कैंसर एक जानलेवा बीमारी है, जिसके इलाज को लेकर वैज्ञानिक निरंतर शोध कर रहे हैं। कैंसर के इलाज में हालांकि अब तक पूरी सफलता नहीं मिल पाई है, लेकिन कुछ तरीकों से इसे बढ़ने से रोका जरूर जा सकता है। हाल ही में एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जिसमें एक महिला ने अपनी बनाई वैक्सीन से स्टेज 3 (तीसरे चरण) के कैंसर को मात दी। यह महिला हैं 49 वर्षीय बीटा हलासी, जिन्होंने कैंसर के इलाज के लिए अपनी खुद की वैक्सीन विकसित की और इससे अपने ट्यूमर को पूरी तरह से नष्ट कर दिया।
कैंसर का पता लगने के बाद बड़ा फैसला
बीटा हलासी को पहली बार 2016 में पता चला कि उन्हें ब्रेस्ट कैंसर है। इसके बाद उन्होंने मास्टेक्टॉमी (ब्रेस्ट की सर्जरी) करवाई, लेकिन 2020 में उन्हें एक बार फिर से स्टेज 3 ब्रेस्ट कैंसर का सामना करना पड़ा। इस बार उनका ट्यूमर और भी अधिक गंभीर था। जब बीटा हलासी के सामने कीमोथेरेपी का विकल्प रखा गया, तो उन्होंने इसे अपनाने से मना कर दिया, क्योंकि वह फिर से कीमोथेरेपी के प्रभाव को झेलने के लिए तैयार नहीं थीं। एक विशेषज्ञ के तौर पर उन्होंने एक अलग रास्ता अपनाने का फैसला किया और खुद की बनाई वैक्सीन का उपयोग करने का निर्णय लिया।
वैक्सीन बनाने का प्रयोग
बीटा हलासी ने अपनी वैक्सीन बनाने के लिए वायरस पर शोध किया था। उन्होंने खसरे के वायरस को फ्लू जैसे रोगजनक के साथ मिलाकर एक शक्तिशाली शॉट तैयार किया। इस वैक्सीन ने उनके ट्यूमर को लक्षित किया और उनके इम्यून सिस्टम को कैंसर कोशिकाओं से लड़ने के लिए सक्रिय किया। उन्होंने खुद अपने ट्यूमर में यह वैक्सीन इंजेक्ट की, जो काम कर गई। इसके परिणामस्वरूप, हलासी ने दावा किया कि वह पिछले चार साल से कैंसर मुक्त हैं।
कैंसर की वैक्सीन की प्रभावशीलता
बीटा हलासी ने अपनी रिसर्च के परिणामों को 2024 जर्नल में प्रकाशित किया। उन्होंने लिखा कि इस अपरंपरागत इलाज का परिणाम बहुत फायदेमंद रहा और इसके कोई साइड इफेक्ट्स नहीं देखे गए। उन्होंने यह भी बताया कि ट्यूमर का साइज काफी कम हो गया और ट्यूमर अब नीचे की मांसपेशियों और ऊपर की स्किन से जुड़ा नहीं था। इससे ट्यूमर को आसानी से हटा दिया गया। बीटा हलासी ने अपनी रिसर्च के दौरान यह पाया कि इस वैक्सीन का इस्तेमाल करते हुए न सिर्फ ट्यूमर का साइज कम हुआ, बल्कि उनके शरीर में स्वस्थ कोशिकाओं को भी कोई नुकसान नहीं हुआ।
ओन्कोलिटिक वायरोथेरेपी (OVT)
बीटा हलासी के इस प्रयोग का एक महत्वपूर्ण पहलू ओन्कोलिटिक वायरोथेरेपी (OVT) है, जो कैंसर के इलाज के लिए एक उभरता हुआ तरीका है। इस पद्धति में आनुवंशिक रूप से संशोधित वायरस का उपयोग किया जाता है, जो विशेष रूप से कैंसर कोशिकाओं को लक्षित करता है और उन्हें नष्ट करता है। इस दौरान यह ध्यान रखा जाता है कि स्वस्थ कोशिकाओं को किसी प्रकार का नुकसान न हो। बीटा हलासी इस क्षेत्र में वर्षों से अध्ययन कर रही थीं और उनका मानना था कि यह पद्धति कैंसर के इलाज में एक महत्वपूर्ण कदम हो सकती है।
कैंसर के इलाज की दिशा में नई उम्मीद
बीटा हलासी का प्रयोग यह साबित करता है कि कैंसर के इलाज में वैक्सीनेशन का उपयोग एक नई दिशा में आगे बढ़ सकता है। यह वैक्सीनेशन एक व्यक्तिगत इलाज के रूप में देखा जा सकता है, जो मरीज की स्थिति के अनुसार तैयार किया जा सकता है। हलासी की सफलता इस बात को रेखांकित करती है कि कैंसर के इलाज में पारंपरिक उपचार से हटकर भी कुछ नए उपाय प्रभावी हो सकते हैं। उनके प्रयोग ने इस बात को भी उजागर किया कि कैंसर के इलाज में नए और अनूठे दृष्टिकोणों की जरूरत है, जो रोगी के लिए फायदेमंद हो और उसके जीवन की गुणवत्ता को बनाए रखे।