भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की आगामी बैठक 4 से 6 दिसंबर 2024 को होगी, जिसमें लिए गए फैसलों की घोषणा 6 दिसंबर को गवर्नर शक्तिकांत दास करेंगे। विशेषज्ञों का मानना है कि इस बार भी रेपो रेट मौजूदा स्तर, यानी 6.5% पर बनाए रखा जा सकता है। फरवरी 2023 से ही RBI ने रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया है।
महंगाई और GDP पर असर
देश में बढ़ती महंगाई और दूसरी तिमाही के निराशाजनक GDP आंकड़ों को देखते हुए केंद्रीय बैंक को अपनी आर्थिक नीतियों पर संतुलित दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि खुदरा महंगाई (CPI) अब तक RBI की सहनीय सीमा (4% ± 2%) से ऊपर बनी हुई है। अक्टूबर 2024 में यह 6% को पार कर गई, जिससे ब्याज दरों में कटौती की संभावना फिलहाल सीमित हो गई है।
बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा कि वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं और महंगाई के संभावित प्रभाव को देखते हुए RBI के पास रेपो रेट को स्थिर रखने के अलावा ज्यादा विकल्प नहीं हैं। उन्होंने यह भी संकेत दिया कि फरवरी 2025 से पहले दरों में राहत मिलने की संभावना कम है।
MPC की प्राथमिकताएं
RBI की छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति, जिसकी अध्यक्षता गवर्नर शक्तिकांत दास करेंगे, देश की मौद्रिक नीति का विश्लेषण करते हुए निर्णय लेगी। मौजूदा परिस्थितियों को देखते हुए, समिति का मुख्य उद्देश्य महंगाई को नियंत्रित करना और आर्थिक स्थिरता बनाए रखना होगा।
ICRA की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने बताया कि अक्टूबर 2024 में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित महंगाई दर 6% से ऊपर रही। इस बीच, GDP वृद्धि की गति भी उम्मीद से धीमी रही। उन्होंने कहा कि इस स्थिति में MPC दिसंबर 2024 की बैठक में रेपो रेट को स्थिर रखने का ही फैसला ले सकती है।
महंगाई के बढ़ते दबाव के बीच संतुलन की जरूरत
महंगाई दर में वृद्धि के साथ-साथ दूसरी तिमाही में GDP वृद्धि दर उम्मीद से काफी कम रही। ऐसे में, RBI को अपनी नीतियों में महंगाई और विकास के बीच संतुलन बनाना होगा। विशेषज्ञों का मानना है कि केंद्रीय बैंक अपनी नीतियों को सावधानीपूर्वक लागू करेगा ताकि अर्थव्यवस्था पर कोई नकारात्मक प्रभाव न पड़े।
भविष्य की दिशा
हालांकि, आने वाले समय में RBI दरों में कटौती शुरू कर सकता है, लेकिन यह फैसला वैश्विक और घरेलू आर्थिक परिस्थितियों पर निर्भर करेगा। फिलहाल, मौद्रिक नीति समिति का मुख्य फोकस महंगाई को नियंत्रित करने पर रहेगा।
इस प्रकार, दिसंबर 2024 की बैठक में भी रेपो रेट को 6.5% पर बनाए रखने की संभावना अधिक है। यह फैसला महंगाई को नियंत्रित करने और अर्थव्यवस्था में स्थिरता बनाए रखने के लिए आवश्यक होगा।