संसद का शीतकालीन सत्र आज से शुरू हो रहा है। यह सत्र ऐसे समय में हो रहा है जब देश के दो प्रमुख राज्यों में हाल ही में विधानसभा चुनाव संपन्न हुए हैं। महाराष्ट्र में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) ने भारी जीत दर्ज की है, जबकि झारखंड में हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाली झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) और उसके सहयोगी दलों ने सत्ता में वापसी की है।
अडानी मुद्दे पर विपक्ष का तेवर सख्त
इस सत्र में अडानी समूह के खिलाफ अमेरिका में लगाए गए आरोप प्रमुख मुद्दा बन सकते हैं। विपक्ष ने इस पर संसद में चर्चा कराने की मांग की है। रविवार को शीतकालीन सत्र की पूर्व संध्या पर हुई सर्वदलीय बैठक में विपक्षी दलों ने इस मामले को प्रमुखता से उठाया। हालांकि, केंद्रीय मंत्री किरेन रीजीजू ने स्पष्ट किया कि संसद में उठाए जाने वाले किसी भी विषय पर संबंधित अध्यक्ष और समितियां ही निर्णय लेंगी।
सर्वदलीय बैठक में 30 दलों की भागीदारी
सर्वदलीय बैठक में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सभी दलों से संसद के सुचारू संचालन में सहयोग की अपील की। इस बैठक में 30 दलों के 42 नेताओं ने हिस्सा लिया। संसदीय कार्य मंत्री किरेन रीजीजू ने बैठक के बाद संवाददाताओं को बताया कि सरकार सभी महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा के लिए तैयार है, लेकिन सदन के कामकाज को बाधित करने से बचा जाना चाहिए।
वक्फ संशोधन विधेयक पर चर्चा की तैयारी
इस सत्र में वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर भी चर्चा संभावित है। संसद की संयुक्त समिति, जो इस विधेयक पर विचार कर रही है, ने अपनी रिपोर्ट तैयार कर ली है। समिति के अध्यक्ष जगदंबिका पाल ने बताया कि रिपोर्ट को लेकर सभी सदस्यों के बीच सहमति बनाने का प्रयास किया जा रहा है। हालांकि, विपक्षी सांसदों ने 29 नवंबर तक समिति का कार्यकाल बढ़ाने की मांग की है। इस पर 25 नवंबर को लोकसभा अध्यक्ष से मुलाकात भी तय की गई है।
महत्वपूर्ण विधेयकों की सूची तैयार
संसद के इस शीतकालीन सत्र में कई अहम विधेयकों को पेश किए जाने की संभावना है। इनमें वक्फ संशोधन विधेयक के अलावा, डेटा प्रोटेक्शन बिल और यूनिफॉर्म सिविल कोड पर चर्चा को लेकर भी अनुमान लगाए जा रहे हैं। सरकार की प्राथमिकता है कि सत्र के दौरान अधिकतम विधेयक पारित किए जाएं।
चुनावी जोश के साथ भाजपा सांसदों की उपस्थिति
महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में प्रचंड जीत के बाद भाजपा सांसद नई ऊर्जा और आत्मविश्वास के साथ संसद में उपस्थित होंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस जीत को केंद्र की नीतियों और विकास मॉडल की सफलता बताया है।
सरकार बनाम विपक्ष: टकराव की आशंका
हालांकि, सत्र के दौरान सरकार और विपक्ष के बीच टकराव की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है। विपक्ष अडानी समूह के खिलाफ अमेरिका में लगाए गए आरोपों, महंगाई, बेरोजगारी, और महिला सुरक्षा जैसे मुद्दों को जोर-शोर से उठाने की तैयारी में है। वहीं, सरकार का रुख स्पष्ट है कि वह इन मुद्दों पर चर्चा से भागेगी नहीं, लेकिन संसद का कामकाज बाधित नहीं होने देगी।
संभावित घटनाक्रम
विधायी एजेंडा: वक्फ संशोधन विधेयक, डेटा प्रोटेक्शन बिल, और अन्य विधेयक।
राजनीतिक टकराव: अडानी समूह और अन्य मुद्दों पर विपक्ष का आक्रामक रुख।
चुनावी राजनीति का असर: हालिया चुनावों के परिणामों से बढ़ा भाजपा का मनोबल।
संसद का यह शीतकालीन सत्र कई राजनीतिक और विधायी मुद्दों के चलते महत्वपूर्ण होने वाला है। सरकार जहां विधायी एजेंडे को आगे बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करेगी, वहीं विपक्ष प्रमुख मुद्दों पर चर्चा की मांग को लेकर आक्रामक रहेगा। दोनों पक्षों के बीच यदि संवाद और सहमति बनी रही, तो यह सत्र लोकतंत्र के लिए सकारात्मक साबित हो सकता है।