रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध को 1000 से ज्यादा दिन हो चुके हैं, लेकिन संघर्ष थमने का नाम नहीं ले रहा। दोनों पक्ष पीछे हटने को तैयार नहीं हैं। इस बीच, रूस ने एक नई रणनीति अपनाई है। खबरों के मुताबिक, रूस ने कथित तौर पर यमन से सैकड़ों लोगों को अपनी सेना में भर्ती किया है और उन्हें यूक्रेन के खिलाफ लड़ाई में अग्रिम मोर्चों पर तैनात किया जा रहा है।
यमन से भर्ती का आरोप
फाइनेंशियल टाइम्स की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि यमन के युवाओं को एक हूती जनरल की कंपनी ने झूठे वादों के जरिए रूस भेजा। कंपनी ने उन्हें अच्छी नौकरियों और नागरिकता का लालच दिया। अल-जाबरी जनरल ट्रेडिंग एंड इन्वेस्टमेंट कंपनी एसपीसी नामक इस कंपनी ने सैकड़ों यमनी नागरिकों की भर्ती की। कंपनी के मालिक अब्दुलवाली अब्दो हसन अल-जाबरी, जो हूती नेता और कमांडर हैं, ने युवाओं को सुरक्षा और इंजीनियरिंग क्षेत्र में काम देने का झांसा दिया।
हालांकि, रूस पहुंचने के बाद इन लोगों को यूक्रेन के जंगलों में भेज दिया गया और युद्ध के मोर्चों पर तैनात कर दिया गया। रिपोर्ट के अनुसार, सितंबर में भर्ती किए गए 200 लोगों के एक समूह का हिस्सा रहे नबील नाम के युवक ने बताया कि उन्हें यूक्रेन से होने वाली बमबारी का सामना करना पड़ा। इन लोगों को खतरनाक मोर्चों पर बारूदी सुरंगें बिछाने और बंकर बनाने जैसे कार्यों में भी लगाया गया।
भारत और नेपाल के नागरिकों की भी भर्ती का आरोप
रूस पर इससे पहले भी विदेशी सैनिकों की भर्ती के आरोप लगते रहे हैं। हाल में, अमेरिका और यूक्रेन ने दावा किया कि रूस ने उत्तर कोरिया के 10,000 सैनिकों को अपनी सेना में तैनात किया है। हालांकि, रूस और उत्तर कोरिया ने इन आरोपों को खारिज कर दिया है।
इसके साथ ही, रूस पर भारत और नेपाल के नागरिकों को भी भर्ती करने का आरोप है। कहा जाता है कि भारतीय और नेपाली युवाओं को नौकरियों का लालच देकर रूस लाया गया और फिर उन्हें यूक्रेन के खिलाफ लड़ाई में मजबूर किया गया।
नौकरियों के नाम पर धोखाधड़ी
रिपोर्ट्स के अनुसार, हूती जनरल की कंपनी ने खुद को मेडिकल उपकरण और दवाइयों की आपूर्तिकर्ता बताया था। युवाओं को सुरक्षा और इंजीनियरिंग में नौकरी देने का वादा कर रूस भेजा गया। लेकिन उन्हें सीधे युद्ध क्षेत्र में भेजा गया, जहां उनके जीवन को गंभीर खतरा है।
युद्ध में विदेशी लड़ाकों की भूमिका
रूस द्वारा विदेशी लड़ाकों की भर्ती का आरोप कई बार लगाया गया है। यमन, उत्तर कोरिया, भारत और नेपाल के नागरिकों का नाम इनमें जुड़ा है। ऐसे लोगों को कठिन और खतरनाक मोर्चों पर तैनात किया जा रहा है, जहां वे भारी जोखिम में हैं।
रूस-यूक्रेन युद्ध में विदेशी लड़ाकों की कथित भागीदारी ने युद्ध को और जटिल बना दिया है। यह न केवल अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन है, बल्कि इसे मानवाधिकारों के लिए भी गंभीर चुनौती माना जा रहा है। भारत और अन्य देशों को अपने नागरिकों के अधिकार और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए इस मामले में कड़ा रुख अपनाने की आवश्यकता है।