श्री अकाल तख्त साहिब ने शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल और 17 पूर्व अकाली मंत्रियों को धार्मिक सजा सुनाई है। साथ ही, मरहूम प्रकाश सिंह बादल से ‘फखर-ए-कौम’ खिताब वापस ले लिया गया। पांच सिख सिंह साहिबान की बैठक में यह फैसला लिया गया। सुखबीर बादल को सजा के तहत बर्तन और बाथरूम की सफाई करने, लंगर सेवा में योगदान देने और श्री सुखमनी साहिब का पाठ करने का आदेश दिया गया।
सजा के आदेश
अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार गियानी रघुबीर सिंह ने कहा कि सुखबीर बादल और अन्य अकाली नेताओं को 3 दिसंबर को दोपहर 12 से 1 बजे तक बाथरूम साफ करना होगा। इसके बाद वे स्नान कर लंगर घर में सेवा देंगे और श्री सुखमनी साहिब का पाठ करेंगे। सुखबीर सिंह बादल को श्री हरमंदिर साहिब के बाहर एक बोर्ड पहनकर बैठने का आदेश भी दिया गया है।
‘फखर-ए-कौम’ खिताब वापस
पांच सिंह साहिबान ने यह भी घोषणा की कि 2015 में डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम को माफ करने के फैसले में शामिल रहे सुखबीर बादल के पिता, मरहूम प्रकाश सिंह बादल से ‘फखर-ए-कौम’ खिताब वापस ले लिया गया है।
नेताओं ने स्वीकार की गलती
सजा सुनाए जाने से पहले सभी आरोपियों के बयान दर्ज किए गए। सुखबीर सिंह बादल ने अपनी गलती स्वीकार करते हुए कहा कि 2015 में डेरा मुखी को माफी देने का फैसला गलत था। उन्होंने इसे अपनी गलती बताते हुए माफी मांगी।
हालांकि, कुछ नेताओं ने आरोपों को खारिज किया। पूर्व अकाली नेता प्रेम सिंह चंदूमाजरा ने आरोपों को झूठा बताया। वहीं, बिक्रम सिंह मजीठिया ने कहा कि वह 2012-17 के बीच कैबिनेट का हिस्सा थे और उस दौरान इस मुद्दे पर कोई चर्चा नहीं हुई थी। बावजूद इसके, उन्होंने माफी मांगते हुए खुद को दोषी माना।
पिछले तीन महीने से लंबित था मामला
30 अगस्त को अकाल तख्त साहिब ने सुखबीर सिंह बादल और 17 पूर्व अकाली मंत्रियों को तलब किया था। उन्हें डेरा सच्चा सौदा मुखी को माफी देने के मामले में तनखैया करार दिया गया था। इसके बाद से मामला लंबित था। हाल ही में सुखबीर बादल ने अकाल तख्त साहिब पर पेश होकर इस पर जल्द फैसला सुनाने की अपील की थी।
समूचे सिख जगत की नजरें
अकाल तख्त साहिब की बैठक पर पूरे सिख जगत की नजरें टिकी हुई थीं। इस बैठक में 2007-17 की अकाली सरकार के कई नेता, शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) के सदस्य और 2015 की कार्यकारिणी के सदस्य शामिल थे। सुखबीर सिंह बादल व्हीलचेयर पर अकाल तख्त साहिब पहुंचे थे, जहां उनके साथ भाजपा नेता मनजिंदर सिंह सिरसा भी मौजूद थे।
मामले का महत्व
डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख को माफी देने का मामला 2015 से सिख समुदाय में विवाद का केंद्र रहा है। इसे अकाली दल की छवि को नुकसान पहुंचाने वाला फैसला माना जाता है। अकाल तख्त साहिब का यह निर्णय न केवल सिख परंपराओं की पुनर्स्थापना की दिशा में कदम है, बल्कि यह सिख धर्म की गरिमा बनाए रखने का संदेश भी देता है।
सिख धर्म की मर्यादा को लेकर संदेश
यह फैसला सिख धर्म की मान्यताओं और मर्यादाओं के प्रति अकाल तख्त साहिब की गंभीरता को दर्शाता है। सुखबीर बादल समेत अन्य नेताओं के लिए यह सजा केवल एक चेतावनी नहीं है, बल्कि सिख धर्म की परंपराओं और नैतिकता को बनाए रखने का संदेश है।