भारत में महंगाई दर का बढ़ता सिलसिला अक्टूबर 2024 में भी जारी रहा। इस महीने खुदरा महंगाई दर 6.21% के स्तर पर पहुंच गई, जो रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के 6% के सहनीय लक्ष्य से ऊपर है। यह दर पिछले 14 महीनों में सबसे ऊंचे स्तर पर है। अगस्त 2023 के बाद यह पहली बार है जब खुदरा महंगाई दर ने RBI के तय सीमा को पार किया है।
महंगाई में इस बढ़ोतरी की सबसे बड़ी वजह खपत के सामान, खासकर सब्जियों की बढ़ती कीमतें रहीं। टमाटर, आलू और प्याज जैसी रोजमर्रा की सब्जियों की कीमतों ने लोगों के किचन का बजट बिगाड़ दिया है।
सब्जियों की महंगाई ने तोड़ा रिकॉर्ड
अक्टूबर 2024 में सब्जियों की महंगाई दर 10.87% के स्तर पर पहुंच गई, जो पिछले 15 महीनों में सबसे ऊंची है। इस दौरान टमाटर, आलू और प्याज की कीमतों में सबसे ज्यादा उछाल देखा गया।
टमाटर: इस साल टमाटर की कीमतों में 161% तक का उछाल देखा जा चुका है।
आलू: आलू की कीमतें सालाना आधार पर 65% बढ़ी हैं।
प्याज: प्याज की कीमतों में 52% का इजाफा हुआ है।
गोभी: साल की शुरुआत में गोभी की महंगाई दर 21% थी, जो अब 31% तक पहुंच गई है।
सप्लाई चेन की समस्या
सब्जियों की कीमतों में भारी बढ़ोतरी के पीछे सप्लाई चेन की दिक्कतें एक बड़ी वजह बनी हुई हैं। बाजार में बड़े खिलाड़ियों की मौजूदगी के बावजूद सप्लाई चेन की समस्याओं का समाधान नहीं हो सका है। खास बात यह है कि सर्दियों के मौसम में आम तौर पर सब्जियों की सप्लाई बेहतर रहती है, लेकिन इस बार टमाटर और प्याज जैसी रोजमर्रा की सब्जियों की कीमतें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं।
आरबीआई के सामने नई चुनौतियां
सब्जियों की कीमतों में तेज उछाल ने न केवल जनता को मुश्किल में डाला है, बल्कि आरबीआई के लिए भी बड़ी चुनौती खड़ी कर दी है। दिसंबर 2024 में होने वाली मौद्रिक नीति समीक्षा के दौरान केंद्रीय बैंक को ब्याज दरों पर निर्णय लेना है। इस साल पहले की तरह ब्याज दरों को स्थिर रखा गया था, लेकिन बढ़ती महंगाई दर के चलते आगे दरों में बदलाव की संभावना बढ़ गई है।
महंगाई का असर आम जनता पर
महंगाई दर में बढ़ोतरी से आम जनता पर सीधा असर पड़ा है। घर का बजट बिगड़ने से लोग कम खपत की ओर मजबूर हो रहे हैं। कई परिवार अपनी जरूरतों में कटौती कर रहे हैं। सब्जियों की कीमतें बढ़ने से गरीब और मध्यम वर्ग की थाली महंगी हो गई है।
सरकार और आरबीआई से उम्मीदें
विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार को सप्लाई चेन की समस्याओं का त्वरित समाधान निकालना होगा। दूसरी ओर, आरबीआई को महंगाई को नियंत्रण में रखने के लिए सख्त कदम उठाने पड़ सकते हैं। सब्जियों की कीमतों को लेकर कोई स्थायी समाधान न निकलना नीतिगत विफलता की ओर इशारा करता है।
देश में महंगाई दर का यह बढ़ता स्तर आर्थिक स्थिरता के लिए चुनौती बनता जा रहा है। जनता और नीति-निर्माताओं के सामने आने वाले महीनों में सटीक और प्रभावी कदम उठाने की आवश्यकता है।