार्मलाइजेशन न किया जाए, जिससे सभी छात्रों के लिए परीक्षा के स्तर में समानता रहे।
पुलिस ने सुरक्षा बढ़ाई, तनावपूर्ण माहौल
प्रदर्शन के मद्देनजर पुलिस ने सुरक्षा व्यवस्था को कड़ा कर दिया है। आयोग के मुख्यालय के बाहर बड़ी संख्या में पुलिस बल और पीएसी तैनात है। पिछले दिन छात्रों और पुलिस के बीच मामूली झड़प भी हुई थी, जिससे पुलिस ने अपनी रणनीति में बदलाव कर शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन को नियंत्रित करने का प्रयास किया है। पुलिस ने छात्रों से शांतिपूर्ण तरीके से अपनी बात रखने की अपील की है, वहीं छात्रों का कहना है कि जब तक उनकी मांगों को आयोग द्वारा सुना और स्वीकार नहीं किया जाता, वे आंदोलन जारी रखेंगे।