आजकल एक शब्द सुर्खियों में छाया हुआ है, और वह शब्द है “डिजिटल अरेस्ट”। यह शब्द इन दिनों भारत में साइबर अपराधों से जुड़ी खबरों में सबसे ज्यादा सुनने को मिल रहा है। रोजाना मीडिया में आ रही खबरें बता रही हैं कि कैसे ठगों ने डिजिटल अरेस्ट की मदद से लाखों-करोड़ों रुपये की धोखाधड़ी की है। देशभर में इस प्रकार के साइबर अपराधों का खात्मा करने के लिए पुलिस लगातार कार्रवाई कर रही है, लेकिन इसके बावजूद ये ठग अपने तरीके से लोगों को धोखा देने में कामयाब हो रहे हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस समस्या पर चिंता व्यक्त की है और नागरिकों को सतर्क रहने की सलाह दी है। हाल ही में एक रिपोर्ट में बताया गया कि 2024 के पहले दस महीनों में साइबर अपराधियों ने भारत के नागरिकों से करीब 2,140 करोड़ रुपये की रकम चोरी की है। इन स्कैम्स का शिकार होने से कई लोग मानसिक रूप से परेशान हो गए हैं और कुछ ने तो अपनी जान तक ले ली। इस लेख में हम जानेंगे कि डिजिटल अरेस्ट क्या है, और कैसे ठग इसका इस्तेमाल करके लोगों से रकम लूट रहे हैं।
डिजिटल अरेस्ट क्या है?
डिजिटल अरेस्ट एक प्रकार का ऑनलाइन ब्लैकमेलिंग है, जिसमें अपराधी पीड़ित को कैमरे के सामने बैठाकर उसे गिरफ्तार करने का डर दिखाते हैं। यह पूरी प्रक्रिया इस तरह से की जाती है कि व्यक्ति खुद को पुलिस या किसी अन्य सरकारी एजेंसी के सामने फंसा हुआ महसूस करता है। इसमें ठग पहले तो किसी ऐप के जरिए वीडियो कॉल पर पीड़ित से बातचीत करते हैं और फिर गिरफ्तारी का डर दिखाकर उसे किसी भी प्रकार से पैसा ट्रांसफर करने के लिए मजबूर कर देते हैं। इस दौरान वह अपने मोबाइल फोन, लैपटॉप या डेस्कटॉप पर पीड़ित को निगरानी में रखते हैं और उसे किसी से बात करने तक का मौका नहीं देते।
कैसे काम करते हैं साइबर अपराधी?
साइबर अपराधी खुद को पुलिस, नॉरकोटिक्स विभाग, इनकम टैक्स, सीबीआई या अन्य सरकारी अधिकारी के रूप में पेश करते हैं। वे बाकायदा ऑफिस से फोन करके पीड़ित को धमकाते हैं और उसे वीडियो कॉल पर रखकर कहते हैं कि जब तक जांच पूरी नहीं हो जाती, वह कैमरे के सामने बैठा रहेगा। इस दौरान अपराधी पैसे ट्रांसफर करवाने के लिए कह सकते हैं। यह पैसे अपराधी के दिए गए फर्जी अकाउंट में ट्रांसफर होते हैं, और फिर वह रकम जल्दी से निकालकर फरार हो जाते हैं।
क्या करें अगर आप शिकार बनें?
अगर आपको ऐसा कोई कॉल आता है या कोई अनजान व्यक्ति आपको किसी ग्रुप में जोड़ने की कोशिश करता है, तो सबसे पहले उससे इसका कारण पूछें। किसी भी असामान्य लाभ का वादा करने वाले ऑफर से बचें। यदि कोई व्यक्ति आपको कहे कि आपके पास ड्रग्स है या कोई अन्य अपराध जुड़ा हुआ है, तो तुरंत पुलिस को सूचित करें। आप साइबर क्राइम से संबंधित शिकायत के लिए साइबर सेल के टोल फ्री नंबर 1930 या 155260 पर कॉल कर सकते हैं। इसके अलावा, cybercrime.gov.in पर ईमेल करके भी शिकायत दर्ज कर सकते हैं।
कोई भी जांच एजेंसी इस तरह से नहीं करती है पूछताछ
पुलिस कमिश्नर लक्ष्मी सिंह का कहना है कि देश की कोई भी आधिकारिक एजेंसी न तो डिजिटल अरेस्ट करती है और न ही इस प्रकार से किसी भी व्यक्ति से पूछताछ करती है। यदि आपसे कोई पुलिस या सीबीआई, सीआईडी, आरबीआई के अधिकारी आने का दावा करें, तो यह पूरी तरह से फर्जी होता है। इस प्रकार की कॉल्स से घबराने की बजाय, आपको उन कॉल्स का सटीक जवाब देना चाहिए और स्थानीय पुलिस को सूचित करना चाहिए। किसी भी प्रकार की बातचीत सिर्फ लोकल पुलिस के साथ ही की जाए, अन्यथा वह धोखाधड़ी हो सकती है।
सावधानी बरतें और सतर्क रहें
डिजिटल अरेस्ट और साइबर स्कैम के बढ़ते मामलों के मद्देनजर यह जरूरी हो गया है कि हम सभी सतर्क रहें और किसी भी अनजान कॉल, ईमेल या लिंक से दूर रहें। अगर कोई आपको किसी संदिग्ध तरीके से पैसे ट्रांसफर करने को कहे, तो तुरंत पुलिस से संपर्क करें और उसकी मदद लें। केवल जागरूकता और सतर्कता से ही हम साइबर अपराधों से बच सकते हैं।