अमरावती/रायगढ़/नासिक: भारत में विधानसभा चुनावों के बीच चुनाव आयोग (ईसीआई) ने नेताओं और उनके सामान की जांच को लेकर सख्ती दिखाई है। शनिवार को कांग्रेस नेता और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी के हेलीकॉप्टर की जांच अमरावती जिले के धामनगांव रेलवे हेलीपैड पर की गई। इसी तरह रायगढ़ में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद पवार गुट) के प्रमुख शरद पवार के हेलीकॉप्टर की तलाशी ली गई, और नासिक में शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) के नेता संजय राउत के बैग की भी जांच की गई।
राहुल गांधी के हेलीकॉप्टर की जांच
राहुल गांधी, जो महाराष्ट्र में कांग्रेस के प्रचार अभियान का नेतृत्व कर रहे हैं, शनिवार को अमरावती के धामनगांव रेलवे हेलीपैड पर पहुंचे। जैसे ही उनका हेलीकॉप्टर उतरा, चुनाव आयोग के अधिकारियों ने उनकी मौजूदगी में हेलीकॉप्टर और उनके बैग की तलाशी ली। अधिकारियों ने यह सुनिश्चित किया कि कोई आपत्तिजनक सामग्री न हो।
राहुल गांधी ने शांति बनाए रखी और जांच प्रक्रिया के दौरान हेलीकॉप्टर के पास ही खड़े रहे। उनके साथ मौजूद कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने हालांकि इसे “राजनीतिक रूप से प्रेरित” कदम बताते हुए सवाल उठाए। कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, “चुनाव आयोग को निष्पक्षता का ध्यान रखना चाहिए। केवल विपक्षी नेताओं के सामान की जांच करना सवाल खड़े करता है।”
शरद पवार और संजय राउत भी जांच के दायरे में
इसी दिन रायगढ़ में एनसीपी (शरद पवार गुट) के प्रमुख शरद पवार के हेलीकॉप्टर की भी तलाशी ली गई। सूत्रों के अनुसार, चुनाव आयोग के अधिकारी शरद पवार की रैली स्थल पर पहुंचे और हेलीकॉप्टर की गहन जांच की। पवार ने इस पर कोई टिप्पणी नहीं की, लेकिन उनके करीबी सहयोगियों ने कहा कि यह कदम “राजनीतिक बदले” का हिस्सा हो सकता है।
वहीं, नासिक में शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) के प्रमुख नेता संजय राउत के सामान की जांच ने भी राजनीतिक गर्मी बढ़ा दी। राउत ने इस घटना को लेकर चुनाव आयोग पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा, “यह पहली बार नहीं है कि विपक्षी नेताओं को निशाना बनाया जा रहा है। सत्ता पक्ष के नेताओं के सामान की जांच क्यों नहीं होती?”
अमित शाह के बैग की जांच पर चर्चा
इससे एक दिन पहले, शुक्रवार को, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बैग की जांच का मामला सुर्खियों में रहा। अमित शाह हिंगोली में एक चुनावी रैली के लिए पहुंचे थे, जहां चुनाव आयोग के अधिकारियों ने उनके साथ मौजूद बैगों की जांच की। बाद में शाह ने कहा, “चुनाव आयोग अपने नियमों का पालन कर रहा है। भाजपा हमेशा निष्पक्ष और स्वस्थ चुनाव प्रणाली का समर्थन करती है।”
भाजपा के कई नेताओं ने इसे “निष्पक्षता का प्रमाण” बताते हुए चुनाव आयोग की तारीफ की, लेकिन विपक्षी दलों ने इसे महज दिखावा बताया। विपक्षी नेताओं ने सवाल किया कि क्या चुनाव आयोग सत्ता पक्ष के अन्य नेताओं के साथ भी समान सख्ती बरतता है।
चुनाव आयोग की सफाई
चुनाव आयोग ने इन घटनाओं पर कहा कि उनका उद्देश्य केवल चुनावी प्रक्रिया को पारदर्शी बनाना है। आयोग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “हमारे लिए सभी राजनीतिक दल समान हैं। चुनाव के दौरान किसी भी तरह की अवैध गतिविधियों को रोकना हमारी जिम्मेदारी है। चाहे वह विपक्षी नेता हों या सत्ता पक्ष के, जांच प्रक्रिया समान रूप से लागू की जा रही है।”
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं तेज
इन घटनाओं ने राजनीतिक हलकों में तीखी प्रतिक्रियाएं दी हैं। कांग्रेस और एनसीपी ने इसे “लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन” बताया, वहीं भाजपा ने इसे “निष्पक्ष चुनाव प्रक्रिया का हिस्सा” कहा।
क्या संदेश दे रहा है चुनाव आयोग?
विशेषज्ञों का मानना है कि चुनाव आयोग इस बार कड़े नियम लागू करने पर जोर दे रहा है। हालांकि, यह सुनिश्चित करना भी आवश्यक है कि कोई पक्षपात न हो। लगातार हो रही इन घटनाओं से जनता के बीच आयोग की साख पर सवाल उठ सकते हैं।
महाराष्ट्र में विधानसभा चुनावों के दौरान नेताओं की जांच ने जहां राजनीतिक माहौल को गर्मा दिया है, वहीं यह लोकतंत्र और निष्पक्षता के प्रति आयोग की प्रतिबद्धता का भी संकेत है। अब यह देखना होगा कि यह सख्ती सिर्फ एक दिखावा है या वास्तव में सभी दलों पर समान रूप से लागू की जाएगी।