किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल की भूख हड़ताल रविवार को सातवें दिन में प्रवेश कर गई। उनकी सेहत लगातार बिगड़ती जा रही है, और उनका वजन करीब 7 किलो कम हो चुका है। चलते समय उन्हें सांस लेने में दिक्कत हो रही है। कैंसर पीड़ित होने के बावजूद, डल्लेवाल ने अपनी दवाइयां लेना बंद कर दिया है। इस गंभीर स्थिति के बावजूद, 6 दिसंबर को “मरजीवड़े जत्थे” के साथ किसान दिल्ली कूच करेंगे। यह जत्था बिना जीवन या मृत्यु की चिंता किए, अपने हक के लिए संघर्ष करेगा।
सरकार को अल्टीमेटम, 5 दिसंबर तक का समय
किसान नेता सर्वण सिंह पंधेर ने चंडीगढ़ में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बताया कि सरकार के पास बातचीत शुरू करने के लिए 5 दिसंबर तक का समय है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने 18 जनवरी के बाद से किसानों के साथ संवाद पूरी तरह बंद कर दिया है। इस वजह से किसानों को कड़े कदम उठाने के लिए मजबूर होना पड़ा है।
दिल्ली कूच की रणनीति
पंधेर ने कहा कि किसानों पर ट्रैक्टर-ट्रालियों के साथ दिल्ली जाने का आरोप लगाया गया है, जिससे कानून-व्यवस्था बिगड़ने का डर जताया गया। इस बार किसानों ने फैसला किया है कि वे 6 दिसंबर को पैदल ही दिल्ली पहुंचेंगे। “मरजीवड़े जत्थे” ने हरियाणा में चार स्टॉप निर्धारित किए हैं, जबकि पांचवां और अंतिम पड़ाव दिल्ली होगा।
जत्थे की यात्रा की पूरी योजना बनाई गई है। जत्था सबसे पहले जग्गी सिटी (अंबाला) पहुंचेगा, इसके बाद मोहड़ा मंडी, खानपुर, जट्टां और पिपली के रास्ते दिल्ली कूच करेगा। किसानों का समूह सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे तक यात्रा करेगा और रात में सड़कों पर विश्राम करेगा।
किसानों की मांगें और संघर्ष
पंधेर ने कहा कि किसानों को अब अपने हक की लड़ाई में आगे बढ़ना ही होगा। सरकार के रवैये से नाराज किसान आंदोलन को तेज करने का निर्णय ले चुके हैं। यह जत्था सिर्फ एक संघर्ष का प्रतीक नहीं है, बल्कि यह संदेश देगा कि किसान अपने अधिकारों की रक्षा के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं।
सुरक्षा व्यवस्था और सरकार की प्रतिक्रिया
सरकार ने अभी तक इस कूच पर कोई स्पष्ट प्रतिक्रिया नहीं दी है। वहीं, किसान संगठनों ने इस मार्च को पूरी तरह शांतिपूर्ण रखने का वादा किया है। हरियाणा और दिल्ली पुलिस ने किसानों की यात्रा को ध्यान में रखते हुए सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम करने की तैयारी शुरू कर दी है।
यह कूच एक बार फिर से किसानों और सरकार के बीच टकराव को जन्म दे सकता है। लेकिन किसानों का कहना है कि वे अपने हक के लिए अंतिम सांस तक संघर्ष करने को तैयार हैं।