भारत के संविधान को अंगीकार किए जाने के 75 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में मंगलवार को संसद के पुराने भवन (संविधान सदन) के सेंट्रल हॉल में विशेष कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस ऐतिहासिक अवसर पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 75 रुपये का एक विशेष स्मारक सिक्का और एक डाक टिकट जारी किया। यह डाक टिकट भारत की मूल संवैधानिक भावनाओं का प्रतीक है, जो देश को एकजुट करती हैं और आगे बढ़ने की प्रेरणा देती हैं।
संविधान: हमारा सबसे पवित्र ग्रंथ
राष्ट्रपति मुर्मू ने संविधान को देश का सबसे पवित्र ग्रंथ बताया। उन्होंने अपने संबोधन में कहा, “आज हम उस ऐतिहासिक क्षण के साक्षी बने हैं, जब 75 वर्ष पूर्व संविधान सभा ने एक नव स्वतंत्र भारत के लिए संविधान निर्माण का कार्य पूरा किया था। हमारा संविधान व्यक्तिगत और सामूहिक स्वाभिमान को सुनिश्चित करता है और समाज के सभी वर्गों के कल्याण के लिए प्रेरित करता है।”
उन्होंने यह भी कहा कि आज भारत न केवल एक अग्रणी अर्थव्यवस्था है, बल्कि विश्वबंधु की भूमिका निभा रहा है। उन्होंने सरकार की योजनाओं की सराहना करते हुए कहा कि देश में गरीबों को आवास, विश्वस्तरीय बुनियादी ढांचा और कमजोर वर्गों के उत्थान के लिए कई कदम उठाए गए हैं।
विशिष्ट अतिथियों की उपस्थिति
इस अवसर पर उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, केंद्रीय संसदीय मंत्री किरण रिजिजू, राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, लोकसभा के नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी और अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संविधान दिवस की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह दिवस संविधान की शक्ति और इसके आदर्शों का उत्सव है।
लोकसभा अध्यक्ष का वक्तव्य
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने अपने संबोधन में कहा कि संविधान की 75वीं वर्षगांठ पर हम सभी संवैधानिक मूल्यों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दोहराते हैं। उन्होंने कहा, “पिछले 75 वर्षों में हमारी संसद ने सामाजिक और आर्थिक परिवर्तन लाने का कार्य किया है।”
संविधान दिवस के अवसर पर शीतकालीन सत्र का प्रारंभ
गौरतलब है कि संसद का शीतकालीन सत्र 25 नवंबर से प्रारंभ हुआ है, जो 20 दिसंबर तक चलेगा। संविधान दिवस पर, सत्र के दूसरे दिन, संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक आयोजित की गई। इस दौरान देश के संवैधानिक मूल्यों और आदर्शों को लेकर सदस्यों ने अपने विचार प्रकट किए।
संविधान: देश की दिशा और दशा का मार्गदर्शक
भारत का संविधान, जिसे 26 नवंबर 1949 को अंगीकार किया गया और 26 जनवरी 1950 को लागू किया गया था, आज 75 वर्षों के सफर में न केवल भारत के लोकतंत्र की नींव है, बल्कि यह समानता, स्वतंत्रता और न्याय के आदर्शों को स्थापित करने का माध्यम भी है। इस ऐतिहासिक अवसर पर पूरे देश में उत्सव का माहौल रहा, जो संविधान की स्थिरता और सशक्तता का प्रमाण है।